नयी दिल्ली 07 अक्टूबर, उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को केंद्र सरकार से सवाल किया कि मेडिकल की स्नातकोत्तर कक्षाओं में वर्तमान सत्र में दाखिले के लिए अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए सालाना आठ लाख रुपए तक की आमदनी की सीमा किस आधार पर निर्धारित की गई है। न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार से सवाल किया कि आखिर ओबीसी के लिए ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत नीट-ऑल इंडिया कोटे के लिए आठ लाख रुपए की ही सीमा क्यों रखी गई है। अदालत ने इसका आधार बताने के लिए कहा। शीर्ष अदालत में केंद्र सरकार की ओर से 29 जुलाई को जारी की गई उस अधिसूचना को चुनौती दी गई है, जिसमें देशभर के ओबीसी ईडब्ल्यूएस के लिए एक समान आठ लाख रुपए वार्षिक आमदनी की सीमा तय की गई है। शीर्ष अदालत ने कहा कि मुंबई , बेंगलुरु जैसे महानगरों तथा उत्तर प्रदेश के सुदूर इलाकों में लोगों की सालाना आमदनी का आधार एक कैसे हो सकता है। न्यायालय इस मामले में अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को करेगा।
शुक्रवार, 8 अक्तूबर 2021
सुप्रीम कोर्ट ने आठ लाख की सीमा पर किया सवाल
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