बिहार : धान, गेहूं और मक्का की उत्पादकता दोगुनी हुई, सब्जी और फल का भी उत्पादन बढ़ा : नीतीश - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 7 नवंबर 2021

बिहार : धान, गेहूं और मक्का की उत्पादकता दोगुनी हुई, सब्जी और फल का भी उत्पादन बढ़ा : नीतीश

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पटना : डॉ० राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, पिपराकोठी ( पूर्वी चंपारण) परिसर में आयोजित द्वितीय दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि अमेरिका के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक हेनरी फिप्स ने एग्रीकल्चर रिसर्च संस्थान की स्थापना की थी। फिप्स ऑफ यू०एस०ए० के नाम पर ही पूसा का नामकरण हुआ। वर्ष 1934 में भूकंप आने के बाद यह संस्थान दिल्ली चला गया और वहां भी इसका नाम पूसा ही रखा गया। वर्ष 1970 में डॉ० राजेंद्र प्रसाद के नाम पर राज्य सरकार द्वारा डॉ० राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2007-08 में डॉ० राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय को केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय बनाने की हमलोगों ने पहल की। उस समय के महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली श्री मंगला राय जी से इस पर विचार विमर्श हुआ। हमलोगों ने उस समय भी प्रधानमंत्री जी को इस संबंध में पत्र लिखा था। उस समय की सरकार ने केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने के लिए कई शर्तों रखीं, जिसे हमलोगों ने स्वीकार किया और अंततोगत्वा वर्ष 2016 में डॉ० राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2005 में जबसे हमें काम करने का मौका मिला है कृषि के क्षेत्र में हमलोगों ने कई कार्य किए हैं। वर्ष 2010 में कृषि विश्वविद्यालय, सबौर की स्थापना की गयी। वर्ष 2016 में पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी। वर्ष 2008 में पहला कृषि रोडमैप, 2012 में दूसरा कृषि रोडमैप और वर्ष 2017 में तीसरा कृषि रोडमैप बनाया गया। कृषि रोडमैप के आधार पर कृषि के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए। धान, गेहूं और मक्का की उत्पादकता दोगुनी हुई। सब्जी और फल का भी उत्पादन काफी बढ़ा।


वर्ष 2012 से कृषि एवं उससे संबद्ध इंस्टीच्यूट में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को 2000 रुपये प्रतिमाह की दर से मदद दी जा रही है। साथ ही उन्हें 6000 रुपए वार्षिक रूप से पुस्तक आदि खर्च के लिए दिया जाता है। सभी छात्र-छात्राओं को हमलोग इसी तरह से सहयोग करते रहेंगे। हमलोगों की इच्छा है कि कृषि के क्षेत्र में वे पढ़ें और आगे बढ़ें, यह देश और राज्य के हित में है। बिहार में करीब 76 प्रतिशत आबादी की निर्भरता कृषि पर है। देश में आबादी के दृष्टिकोण से बिहार तीसरे स्थान पर और क्षेत्रफल के दृष्टि 12वें स्थान पर है। आबादी नियंत्रण के लिए हमलोग महिलाओं को शिक्षित कर रहे हैं। महिलाओं के शिक्षित होने से प्रजनन दर घटेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम केंद्र में कृषि मंत्री थे तो दुनिया के महान वैज्ञानिक और हरित क्रांति के जनक डॉ० नॉर्मन बोरलॉग को वर्ष 2001 में पूसा ले गए थे। पूसा में ही बोरलॉग इंस्टीच्यूट की एक शाखा स्थापित की गयी। वर्ष 2016 में हम वहां गए थे, जहां मौसम के अनुकूल किए जा रहे कृषि कार्य को देखा था। बाद में हमलोगों ने जल-जीवन हरियाली अभियान की शुरुआत की। मौसम के अनुकूल कृषि की शुरुआत हमलोगों ने 8 जिलों से किया और बाद में इसे सभी 38 जिलों में लागू किया गया। 11 जिलों में डॉ० राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय मौसम के अनुकूल कृषि की देख-रेख कर रहा है। फसल अवशेष प्रबंधन के लिए भी हमलोग कृषकों की सहायता कर रहे हैं। पुआल नहीं जलाने के लिए हमलोग उन्हें प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार को 5 कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है। हमलोग कृषि के कार्य को और आगे बढ़ाते रहेंगे। दीनदयाल उपाध्याय उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय की स्थापना हुई है और आज कई चीजों का उद्घाटन भी हुआ है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में पढ़ाई के लिये ज्यादा से ज्यादा कॉलेज खुले। सारण, औरंगाबाद और मधुबनी में कृषि कॉलेज के लिए हमलोगों ने जमीन भी उपलब्ध करा दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रद्धेय अटल जी की सरकार में जब हम केंद्रीय कृषि मंत्री थे, उस समय वर्ष 2000 में एग्रीकल्चर पॉलिसी लायी गई। अटल जी के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए और अब प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में देश और राज्य विकास कर रहा है। समारोह में उप मुख्यमंत्री रेणु देवी, कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह, गन्ना उद्योग एवं विधि मंत्री प्रमोद कुमार, सांसद एवं पूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह, अन्य जनप्रतिनिधिगणसहित अन्य पदाधिकारीगण, शिक्षकगण, गणमान्य व्यक्ति एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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