चुनाव प्रबंधन में विशेषज्ञता साझा करने को तैयार है भारत : मोदी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 10 दिसंबर 2021

चुनाव प्रबंधन में विशेषज्ञता साझा करने को तैयार है भारत : मोदी

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नयी दिल्ली 10 दिसंबर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की ओर से विश्व के अन्य देशों को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने की विशेषज्ञता तथा नवान्वेषी डिजीटल सोल्यूशन के शासन में पारदर्शिता के उपाय साझा करने की आज पेशकश की और सोशल मीडिया एवं क्रिप्टो करंसी जैसी उभरती तकनीक के बारे में मिलकर वैश्विक नियम बनाने का आह्वान किया। श्री मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जोसेफ आर बिडेन द्वारा आयोजित लोकतंत्र शिखर सम्मेलन में वीडियाे कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘भारत का राष्ट्रीय वक्तव्य’ पढ़ते हुए यह आह्वान किया। श्री मोदी ने कहा कि विश्व के विभिन्न देश लाेकतांत्रिक विकास के अलग अलग मार्ग पर चल रहे हैं। हम एक दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं। हमें अपने लोकतांत्रिक व्यवहार एवं प्रणाली में निरंतर सुधार करते रहने की जरूरत है। हमें समावेशन, पारदर्शिता, मानव गरिमा, शिकायत निवारण और सत्ता का विकेन्द्रीकरण के लगातार बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “भारत स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने की विशेषज्ञता और नवान्वेषी डिजीटल सोल्यूशन्स के माध्यम से शासन के सभी क्षेत्रों में पारदर्शिता बढ़ाने के उपायों को साझा करके खुशी होगी।” उन्होंने कहा कि हमें मिल कर सोशल मीडिया एवं क्रिप्टो करंसी जैसी उभरती तकनीक के प्रयोग को लेकर वैश्विक नियम बनाना चाहिए। क्योंकि ये तकनीक लोकतंत्र के सशक्तीकरण के लिए उपयोगी हैं। उन्होंने कहा कि एक साथ मिल कर काम करके लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं हमारे नागरिकों की आकांक्षाओं को पूरा कर सकते हैं और मानवता की लोकतांत्रिक भावना का उत्सव मना सकते हैं। भारत इस सद्कार्य के लिए अन्य लोकतांत्रिक देशों के साथ मिल कर काम करने का इच्छुक है। श्री मोदी ने कहा कि उन्हें इस शिखर सम्मेलन में विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए गर्व हो रहा है। हमारे नागरिकों के लिए लोकतांत्रिक भावना हमारी सभ्यता के मूल्य हैं। ढाई हजार वर्ष पहले लिच्छवी एवं शाक्य राज्यों में निर्वाचित गणतंत्रात्मक शासन होता है। दसवीं शताब्दी में उत्तरामेरुर प्रस्तरखंड में लोकतांत्रिक सिद्धांतों को लिखा गया था। प्राचीन भारत में लोकतंत्र बहुत समृद्ध था। औपनिवेशक शासनकाल भारत के लाेगों की लोकतांत्रिक भावना का दमन नहीं कर पाया और बीते 75 वर्षों में लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण की एक अतुलनीय गाथा लिखी गयी है। यह गाथा प्रत्येक क्षेत्र में अभूतपूर्व सामाजिक आर्थिक समावेशन की है। इसने दिखा दिया है कि लोकतंत्र परिणामकारी हो सकता है और लोकतंत्र ने परिणाम दिये हैं और देता रहेगा। उन्होंने कहा कि बहुदलीय चुनाव, स्वतंत्र न्यायपालिका एवं स्वतंत्र मीडिया लोकतंत्र के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।

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