ग्लासगो ब्रेकथ्रू पैकेज के सहयोग से अगले एक दशक के दौरान हम ट्रकिंग, भोजन और कृषि, विमानन, शिपिंग तथा अन्य क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तनकारी रुख उत्पन्न होने की अपेक्षा कर सकते हैं। ग्रांथम रिसर्च इंस्टीट्यूट के चेयरमैन निकोलस स्टर्न ने कहा "द पेरिस इफेक्ट ने वर्ष 2020 में स्पष्ट कर दिया था कि कमजोर या देर से कदम उठाए जाने से न सिर्फ विनाशकारी क्षमता वाले जलवायु संबंधी जोखिम उत्पन्न होते हैं बल्कि इससे अर्थव्यवस्थाओं के समृद्धि की अगली लहर के निर्माण में पिछड़ जाने का खतरा भी होता है। द पेरिस इफेक्ट सीओपी26 संस्करण में इस बात को रेखांकित किया गया है कि अनेक मोर्चों पर प्रौद्योगिकीय नवोन्मेष की रफ्तार तेज हो रही है और बढ़ते निवेश तथा महत्वाकांक्षाओं की इसमें व्यापक भूमिका है। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि हमें विकासशील देशों के पक्ष में पूंजी संबंधी कदमों को तेज करने के लिए काफी कुछ करना बाकी है। यह काम काफी कम लागत पर दीर्घकालिक निजी पूंजी के अपेक्षाकृत अधिक प्रवाह को संभव बनाने के लिए डिजाइन किए गए अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक वित्त के रचनात्मक संयोजनों के जरिए किया जाएगा।" मगर रिपोर्ट में पाया गया है कि कुछ मोर्चों (जैसे कि सौर/वायु+स्टोरेज, इलेक्ट्रिक वाहन, पादप-आधारित मांस, ग्रीन स्टील) पर तेजी से प्रगति हो रही है, मगर कुछ अन्य क्षेत्रों (जैसे कि ऊर्जा दक्षता, हीट पम्प, प्रकृति आधारित समाधानों का वित्तपोषण, कार्बन का प्रत्यक्ष समापन) में बदलाव की रफ्तार बहुत धीमी है।
रिपोर्ट में उल्लिखित मुख्य प्रमाण:
· कम कार्बन उत्सर्जन वाले समाधानों की तरफ बढ़ने की दिशा अब स्पष्ट होने के साथ ही उच्च कार्बन उत्सर्जनकारी अवसंरचनाओं से आने वाले दशकों में तीव्र अवसंरचना क्षरण के खतरे उत्पन्न हो जाएंगे। इससे उच्च कार्बन उत्सर्जन करने वाले मूलभूत ढांचे में आगे किया जाना वाला निवेश बेहद जोखिम भरा हो जाएगा।
· दीर्घ-चक्रीय तेल सम्बन्धी योजनाओं के लिये उधार की लागत अब 20 प्रतिशत से अधिक हो गयी है, जबकि अक्षय ऊर्जा में निवेश के लिये यह 3-5 प्रतिशत है, यह 80 डॉलर प्रति टन कार्बन कर के बराबर है जो ऊर्जा निवेश के लिये एक नये मोड़ की शुरुआत है।
· हाइड्रोकार्बन बनाम अक्षय ऊर्जा विकास के लिए पूंजी की लागत में पिछले 5 वर्षों में नवीकरणीय ऊर्जा के पक्ष में 10 प्रतिशत अंक की वृद्धि हुई है।
· 131 देशों ने अब नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की है। दुनिया में होने वाले कुल उत्सर्जन में इन देशों की भागीदारी 73% है, जो पिछले साल 57% और 2017 में सिर्फ 6% थी। उद्योग क्षेत्र ने इस मामले में तेजी पकड़ी है। 3000 से अधिक प्रमुख व्यवसायों और दुनिया के 173 सबसे बड़े निवेशकों ने यही लक्ष्य अपनाया है।
· पिछले वर्ष के दौरान, सभी तरह की नई बिजली उत्पादन क्षमता का 80% से अधिक हिस्सा अक्षय ऊर्जा का था। इनमें से 91% हिस्सेदारी नए सौर और वायु बिजली संयंत्रों की थी। वर्ष 2020 में, इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़कर 3 मिलियन या वैश्विक बाजार का 4% हो गई, जिसमें अब 330 पूर्ण इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड मॉडल उपलब्ध हैं।
· अगले 25 वर्षों में नेट जीरो ऊर्जा प्रणाली के निर्माण से वैश्विक अर्थव्यवस्था को 26 ट्रिलियन डॉलर का शुद्ध लाभ होगा।
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