बिहार : गंभीरता को समझते हुए बढ़-चढ़ कर अपनी भागीदारी दे रहे हैं - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 18 नवंबर 2021

बिहार : गंभीरता को समझते हुए बढ़-चढ़ कर अपनी भागीदारी दे रहे हैं

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पटना. बिहार में सरकार वैक्सीनेशन (Vaccination) के लिए गंभीर है. सरकार की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों का टीकाकरण हो जिससे लोग कोरोना वायरस (Corona virus) के संक्रमण से बच सकें. सरकार के इस महा अभियान में स्वास्थ्य विभाग का पूरा सहयोग मिल रहा है. डॉक्टर, नर्स और दूसरे स्वास्थ्य कर्मी स्थिति की गंभीरता को समझते हुए बढ़-चढ़ कर अपनी भागीदारी दे रहे हैं. दूसरी ओर बिहार राज्य स्वास्थ्य सोसायटी और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी दफ्तर में लगे एसी के नीचे बैठकर कोरोना टीकाकरण की प्रगति की समीक्षा करते रहते हैं.ऐसे लोग फिल्ड में कार्यशील कार्यकर्ताओं की सुरक्षा पर ध्यान नहीं देते हैं.वहीं प्रत्येक दिन कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के बदले हतोत्साहित करने में लगे रहते हैं. बुधवार को हद हो गया.संपूर्ण विफलताओं का ठीकरा ए.एन.एम.के माथे पर फोड़ दिया.इसके बाद मैसेज को वायरल वाट्सऐप कर दिया.

 वाट्सऐप पर मैसेज पढ़कर बिहार राज्य स्वास्थ्य सोसायटी और स्वास्थ्य विभाग के बाबुओं को ए.एन.एम.दीदीयों ने जमकर करारा जवाब दिया.यह लिखा..महोदय हम ए.एन.एम. लोग देवी के नये अवतार हैं. हमारी दस- दस हाथ जो है.एक हाथ मे वैक्सीन कैरियर, दूसरे हाथ में सिरिंज, तीसरे हाथ में हव कटर, चौथे हाथ मेंअपना बैग, पांचवे हाथ में गेरूआ रंग, छठे हाथ में करेरी, सातवें हाथ में टैलिसीट, आठवें हाथ में क़लम, नौवें हाथ में अभय दान और दसवें हाथ में सरकार के आदेश को लेकर घर- घर बड़े जाना.यह सब कमाल ए.एन.एम.नामक आधुनिक सरकारी देवी लोग कर रही हैं. बाबु लोग समझते हैं कि आधुनिक सरकारी देवी आराम से जाते है.अपने स्री मुख से प्रश्न कर जनता का घर- घर वैक्सीनशन करते है. वहीं हमारे आका लोग एसी में बैठे- बैठे हम सरकारी देवियों के भाग्य लिखते रहते हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि एसी में बाबू लोग बैठ जाते हैं और जो विचार आता है उसको वाट्सऐप पर भेजते रहते हैं. कभी-कभी सरकारी देवियों के बारे में भी सोचे.किस तरह से और किस तरह की तकलीफ को सहते हुए आने वाले जोखिम के बीच काम करते हैं.न साधन और न ही सुरक्षा दी जाती है. ए.एन.एम.दीदी फिल्ड में कैसी जाती है और कब लौटती हैं.पूछने वाला कोई नहीं है.कुछ भी होने पर  ए.एन.एम.दीदीयों को ही दोषी ठहराया जाता है.इस ओर सुधार करने की जरूरत है.

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