साहित्य मानवीय गुणों का निर्माण करता है : डॉ. केजी मिश्र - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 19 सितंबर 2021

साहित्य मानवीय गुणों का निर्माण करता है : डॉ. केजी मिश्र


हिंदी साहित्य में कैरियर के व्यापक क्षेत्र विषय पर आयोजित कार्यशाला । उच्च शिक्षा विभाग द्वारा निर्देशित ओरिएंटेशन कार्यक्रम के चौथे दिन की कार्यशाला को आयोजित किया गया। इस कार्यशाला में विद्यार्थियों को नई शिक्षा पद्धति के बारे में सतत जानकारी प्रदान की जा रही है साथ ही बताया जा रहा है वैकल्पिक और वोकेशनल कोर्सेज किस प्रकार विद्यार्थियों को अपना करियर बनाने में मदद कर सकते हैं  | प्राचार्य. डॉ चौबे जी ने इस पर विस्तार से अपनी जानकारी दी | कार्यशाला के प्रमुख वक्ता डॉ. के.जी मिश्रा जो हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार हैं और वर्तमान में शा.नर्मदा महाविद्यालय होशंगाबाद में हिंदी के विभागाध्यक्ष हैं उन्होंने हिंदी साहित्य विषय को लेकर किस प्रकार और किस क्षेत्र में रोजगार प्राप्त किया जा सकता है इस विषय में जानकारी दी | उन्होंने बताया शुद्ध हिंदी लेखन वाले बहुत कम है ,अतः हिंदी साहित्य पढ़कर आप एक प्रखर वक्ता, बन कर, लेखक बनकर अपनी पहचान स्थापित कर सकते हैं |साहित्य मनुष्य का निर्माण करता है, मानवीय गुणों का विकास करता है साहित्य केवल रोजगार के लिए जरूरी नहीं वरन साहित्य  मानसिक विकास भी करता है  |


litreture-creates-human-qualty
आज की दूसरी प्रमुख वक्ता डॉ. कल्पना विश्वास ने युवा उत्सव और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम के विषय में जानकारी दी उन्होंने बताया कि युवा उत्सव मैं 22 विधाएं होती है और इसे चार भागों में बांटा गया है सांस्कृतिक , संगीत, साहित्य और फाइन आर्ट । इन्होंने बताया की ये ना केवल मन को प्रफुल्लित करती वरन रोजगार निर्माण में भी सहायक होती हैं ये सांस्कृतिक उत्सव हमें यह बताते हैं कि हमारी भारतीय प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा कितनी अधिक विकसित थी | संयोजक डॉ हंसा व्यास ने बताया कि हिंदी साहित्य में लेखक, ,अनुवादक,कार्यक्रम संचालक, उद्घोषक ,पत्रकारिता जैसे रोजगार आज अधिक व्यापकता के साथ समाज में विद्यमान है । आवश्यकता केवल हिंदी साहित्य को  गंभीरता से समझने की है । आपका शब्दकोश जितना व्यापक होगा विषय पर आपकी पकड़ उतनी ही मजबूत होगी |महाविद्यालय में इस प्रकार विद्यार्थी म्यूजिक, फाइन  आर्ट और कंप्यूटर एप्लिकेशन जो इस कॉलेज में एक नए विषय के रूप में खुल चुके है उनको लेकर अपना बना सकते हैं |इसी के अंतर्गत डॉ यासमीन खान ,डॉ विकास सिंह गहरवार, डॉ योगेंद्र सिंह ,डॉ अरविंद श्रीवास्तव और डॉ सरोज जावलकर ने अपना वक्तव्य दिया | अंग्रेजी विषय के प्राध्यापक डॉ राजीव शर्मा ने अंग्रेजी के महत्व को बताया और सबका आभार प्रदर्शन किया।

कोई टिप्पणी नहीं: