रांची : ईसाई समुदाय खासकर झारखंडियों में खासा आक्रोश व्याप्त - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 17 नवंबर 2021

रांची : ईसाई समुदाय खासकर झारखंडियों में खासा आक्रोश व्याप्त

  • ईसाई समुदाय खासकर झारखंडियों में खासा आक्रोश व्याप्त

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रांची. ईसाई समुदाय प्रत्येक साल 5 जुलाई और 15 नवंबर को दुख व्यक्त करेंगे.उस दिन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की मौत हुई थी.दोनों मिशनरी थे और मानव कल्याण करने के मिशन से जुड़े थे.एक थे विख्यात येसु समाज से जुड़े फादर स्टेन स्वामी और दूसरी सिस्टर ऑफ चैरिटी ऑफ जीसस एंड मैरी मण्डली से जुड़ी सिस्टर वाल्सा जौन.फादर स्टेन स्वामी को 5 जुलाई 2021 को संस्थागत हत्या कर दी गई.वहीं सिस्टर वाल्सा जौन 15 नवंबर 2011 को नक्सलियों ने मिलकर हत्या कर दी. इस तरह 10 साल के अंदर ईसाई समुदाय खासकर झारखंडियों में खासा आक्रोश व्याप्त है.


फादर स्टेन स्वामी की मौत को 'संस्थागत हत्या' बताया

जेल में बंद एल्गार के कैदियों ने फादर स्टेन स्वामी की मौत को 'संस्थागत हत्या' बताया है. इसके लिए उन्होंने नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी (NIA) और तलोजा जेल के सुप्रिंटेंडेंट कौस्तुभ कुरलीकर को जिम्मेदार ठहराया है. जेल में बंद एल्गार के कैदियों ने इसे 'संस्थागत हत्या' बताया है. इसके लिए उन्होंने नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी (NIA) और तलोजा जेल के सुप्रिंटेंडेंट कौस्तुभ कुरलीकर को जिम्मेदार ठहराया है.  तलोजा जेल में बंद कैदियों का मानना है कि NIA और कौस्तुभ कुरलीकर ने फादर स्टेन स्वामी (Father Stan Swamy) को उत्पीड़ित करने का एक भी मौका नहीं छोड़ा. चाहे वो जेल के अंदर मिलने वाला इलाज हो या फिर अस्पताल से जेल लाने की जल्दबाजी हो या फिर सिपर जैसी मामूली चीजों का विरोध करना हो. उनका कहना है कि इन्हीं सब वजहों से फादर स्टेन स्वामी की जान ली.  उन्होंने NIA के अफसरों और कौस्तुभ कुरलीकर के खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाने की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने स्टेन स्वामी की हत्या को 'संस्थागत हत्या' बताते हुए इसकी न्यायिक जांच (Judicial Enquiry) की भी मांग की है. उनका कहना है कि वो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को इन्हीं सब मांगों को लेकर एक लेटर भी भेजने वाले हैं.  मुंबई की तलोजा सेंट्रल जेल में बंद स्टेन स्वामी की तबीयत काफी दिनों से खराब चल रही थी. उन्होंने इसके लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में जमानत याचिका (Medical Bail) भी दायर की थी, लेकिन उन्हें जमानत नहीं मिल सकी. हाईकोर्ट के आदेश पर उन्हें मुंबई के होली फैमिली अस्पताल (Holy Family Hospital) में भर्ती कराया गया था. उनकी कोविड रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी. 4 जुलाई को उन्हें कार्डिएक अरेस्ट (Cardiac Arrest) आया था, जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. लेकिन 5 जुलाई की दोपहर 1.30 बजे उन्होंने दम तोड़ दिया. उन्हें पार्किंसन नाम की बीमारी भी थी. 


पिछले साल अक्टूबर में हुए थे गिरफ्तार

फादर स्टेन स्वामी को NIA ने पिछले साल अक्टूबर में गिरफ्तार किया था. उन्हें भीमा कोरेगांव हिंसा (Bhima Koregaon Case) से जुड़े एल्गार परिषद केस के मामले में गिरफ्तार किया गया था. उनके ऊपर UAPA की कई धाराएं लगाई गई थीं. NIA ने दावा किया था स्टेन स्वामी के संबंध प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) से हैं और 1 जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव में जो हिंसा भड़की थी, उसकी एक वजह एल्गार परिषद का कार्यक्रम भी था, जिसमें स्टेन स्वामी ने कथित तौर पर भड़काउ भाषण दिया था. हालांकि, स्टेन स्वामी अक्सर इन आरोपों को नकारते रहे.


सिस्‍टर वल्सा की हत्‍या में नक्सिलयों का हाथ

सिस्टर वल्सा जॉन की हत्या में नक्सलियों का हाथ है.संताल परगना के आइजी ने अमड़ापाड़ा थाना परिसर में इस हत्याकांड का खुलासा करते हुए कहा कि वल्सा की हत्या में तीन प्रमुख कारण रहे हैं- ग्रामीणों का विरोध, नक्सलियों का सहयोग व सूरजमुनी दुष्कर्म मामले में वालसा का हस्तक्षेप.उन्होंने बताया कि वल्सा की हत्या मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इन सातों को पुलिस शीघ्र रिमांड पर लेकर और पूछताछ की.घटना के बाबत उन्होंने बताया कि सिस्टर वल्सा की इलाके में पैठ से पचुबेड़ा गांव के प्रधान बैनाज हेम्ब्रम का बेटा पाइसिल हेम्ब्रम परेशान था. कारण यह कि वह जानता था कि उसके पिता के बाद वह ही वहां का (प्रधान) बनेगा. ऐसे में बाहरी महिला वल्सा उस गांव में अपनी पैठ कैसे बना सकती है? दूसरी ओर गांव के रंजन मरांडी के साथ भी वल्सा की नहीं बनती थी.इसी बीच सुरजमुनी दुष्कर्म मामला प्रकाश में आ गया.पुलिस ने बताया कि गांव वाले जो वल्सा के विरोधी थे, वे इस मामले को गांव में ही पंचायती द्वारा निपटाना चाहते थे.लेकिन वल्सा इस मामले को थाने तक ले जाना चाहती थी. इससे गांव में विरोध के स्वर बुलंद हो गए. इसी का लाभ उठा प्रधान बैनाज हेम्ब्रम का बेटा एवं रंजन मरांडी ने घटना की तिथि से एक-दो दिन पूर्व ही नक्सली रामलाल राय एवं एरिया कमांडर रमेश सोरेन को गांव में बुलाकर वल्सा के विरुद्ध बैठक की.इस बैठक के बाद 15 नवंबर की रात 45 की संख्या में अज्ञात ने इस घटना को अंजाम दिया.


सिस्टर वल्सा जौन की हत्या के दस साल

झारखंड की स्थापना दिवस है 15 नवंबर 2000. अब 21 साल का हो गया झारखंड.बिरसा भगवान के जन्मदिन 15 नवंबर के दिन ही सिस्टर वल्सा की हत्या कर दी गयी.आज दस साल के बाद भी आदिवासी स्वयं को उपेक्षित महसूस करते हैं. झारखंड जिले के पाकुड़ में सिस्टर वल्सा जौन मालमेल की हत्या कर दी गयी. 15 नवंबर,2011 को सिस्टर वल्सा की हत्या 40 गांववालों के ग्रुप ने पीट−पीटकर कर दी थी. पुलिस के मुताबिक माओवादी एक बड़ी कंपनी से लेवी वसूलना चाहते थे लेकिन सिस्टर वल्सा ऐसी चीजों का विरोध कर रहीं थी.माओवादी के साथ गांववाले मिलकर हत्या का अंजाम दिए. आज दस साल पहले सिस्टर वल्सा जौन की हत्या कर दी गयी.एक गांव में मार दिया गया था. जिन आदिवासियों के बीच उन्होंने काम किया, वे कहते हैं कि वे अब भी अनाथ महसूस करते हैं."हम दयनीय स्थिति में हैं क्योंकि अब कोई भी हमारी मदद करने के लिए नहीं है,". सिस्टर वल्सा झारखंड राज्य में आदिवासी लोगों की भूमि और अधिकारों की रक्षा के लिए भारी कोयला खनन के हितों से जुड़े प्रयासों से जुड़ी थीं. सिस्टर ऑफ चैरिटी ऑफ जीसस एंड मैरी मण्डली की सिस्टर को लगभग 11 बजे रात में पुरुषों के एक दल द्वारा काट दिया गया था.15 नवंबर, 2011 को संथाली आदिवासी क्षेत्र के केंद्र में पचवारा गांव में उसकी छोटी झोपड़ी के अंदर.उस समय वह 53 की थीं.

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