- · दर्दपुर की लेखिका क्षमा कौल ने किताब फेस्टिवल में अपनी पुस्तक मूर्ति भंजन के विमोचन के अवसर पर कहा, "मुझे हिंदू होने के लिए मत मारो, मुझे तलवार दो और मैं इससे दस आतंकवादियों को मार दूंगी।"
- · राम पर जो हमारी आस्था है उस सत्य का प्रमुख कारण तुलसीदास ही हैं-ज्योतिष जोशी
- · एक विचारोत्तेजक सत्र भी आया जब खालिद जावेद ने कहा "इंसानो को चेहरे नहीं मौखोटे दिए गए हैं ', कोई भी सुपरमैन नहीं है, हम सभी कमजोर हैं," उन्होंने उन लोगों के संदर्भ में कहा जो कोरोना काल के दौरान अस्तित्व के संकट से गुजरे थे।
नई दिल्ली: प्रभा खेतान फाउंडेशन द्वारा इंडिया इंटरनेशनल सेंटर एनेक्सी में चल रहे किताब फेस्टिवल के अपने तीसरे दिन चार पुस्तकों के विमोचन और लेखकों से बातचीत किया,साथ ही उपस्थित श्रोता भी अपने पसंदीदा लेखकों से रूबरू हुए। तीसरे दिन के सत्रों में दिलचस्प और गंभीर चर्चाएं थीं। पुस्तकों का विमोचन चार सत्रों में किया गया था, जिसमें देशभर से अन्य दर्शकों के लिए प्रभा खेतान फाउंडेशन के यूट्यूब चैनल पर सारे चर्चाओं और मनोरंजक वार्तालापों को ऑनलाइन उपलब्ध किया गया था। सभी सत्रों की शुरुआत और अभिनंदन अहसास वुमन के विभिन्न प्रतिष्ठित सदस्यों द्वारा किया गया साथ ही संबंधित लेखकों और मेहमानों से साक्षात्कार और बातचीत भी गयी। धर्म और राजनीति के इर्द-गिर्द गहन चर्चाओं और बयानों के साथ एक तेज-भरे दिन की शुरुआत हुई जब ज्योतिष जोशी ने आधुनिक समय में तुलसीदास की प्रासंगिकता को समझाया। डॉ. सुनीता से बातचीत में उन्होंने जोर देकर कहा कि जब तक आप में विस्तार से पढ़ने का धैर्य नहीं होगा, तब तक किसी विषय को पूरी तरह से नहीं देखा जा सकता है और अपनी राय नही बनाई जा सकती। राम और रामायण को समग्र रूप से देखने के लिए ईमानदारी से प्रयास किए बिना उनका मजाक न उड़ाएं और उन्हें अस्वीकार न करें। उन्होंने आज के समय और तारीख में तुलसीदास की प्रासंगिकता को समझाने का प्रयास किया है, और एक इंसान के रूप में उन्होंने अपनी नई पुस्तक तुलसीदास का स्वप्न और लोक के माध्यम से हमें कई अनछुए गहन मूल्य प्रदान किए हैं। संवाद आदान-प्रदान के दौरान ज्योतिष जोशी ने कहा "'राम नाम सत्य है' तुलसीदास के पहले नहीं था, राम की सत्यता पर जो श्रद्धा हम रखते हैं वो तुलसीदास जी की वजह से ही है" तुलसीदास के ही दें है कि हम राम की सच्चाई और उनके अस्तित्व पर विस्वास करते हैं। दिन की दूसरी चर्चा अत्यधिक बहस और गरमागरम बातचीत के साथ आगे बढ़ी,जब लेखिका क्षमा कौल ने कश्मीरी नरसंहार और सामूहिक निर्वासन के बारे में अपनी बात रखी। क्षमा कौल की नई किताब ‘मूर्ति भजन’के विमोचन पर उन्होंने कहा, "मुझे हिंदू होने के लिए मत मारो, मुझे तलवार दो और मैं इसके साथ दस आतंकवादियों को मार दूंगी"। उन्होंने विस्तार से बताया कि उनका नया उपन्यास युद्ध जैसी स्थिति की वास्तविक जीवन की तबाही पर आधारित है, जिसे उन्हें दशकों पहले झेलना पड़ा था। और उनका नया उपन्यास कश्मीरी हिंदुओं की त्रासदी के बारे में बात करता है जिनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी, इसे एक नरसंहार कहा जाता है जिसने सामूहिक निर्वासन को जन्म दिया। उन्होंने कहा कि यह भारत के इतिहास की सबसे नृशंस और कोल्ड ब्लड वाली घटना थी । उग्रवादियों और पथराव करने वालों को नौकरी दी गई और हमें अपने घरों और सभी संसाधनों को पीछे छोड़ना पड़ा। उन्होंने आगे कहा कि आतंकवाद ने हमें पूरी तरह से नष्ट कर दिया और इधर-उधर भटकने को मजबूर कर दिया था और कोई भी हमारे बचाव में नहीं आया था। इस बात का और बड़ा दुख है कि जब हम उस जिल्लत वाले जिंदगी से दिल्ली आये तो यहाँ भी हमारे साथ सम्मानजनक व्यवहार नहीं किया, जिस अपेक्षा से हम यहां आये थे। लेखिका ने अपनी बातचीत में अपनी यात्रा पर और कई प्रमुख घटनाओं पर खुलासे किये कि कैसे दिल्ली में कई जगहों पर कश्मीरियों को रोक दिया गया था और कोई भी मदद नहीं करना चाहता था। इस व्यवहार से बहुत पीड़ा हुई थी क्योंकि वह एक हिंदू थी। उस समय कश्मीर में लोगों के लिए गाली देने के लिए 'हिंदू' शब्द एक अपमानजनक शब्द बन गया था। वह उस समय की याद दिलाती है जब उसके पास न पैसा था, न संसाधन और न ही सरकार ने कोई मदद की, उनकी आंखों में आंसू थे। वह उनके उन दर्दनाक यादों और स्थितियों पर ध्यान केंद्रित करवाना चाहती थी, जिसे जर्जर,भयानक दौर से उन्हें गुजरना पड़ा था। कौल ने कहा कि उन्होंने यह किताब इसलिए लिखी है ताकि किसी को दोबारा परेशानी न हो। क्षमा कौल ने इससे पहले दर्दपुर की रचना भी की है।
प्रभा खेतान फाउंडेशन 'किताब फेस्टिवल' के अंतिम दिन का कार्यक्रम
शुक्रवार 17 दिसंबर को 6:30 बजे, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर एनेक्सी
अर्जुन सिंह कादियान द्वारा लिखित लैंड ऑफ द गॉड्स: द स्टोरी ऑफ हरियाणा का लोकार्पण
किताब के विमोचन के बाद बैजयंत जय पांडा और संजीव सान्याल लेखक से बातचीत करेंगे
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