‘मैंने अपना काम दिल से किया, ये सम्मान काशी के लोगों का’ : पं. छन्नूलाल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 8 नवंबर 2021

‘मैंने अपना काम दिल से किया, ये सम्मान काशी के लोगों का’ : पं. छन्नूलाल

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वाराणसी (सुरेश गांधी) किराना घराना, बनारस गायकी और ठुमरी के लब्धप्रतिष्ठ गायक पद्म भूषण अलंकरण से सम्मानित पं. छन्नूलाल मिश्र अब पद्म विभूषण से भी सम्मानित हो गए। सोमवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में महामहिम रामनाथ कोविंद ने कला के क्षेत्र में दिए गए योगदान के लिए पं. छन्नूलाल मिश्र को पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया। वे ख्यातिलब्ध तबला वादक गुदई महाराज के पोते हैं। उनको यह प्रतिष्ठित सम्मान दिए जाने पर वाराणसी के लोगों में हर्ष की लहर दौड़ गई। इस खुशी में उनके घर बधाई देने वालों का तांता लग गया। पुरस्कार मिलने पर खुशी जताते हुए पं. छन्नूलाल मिश्र ने पद्मविभूषण सम्मान भगवान शिव, संगीत और शहीदों को समर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने अपना काम बखूबी निभाया। पुरस्कार को गर्व का विषय बताते हुए उन्होंने कहा कि मूल रूप से यह संगीत का सम्मान है। यह सम्मान काशी के लोगों के लिए है।  उन्होंने कहा कि पद्म विभूषण के इस सम्मान को मैं काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ, काशी की विराट संगीत परंपरा और उन शहीद जवानों को समर्पित करता हूं जिनकी कुर्बानियों के प्रतिफल आज देश केकरोड़ों लोग सुरक्षित है। पं. छन्नूलाल मिश्र को इससे पूर्व 31 मार्च 2010 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल ने पद्मभूषण से अलंकृत किया था। वह शास्त्रीय संगीत के चंद ऐसे कलाकारों में हैं जिन्हें पद्मश्री के बजाय पद्मभूषण प्रदान किया गया। पद्मभूषण के बाद पद्मविभूषण सम्मान मिलने से बनारस घराने के सम्मान में बढ़ोतरी हुई है। पं. छन्नूलाल मिश्र को खयाल, ठुमरी, भजन, दादरा, कजरी और चैती जैसे लोकगीत विधाओं के गायन के लिए देश-दुनिया में जाना जाता है। तीन अगस्त 1936 को आजमगढ़ में जन्मे पं. छन्नूलाल मिश्र को वर्ष 2010 में पद्मभूषण और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार व यश भारती से भी सम्मानित किया जा चुका है। छन्नूलाल मिश्र ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन में शीर्ष ग्रेड कलाकार रह चुके हैं। वह संस्कृति मंत्रालय के सदस्य भी रहे हैं। उनके दादा गुदई महाराज शांता प्रसाद प्रसिद्ध संगीतकार थे। छह साल की उम्र से ही पं. मिश्र ने अपने पिता बद्री प्रसाद मिश्र से संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी। किराना घराने के उस्ताद अब्दुल गनी खान से भी उन्होंने शिक्षा ली। 


देश के कई पुरस्कारों से सम्मानित

संगीत की अनन्य सेवा के लिए उन्हें देश के कई प्रतिष्ठित सम्मानों और  पुरस्कारों से अलंकृत किया जा चुका है। 23 मार्च 2013 को उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार ने यशभारती से सम्मानित किया था। 23 दिसंबर 2017 को अवधेश प्रताप विश्वविद्यालय रीवां, मध्य प्रदेश ने उन्हें डीलिट् की मानद उपाधि प्रदान की थी। इसके अतिरिक्त उन्हें संगीत शिरोमणि, संगीत मार्तंड, यूपी रत्न, पं. ओंकारनाथ स्मृति अवार्ड, संगीतश्री, गायनाचार्य, नाद भूषण, पं. रविशंकर स्मृति अवार्ड, कुमार गंधर्व स्मृति अवार्ड सम्मान प्रदान किए जा चुके हैं। संगीत जगत में पं. छन्नूलाल मिश्र से पूर्व विश्वविख्यात सितारवादक पं. रविशंकर, शहनाई नवाज उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, तबला वादक पं. किशन महाराज और शास्त्रीय गायिका विदुषी गिरिजा देवी को पद्म विभूषण से अलंकृत किया जा चुका है। 


तीन और लोगों मिलेगा पद्मश्री  

काशी की तीन विभूतियों को पद्मश्री सम्मान दिया जाएगा। इसमें प्रो. रामयत्न शुक्ल, किसान चंद्रशेखर सिंह और डोमराजा स्व. जगदीश चौधरी शामिल हैं। काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष प्रो. रामयत्न शुक्ल को संस्कृत की सेवा के लिए पुरस्कृत किया जा रहा है। वहीं किसान चंद्रशेखर सिंह को कृषि क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए पद्मश्री सम्मान दिया जाएगा। डोम राजा स्व. जगदीश चौधरी को मरणोपरांत पद्म श्री सम्मान दिया जाएगा। उनके पुत्र ओम चौधरी (16) राष्ट्रपति द्वारा नौ नवंबर को राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री सम्मान ग्रहण करेंगे। 

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