हवन-पजून के साथ प्राचीन हनुमान मंदिर, पांडेयपुर का भव्य श्रृंगार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 16 नवंबर 2021

हवन-पजून के साथ प्राचीन हनुमान मंदिर, पांडेयपुर का भव्य श्रृंगार

  • 151 किलों लड्डू का भक्तों ने लगाया भोग 

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वाराणसी (सुरेश गांधी) धर्म एवं आस्था की नगरी काशी के पांडेयपुर स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में रविवार को श्रीहनुमान जी का भव्य श्रृंगार किया गया। इस मौके पर पूरे मंदिर को तरह-तरह के फूलों एवं रंग बिरंगी आकर्षक विद्युत झालारों से सजाया गया। पूरा मंदिर परिसर दुल्हन की तरह सजा था। सायं 6 बजे हवन के साथ बजरंगबली का विशेष हवन पूजन किया गया। इस दौरान मंदिर कमेटी के सदस्यों ने 151 किलों लड्डू का हनुमानजी को भोग लगाया। मंदिर में अलसुबह से ही हनुमान चालीसा व अन्य भजनों से वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो गया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने बजरंगबली का दर्शन कर सुख-शांति की प्रार्थना की। मंदिर पुजारी के मुताबिक सुबह ब्रह्ममुहूर्त में महाआरती और विशेष श्रृंगार किया गया। मंदिर में सुबह से ही दर्शन और पूजन के लिए भक्तों का तांता लगा रहा। इस मौके पर व्यापार मंडल, पांडेयपुर के अध्यक्ष एवं व्यापारी नेता मनीष गुप्ता, संतोष जायसवाल, विनय गुप्ता, राजन गुप्ता, प्रदीप जायसवाल, हृदय गुप्ता, शैलेस गुप्ता, महेश गुप्ता, सत्तन यादव, राजेश गुप्ता, दिलीप जायसवाल, कैलाश कन्नौजिया, छेदीलाल पटेल, अनिल लोकवानी, संतोष गुप्ता, रोहित विश्वकर्मा, गणेश जायसवाल, हर्ष जायसवाल, विजय गुप्ता व अजय गुप्ता आदि का योगदान सराहनीय रहा।   


रोने मात्र से मिल जाता है  कष्‍टों से छुटकारा 

कभी अपने आराध्य की रक्षा तो कभी अपने भक्तों का संकट हरने, समय-समय पर बजरंगबली ने कई रुप धरे है। कुछ ऐेसा ही हुआ है तीनों लोकों में न्यारी, सांस्कृतिक धरोहरों की विरासत केन्द्र के साथ खूबसूरत मंदिरों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर भगवान भोलेनाथ के त्रिशूल पर बसी काशी में। काशी के पांडेपुर में विराजमान है प्राचीन हनुमान मंदिर। यहां बजरंगबली हनुमान बिल्कुल छोटे रुप में हैं। लेकिन पूरी आन-बान-शान से स्थापित इस हनुमान मूर्ति देख भक्त तो मोहित हो ही जाते है, केशरी नंदन भी देते है खुशियों का वरदान। कहते है यहां तमाम मुसीबतों से हैरान-परेशान इंसान अगर बजरंगबली के सामने रोते-बिलखते कहता है तो उसकी सारे कष्ट पल में दूर हो जाते हैं। इसीलिए इन्हें रोअनवा महावीर के नाम से भी जाना जाता है। सवापाव लड्डू की चढ़ावे व हनुमान चालिसा पढ़ने मात्र से ही हो जाते है बजरंगबली प्रसंन। फिर चाहे बात बुरी नजर की हो या शनि के प्रकोप से मुक्ति की। भक्तों को देते है रक्षा कवच, डाक्टर-इंजिनियर, गीत-संगीत व परीक्षा में उत्तीर्ण होने का वरदान। हर मंगलवार और शनिवार को हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं का दर्शन को तांता लगा रहता है। मान्यता है कि जो भक्त अपनी पीड़ा या यू कहे कष्ट को उनके सामने रो-रोकर कहता है उसकी सारी मुसीबत पल भर में दूर हो जाती है। उसे मिल जाता है हर इच्छा पूरी होने का आर्शीवाद। तभी तो यहां सुबह से लेकर शाम तक लगा रहता है भक्तों का जमघट। छात्र हो या व्यापारी हर तबका सुबह जरुर रोअनवा महाबीर को याद कर करता है अपनी दिनचर्या की शुरुवात। कहते है पचकोशी यात्रा के दौरान हर भक्त यहां जरुर ठहरते व रुकते थे। बगैर मंदिर में मत्था टेके उनकी पूरी नहीं होती थी यात्रा। मंदिर के पीछे अखाड़ा हुआ करता, जहां से एक-दो नहीं सैकड़ों पहलवान निकलकर देश में अपना नाम रोशन कर चुके हैं।

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