नयी दिल्ली, 02 दिसंबर, उच्चतम न्यायालय ने ‘खतरनाक’ वायु प्रदूषण स्तर पर केंद्र, दिल्ली एवं पड़ोसी राज्य सरकारों को गुरुवार को फटकार लगायी तथा ‘आपात स्थिति’ के लिए ‘आपात उपाये’ करने पर जोड़ देने के साथ-साथ चेतावनी भी दी कि 24 घंटे में कुछ सकारात्मक नहीं किये गये तो वह कोई कड़ा निर्देश पारित करेगा। मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने कहा कि केंद्र, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश सरकार गंभीरतापूर्वक विचार कर वायु प्रदूषण स्तर कम करने ऐसे उपाये शुक्रवार सुबह 10 बजे तक सुझाये, जिनसे स्थिति नियंत्रित की जा सके। पीठ ने कोई ‘स्वतंत्र दल या कमेटी’ के गठन का इशारा करते कहा कि संबंधित सरकारें ठोस उपाये से अवगत कराएं, अन्यथा वह कोई ‘निर्देश’ पारित करेगा। मुख्य न्यायाधीश रमना ने नौकरशाहों के ढीले रवैये की ओर इशारा करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता एवं संबंधित पक्षकारों के वकीलों से कहा कि जब चीजें ठीक से काम नहीं कर रही हैं तो आपको (केंद्र एवं राज्य सरकारों को) रचनात्मक तरीके से काम करना है। पीठ ने दिल्ली में स्कूलों को पुन: खोलने, वायु प्रदूषण फैलाने वाले प्रमुख कारकों -औद्योगिक इकाइयों और वाहनों- के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई नहीं करने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की। अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार के उन दावों को खारिज कर दिया, जिनमें प्रदूषण कम करने के तमाम उपाय किये जाने की बात कही गई।
शीर्ष अदालत ने नौकरशाहों के कामकाज के तरीकों पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े किए और कहा कि जब तमाम उपाय किए जा रहे हैं तो प्रदूषण का स्तर क्यों बढ़ रहा है। ‘कमिशन फॉर एयर क्वॉलिटी मैजेमेंट’ और इसके 20-30 सदस्य होने की उपयोगिता क्या है? यह और कुछ नहीं सिर्फ राजकोष पर एक तरह के बोझ हैं। पीठ ने गुरुवार के गंभीर स्तर 429 वायु गुणवत्ता सूचकांक पर चिंता और नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, “हमारे आदेशों के बावजूद प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। ये प्रदूषण कहां से आ रहा है?” पीठ के कड़े रुख को देखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जानवेला प्रदूषण को लेकर सरकार भी अदालती की तरह चिंतित है। एक दिन का समय दिया जाये ताकि वह संबंधित विभागों के परिष्ठ अधिकारियों से विचार विमर्श कर सके। सर्वोच्च अदालत ने केंद्र, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार और अन्य पक्षकारों से कहा, “हम आपको 24 घंटे का समय दे रहे हैं। हम चाहते हैं कि इस बीच आप गंभीरता से विचार कर ठोस समाधान निकालें और उनसे हमें अवगत कराये।” मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्य खंडपीठ ने कहा, “हम कल सुबह 10 बजे 30 मिनट के लिए सुनवाई कर सकते हैं। आप हमें प्रदूषण रोकने के उपायों के अगले चरणों के बारे में अवगत कराएं, अन्यथा हम कोई ‘निर्देश’ पारित करेंगे।” शीर्ष अदालत ने खतरनाक प्रदूषण स्तर के बीच स्कूलों को खोलने की इजाजत पर गंभीर सवाल उठाए और इसके लिए दिल्ली सरकार की खिंचाई की। मुख्य न्यायाधीश ने दिल्ली सरकार से पूछा कि प्रदूषण के मद्देनजर जब व्यस्कों को घर से काम करने की इजाजत (वर्क फ्रॉम होम) है तो तीन-चार साल तक के बच्चों को स्कूल जाने पर मजबूर क्यों किया जा रहा है? दिल्ली सरकार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि विशेषज्ञों की राय पर स्कूल खोले गए हैं, जिसमें बताया था कि बच्चों के स्कूल नहीं जाने की वजह से उनके सीखने की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। अदालत ने फिर पूछा कि प्रदूषण कम करने के उपायों का क्या हुआ? श्री सिंघवी ने कहा कि नवंबर में प्रदूषण फैलाने वाले 1500 से अधिक वाहन जब्त किए गए हैं।
सरकार के दावों से नाखुश पीठ ने कहा कि हमें लगता है कि जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हो रहा है, क्योंकि प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। हमें लगता है कि हम अपना समय बर्बाद कर रहे हैं। न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने कहा कि पर्यावरण के नाम पर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के प्रयास सड़कों नजर आ रहे हैं। ‘पर्यावरण बचाओ’ के बैनर लेकर लोग सड़कों दिखाई देते हैं लेकिन प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। याचिकाकर्ता स्कूली छात्र आदित्य दुबे का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने केंद्र सरकार के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य जारी रहने पर एक बार फिर आपत्ति दर्ज करायी और कहा कि लोगों के स्वास्थ्य की कीमत पर विकास नहीं हो सकता। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब हम इंडिया गेट पर जाते हैं तो चारों ओर धूल उड़ रही होती है। ऐसे में निर्माण गतिविधियों पर अदालती रोक के आदेश का क्या मतलब हैं? उन्होंने कहा कि आज दिल्ली का वायु प्रदूषण स्तर 500 एक्यूआई है। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल श्री मेहता से हरियाणा में प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों पर कार्रवाई किए जाने पर सवाल पूछे। गौरतलब है कि दिल्ली और केंद्र सरकार की ओर से लगातार शीर्ष अदालत में ये दावे किए जा रहे हैं कि वो राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण कम करने के लिए लगातार ठोस प्रयास कर रही है। केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दायर कर कहा गया था कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में निर्माण गतिविधियों के मद्देनजर प्रदूषण कम करने के तमाम एहतियाती उपाय किए जा रहे हैं। इस निर्माण कार्य की कार्यों की वजह से प्रदूषण नहीं फैल रहा है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय महत्व कार्य बताते हुए केंद्र सरकार ने कहा था कि यहां प्रदूषण रोकने के तमाम ऐतिहासिक उपाय किए गए हैं। शीर्ष अदालत की फटकार के बाद दिल्ली सरकार ने गुरुवार को स्कूलों को अगले आदेश तक बंद करने का आदेश जारी किया।
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