चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता सुनील सिंह ने ईश मधु तलवार द्वारा संगीतकार दान सिंह को खोजने के संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा " वो तेरे प्यार का गम एक बहाना था सनम, अपनी किस्मत ही कुछ ऐसी थी कि दिल टूट गया' यह एक गीत की पंक्तियां है। यह गीत दर्द भरी थी। सत्तर के दशक बनी फिल्म 'माई लव' की यह गीत है. इस गीत पर बड़ी प्यारी संगीत संगीत दान सिंह ने दी थी। . इसकी धुन इतनी प्यारी थी कि उस जमाने में यह गीत लोगों की गुनगुनाहट में समा गयी थी। आज भी लोग गम और दर्द की चर्चा की चर्चा होती है यह गीत आज भी गुनगुनाये जाते हैं। गम और दर्द की समंदर में डुबा देने वाले संगीतकार दान सिंह को शायद ही कोई जानता था। यहां तक लोग जानते थे वह मर गये। इस हीरा से दुनिया को परिचित कराने वाले वरिष्ठ पत्रकार थे ईश मधु तलवार। . दअसल तलवार एक गीत को गुनगुना रहे थे। गीत था 'जिक्र होता है जब कयामत का तेरे जलवों की बात होती है, तू जो चाहे तो दिन निकलता है, तू जो चाहे तो रात होती है। उनके किसी दोस्त ने उनसे पूछा कि इस गीत की धुन किसने दी? वह नहीं जानते थे। उसी दोस्त ने बतलाया कि दान सिंह ने संगीत दी है। फिर तलवार उनकी खोज में निकल गये। दान सिंह जयपुर के रहने वाले थे। एक पत्रकार की भूमिका में दान सिंह को दुनिया के समक्ष लाये.उनका साक्षात्कार नभाटा में प्रकाशित हुआ. तलवार ने जिस किताब को लिखी उसका नाम था," ‘वो तेरे प्यार का गम"। इसका विमोचन 2012 के दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में मशहूर अभिनेता इरफान और शीर्ष गीतकार इरशाद कामिल ने किया था। इसके अलावे उन्होंने मशहूर कहानी संग्रह 'लाल बजरी की सड़क'और उपन्यास ‘रिनाला खुर्द’ लिखीं। रिनाला खुर्द भारत पाकिस्तान बंटवारा पर आधारित है. उन्होंने दो नाटकों- ‘लयकारी’ और ‘फेल का फंडा' लिखा।सांभर झील जो "राजस्थान की साल्ट लेक" कहलाता है पर वृत चित्र का भी निर्माण किया।"
बिहार प्रगतिशील लेखक संघ के उपमहासचिव अनीश अंकुर ने कहा " ईश मधु तलवार लेखक व संगठक के दुर्लभ सहयोग थे। अमूमन लेखन कार्य मे व्यस्त रहने का बहाना बनाकर बड़े लेखक सांगठनिक कार्यों के प्रति उदासीन रहा करते हैं। ईश मधु तलवर से मेरी पहली भेंट ' पाखी' पत्रिका द्वारा आयोजित महोत्सव में 2015 में हुई थी। वे 2018 में पटना आये जब कार्ल मार्क्स की दो सौंवीं तथा राहुल सांकृत्यायन की 125 वीं वर्षगांठ आयोजित किया गया था। इसके अलावा उनके नेतृत्व में आयोजित जयपुर के समानांतर साहित्य महोत्सव तथा प्रलेस के राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने का मौका मिला था। " स्मृति सभा की अध्यक्षता करते हुए भारतीय सांस्कृतिक सहयोग व मैत्री संघ ( इसक्फ) के राज्य महासचिव रवींद्रनाथ राय ने कह " बाजार संस्कृति व साहित्य को हमेशा खरीदने व प्रभावित करने की कोशिश करता रहा है। कॉरपोरेट भारतीय साहित्यकारों को जयपुर महोत्सव के नाम पर खरीदने की कोशिश कर रहा था तब ईश मधु तलवार एक चट्टान की भांति खड़े होकर उस चुनौती का मुकाबला किया।" स्मृति सभा में प्रगतिशील लेखक संघ के पूर्व महासचिव राजेन्द्र राजन और फिल्मकार अविनाश दास के ईश मधु तकवार पर भेजे गए सन्देश को पढ़कर जयप्रकाश ने सुनाया। सभा को पत्रकार व साहित्यकार नीलांशु रंजन, तंजीम-ए-इंसाफ के इरफान अहमद फातमी, रिसर्च स्कॉलर नीरज आदि ने संबोधित किया। स्मृति सभा का संचालन युवा रंगकर्मी जयप्रकाश ने किया। स्मृति सभा में अंत मे एक मिनट का मौन रखा गया। सभा में गौतम गुलाल, कपिलदेव वर्मा, मनोज कुमार मौजूद थे।
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