- · बी.आर. आंबेडकर, ओमप्रकाश वाल्मीकि, तुलसीराम, पेरियार, दाभोलकर की ऑडियो बुक्स उपलब्ध हैं ।
- · दलितों की ज़िन्दगी और उनकी समस्या पर आधारित स्टोरीटेल सूर्या नामक ओरिजिनल ऑडियो ड्रामा लेकर भी आया है।
नई दिल्ली : दलित आंदोलन एक ऐसा संघर्ष रहा है जो उच्च जातियों के सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभुत्व के खिलाफ रहा है। समाज में निचले पायदान पर होने के कारण दलितों के साथ हर क्षेत्र में घोर अन्याय हुआ है। इस आंदोलन में हर दौर में कई बड़े नाम जुड़े हैं, उन सभी लोगों की सोच और आंदोलन के लिए उनके कदम और अभियान पर काफी साहित्य लिखा गया है। स्टोरीटेल ऑडियोबुक प्लेटफार्म पर दलितों का हमारे समाज में उच्च जातियों द्वारा किये जाने वाले तिरस्कार और उनकी पीड़ा को सुन सकते हैं यहां दलित साहित्य का एक विभिन्न संग्रह उपलब्ध है। 1960 के दशक में मराठी भाषा में दलित साहित्य का उदय हुआ, और फिर धीरे धीरे देश की कई भाषाओं में दलितों और उनकी समस्याओं के बारे में लिखा जाने लगा। स्टोरीटेल पर इंग्लिश, हिंदी , तथा मराठी भाषा में दलित साहित्य के ऑडियो बुक्स उपलब्ध है। कुछ प्रसिद्ध लेखक जिनकी किताबें स्टोरीटेल पर उपलब्ध हैं उनके नाम और ऑडियोबुक इस प्रकार हैं: ओमप्रकाश वाल्मीकि की 'जूठन' ; तुलसीराम की 'मुर्दहिया’; बाबूराव बागुल की 'जब मैंने जात छुपाई'; बी.आर आंबेडकर एक जीवनी है.इनके इलावा पेरियार और नरेंद्र दाभोलकर की किताबें भी स्टोरीटेल पर उपलब्ध हैं।
जब बाबूराव बागुल की आत्मकथा सबसे पहले उनकी मातृभाषा मराठी में प्रकाशित हुई थी तो उसने मराठी साहित्य और समाज को झकझोर दिया था. भारतीय समाज में जाति पर आधारित दमन और अपमान की साहसभरी कथा कहने कहने वाली पुस्तक ‘जब मेने जात छुपाई’ अब एक क्लासिक और दलित साहित्य में मील का पत्थर है। जूठन हिंदी भाषा के लेखक ओमप्रकाश वाल्मीकि द्वारा लिखित उनकी आत्मकथा है। पुस्तक दलित जाति में जन्मे लेखक की कठिनाइयों और संघर्षों का वर्णन प्रस्तुत करती है और साथ ही भारतीय जाति प्रथा, सवर्ण मानसिकता और आरक्षण जैसे सवालों को भी उठाती है। डॉ.तुलसीराम का मुर्दहिया एक ऐसा उपन्यास हैं जिसमें दलित वर्ग के दुःख दर्द का विवरण किया हैं।जहाँ मानव और पशु मैं कभी फ़र्क़ न हुआ।ज़माना बदले फिर भी जो भी अदना पैदा हुआ वह उस पिड़ामय लोकजीवन का हिस्सा बना। जाति और पितृसत्ता ई.वी. रामासामी नायकर 'पेरियार' के चिन्तन, लेखन और संघर्षों की केन्द्रीय धुरी रही है। उनकी दृढ़ मान्यता थी कि इन दोनों के विनाश के बिना किसी आधुनिक समाज का निर्माण नहीं किया जा सकता है। जाति और पितृसत्ता के सम्बन्ध में पेरियार क्या सोचते थे और क्यों वे इसके विनाश को आधुनिक भारत के निर्माण के लिए अपरिहार्य एवं अनिवार्य मानते थे? इन प्रश्नों का हिन्दी में एक मुकम्मल जवाब पहली बार यह किताब देती है।ऑडियो में यह किताब साहित्य प्रेमियों के लिए उपहार है, जहाँ वो एक तरफ़ आवाज़ के जादू में बंधते चले जाते हैं, वहीं दूसरी तरफ़ समाज को देखने का एक नज़रिया भी उन्हें हासिल होता है। सूर्या कहानी है एक 14 साल के सुपर हीरो, सूर्या की जो एक गंदी बस्ती में रहता है. उसका निशाना अचूक है और वो अपनी माँ के इलाज के लिए आर्चरी प्रतियोगिता जीतना चाहता है। वहीं बिजनेस टाइकून, विवान का बेटा अर्णव का भी ख्वाब प्रतियोगिता जीतना है। सूर्या को हर तरफ से मायूसी मिलती है, उसके पास पैसे नहीं है, उसे कोच रैना ट्रेनिंग देने से इंकार कर देते हैं, वहीं माफिया डॉन उसके पीछे पड़ा है। बस उसका दोस्त, बांगुर उसके साथ है, सूर्या के पास कुछ सुपर पॉवर भी हैं लेकिन सूर्या उनसे अनजान है। सूर्या कैसे इन सब मुश्किलों का मुकाबला करेगा? क्या होगा उसके पॉवर का ? कैसे पूरा करेगा वो अपना सपना ? इसे आप स्टोरीटेल पर सुन सकते हैं। स्टोरीटेल पर दलित साहित्य पर फिक्शन से लेकर बायोग्राफी, तथा क्लासिक ऑडियो बुक्स अलग-अलग शैली में उपलब्ध हैं ।
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