पटना. अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) ने हाथरस कांड में न्याय की मांग की. ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी, राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे, सचिव शशि यादव, पटना नगर सचिव अनीता सिन्हा, अनुराधा देवी आदि ने आज पटना में यह मांग उठाई. जैसा कि हम जानते हैं 29 सितंबर 2020 को उ.प्रदेश के हाथरस में एक दलित लड़की का बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी और पुलिस ने कानून का उल्लंघन करते हुए लाश को परिवार को सौंपने के बजाय परिवार वालों को घर में कैद कर लाश को जबरन जला दिया था. पुलिस की इस कार्रवाई का पूरे देश में तीव्र विरोध हुआ तब मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया था. 29 सितंबर 2021 को हाथरस प्रकरण को 1 वर्ष हो गया है किंतु अब भी पीड़िता का परिवार न्याय से वंचित है. इसलिए हम उत्तर प्रदेश सरकार से मांग करते हैं कि-
1. अपनी घोषणा के मुताबिक वह हाथरस प्रकरण के शिकार परिवार को रहने के लिए आवास मुहैया कराए और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दे.
2. इस घटना में जानबूझकर कानून की अवहेलना कर जबरन लाश जलाने वाले पुलिस पदाधिकारियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे की प्रतिदिन सुनवाई कर मामले का निस्तारण शीघ्र किया जाए.
3. दलित महिलाओं पर अत्याचार रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं .
4.हाथरस कांड के समाचार संकलन के लिए केरल के पत्रकार सिद्दिकी कप्पन को हाथरस जाते वक्त रास्ते से गिरफ्तार कर लिया गया था और वह एक साल से जेल में बंद हैं, उन्हें रिहा किया जाए.
बूलगढ़ी के पीड़ित परिवार ने गुजारा न होने व परेशानियों के चलते अपने दुधारू मवेशियों को रिश्तेदारों को दे दिया. पशुओं के जाते ही गांव में अफवाह उड़ी कि परिवार ने गांव को छोड़ना शुरू कर दिया है.कई जगह गांव में यह चर्चा सुनी गई.गलियों से लेकर खेत में लोग इस बात का जिक्र कर रहे थे. इस अफवाह के बारे में मृतका के पिता व छोटे भाई का कहना है कि यह सब गलत है. यह उनकी जन्मभूमि है.पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था नहीं हो पा रही है.खेत भी इस बार सूख गया.कोर्ट कचहरी के लिए आए दिन बाहर जाना होगा.ऐसे में पशुओं के दूध को आखिर डेयरी तक कैसे देने जाएंगे, इसलिए रिश्तेदारों को पशु दे दिए.हालांकि एक भैंस अभी भी उनके पास ही है. गांव छोड़ने की तैयारी की बात को पिता पुत्र ने सिरे से खाजिर किया.
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