बिहार : नीतीश को संजय जायसवाल की नसीहत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

बिहार : नीतीश को संजय जायसवाल की नसीहत

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पटना : विधानसभा परिसर में डीएम और एसपी के लिए भाजपा कोटे से नीतीश सरकार में शामिल मंत्री जिवेश मिश्रा की गाड़ी रोके जाने को लेकर भाजपा काफी आक्रमक रवैया अपनाए हुए है। मंत्री जीवेश मिश्रा के साथ हुए दुर्व्यवहार से आहत भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर संजय जयसवाल ने नीतीश कुमार को इशारों इशारों में बड़ी नसीहत दे डाली है डॉ जायसवाल ने कहा कि मंत्री जीवेश मिश्रा जी के साथ विधानसभा प्रांगण में जो भी घटना घटी है उस पर मुझे पूरा विश्वास है की विधानसभा अध्यक्ष अवश्य ही संज्ञान लेंगे। मुख्य सचिव द्वारा यह कहा जाता है कि जनप्रतिनिधियों का सम्मान जिलाधिकारी और आरक्षी अधीक्षक को करना है। पर जो अफसर सामान्य शिष्टाचार का भी पालन नहीं करते हैं उन पर कोई कार्यवाही नहीं होती है। आईएएस और आईपीएस अधिकारी पूरे भारत में जनता एवं जनप्रतिनिधियों के साथ हर तरह के शिष्टाचार का पालन करते हैं पर बिहार में कुछ अफसर पब्लिक सर्वेंट अर्थात जनता के सेवक के बदले राजतंत्र की तरह व्यवहार करते हैं।


प्रधानमंत्री का उदाहरण देते हुए जायसवाल ने सीएम नीतीश को सीख लेने की दुहाई देते हुए कहा कि कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री जी ने भी आईपीएस प्रशिक्षुओं को यह बताया था कि उनका व्यवहार जनता एवं जनप्रतिनिधियों के प्रति कैसा होना चाहिए । ज्ञातव्य हो कि बिहार विधानसभा में प्रश्नोत्तर काल की कार्यवाही जारी थी। इस दौरान सदन में विलंब से पहुंचे बिहार सरकार के कैबिनेट मंत्री जीवेश मिश्रा अपने सीट पर खड़े होकर विधानसभा अध्यक्ष से खुद के लिए संरक्षण मांगा। अध्यक्ष के माध्यम से सदन को बताते हुए जीवेश मिश्रा ने कहा कि प्रश्नोत्तर काल में मैं इसलिए विलंब से पहुंचा, क्योंकि पटना के डीएम और एसएसपी अपना काफिला अंदर कराने के लिए हमारी गाड़ी को बाहर रुकवा दिया। विधानसभा में मंत्री ने कहा कि जब तक पटना के डीएम और एसएसपी पर कार्रवाई नहीं हो जाती है, तब तक हुए सदन में नहीं बैठेंगे। उन्होंने आगे कहा कि अधिकारियों के सामने जनप्रतिनिधियों का और मंत्रियों का थोड़ा भी सम्मान नहीं किया जा रहा है, ऐसे में किसी पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। जीवेश मिश्रा ने कहा कि आसन यह तय करे कि डीएम बड़ा, एसपी बड़ा, जनप्रतिनिधि या सरकार बड़ा, चारों में से कौन सबसे बड़ा है। सत्ता पक्ष के नेताओं इस मामले को विपक्ष ने हाथों-हाथ लपका और सदन में हंगामा शुरू हो गया। इसके बाद पक्ष और विपक्ष के अधिकांश विधायक एक साथ खड़े होकर हंगामा करना शुरू कर दिया।

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