बिहार : बजट सत्र के मद्देजनर माले विधायक दल की बैठक - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 4 जनवरी 2022

बिहार : बजट सत्र के मद्देजनर माले विधायक दल की बैठक

  • भाजपा-जदयू शासन में बिहार को पुराने दौर में ले जाने की हो रही कवायद
  • सरकार को चैतरफा घेरने की रणनीति पर हुई चर्चा
  • महागठबंधन के अन्य दलों के साथ भी किया जाएगा विचार-विमर्श

cpi-ml-meeting-for-budget-session
पटना 4 जनवरी, हर मोर्चे पर असफल नीतीश सरकार को आने वाले बजट सत्र में प्रभावशाली ढंग से घेरने के लिए माले विधायक दल ने काम करना शुरू कर दिया है और इसे लेकर विगत 3 जनवरी को विधायक दल के उपनेता सत्यदेव राम के आवास पर विधायक दल की बैठक हुई. विधायक दल की बैठक में माले विधायकों के साथ-साथ विधायक दल के प्रभारी राजाराम सिंह भी उपस्थित थे. माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, उपनेता सत्यदेव राम, सचेतक अरूण सिंह, वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, रामबलि सिंह यादव, संदीप सौरभ, मनोज मंजिल, अमरजीत कुशवाहा व गोपाल रविदास उपस्थित हुए. बैठक में विधायक दल सचिव कुमार परवेज व उमेश सिंह भी उपस्थित थे. बैठक के हवाले से नेता विधायक दल महबूब आलम ने कहा है कि सरकार हर मोर्चे पर असफल है और इस बार बजट सत्र में उसे चैतरफा घेरा जाएगा. महागठबंधन के अन्य दलों के साथ भी इस पर विचार-विमर्श होगा और एक संयुक्त रणनीति बनाने की कोशिश की जाएगी. विधायक दल की बैठक में हाल के दिनों में बिहार में दलितों-गरीबों-अल्पसंख्यकांे व महिलाओं पर लगातार हो रहे हमले पर गहरी चिंता व्यक्त की गई. वैशाली में हुए सामूहिक बलात्कार व हत्या की सबसे हालिया प्रकरण पर चर्चा हुई, जिसमें पूरे गांव के सामने सामंती दबंगों ने एक दलित छात्रा को उठा लिया. जब छात्रा के पिता अपराधी अनुराग चैधरी के पिता के पास पहुंचे तो उन्होंने कहा कि मुकदमा मत करो, 2-3 दिन में तुम्हारी बेटी लौट आएगी. 6 दिन बाद उस छात्रा की क्षत-विक्षत लाश मिली. उसी प्रकार औरंगाबाद में वोट न देने के शक के आरोप में दबंगों ने दलितों को थूक चटवाया. माले विधायक दल ने कहा कि ऐसा लगता है कि भाजपा-जदयू सरकार बिहार के क्रम को ही उलट देना चाहती है. यह पूरा बिहार जानता है कि वोट देने से लेकर अपने मान-सम्मान के लिए बिहार के गरीबों ने लगातार लड़ाइयां लड़ी हैं और शहादतें दी है. यदि सरकार यह सोच रही है कि एक बार फिर से राज्य में सामंती दबंगों का राज स्थापित कर दिया जाए, तो हम इसे कभी होने नहीं देंगे. सदन से लेकर सड़क तक हमारी लड़ाई जारी रहेगी. विधानसभा सत्र में सरकार को इसका जवाब देना होगा.

माले विधायक दल ने पंचायत चुनाव में संस्थाबद्ध भ्रष्टाचार, पैसों के बल पर सीटांे की खरीद-बिक्री की घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की. कहा कि समाज सुधार यात्रा का ढोंग रचने वाले नीतीश कुमार को इसका जवाब देना होगा कि आखिर क्या वजह है कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का लगातार क्षरण होता जा रहा है. गांधी का ग्राम स्वराज का नारा आज खरीद-फरोख्त के व्यवसाय में बदल गया है. इसकी जवाबदेही व जिम्मेवारी राज्य सरकार की ही बनती है. इससे वह भाग नहीं सकती. पंचायत चुनाव पर सरकार को रिव्यू करना चाहिए और इसकी मांग हम सत्र के दौरान करेंगे. किसान आंदोलनांे के दबाव मंे मोदी सरकार को तीनांे कृषि कानून वापस करने पड़े. नीतीश कुमार कहते हैं कि यह तो केंद्र सरकार का मामला था, भला इसमें वे क्या कह सकते हैं? लेकिन हम उनसे कहना चाहते हैं कि पंजाब के किसान यही तो कह रहे थे कि उन्हें बिहार के किसान की हालत में मत पहुंचाइये. बिहार में 2006 में एपीएमसी ऐक्ट खत्म करके नीतीश कुमार ने बिहार के किसानों को बाजार के हवाले छोड़ दिया. बिहार में शायद ही कहीं किसानों का धान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाता हो. हालत यह है कि लोग अपना धान जलाने को विवश हैं. हम मजबूती से बिहार में एपीएमसी ऐक्ट की पुनर्बहाली की मांग उठायेंगे और सरकार को हर तरह से बाध्य करेंगे. नल-जल योजना सहित अन्य योजनाओं में भ्रष्टाचार, कैग की रिपोर्ट में आई गड़बड़ी, मनरेगा में काम, 19 लाख रोजगार, विश्वविद्यालयों में संस्थाबद्ध भ्रष्टाचार, कुपोषण, शिशु मृत्यु दर, पोषण आदि सवालों को भी मजबूती से उठाया जाएगा. सरकार के विकास के दावे की पोल तो खुद नीति आयोग की रिपोर्ट ही खोल रहा है. न जाने किस मुंह से सरकार अपनी पीठ खुद ठोक रही है. भाकपा-माले ने ही सबसे पहले बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा मांगा था. तथाकथित डबल इंजन की सरकार आज तक यह काम नहीं करवा सकी. इस सच से बचने के लिए भाजपा-जदयू के लोग आपस मंे ही बयानबाजी करते रहते हैं. लेकिन उनकी हकीकत बिहार की जनता जानती है. विधायक दल ने आने वाले दिनों में हर बूथ पर 10 पार्टी मेंबर बनाने का कार्यभार लिया. साथ ही विधायकों के बीच कार्य की सुगमता के लिए विभागों का भी बंटवारा किया गया. बैठक से मुस्लिम महिलाओं की साइबर जगत में विभिन्न ऐप के जरिए टारगेट करने की प्रवृत्ति की कड़ी निंदा की गई. कहा कि महिलाओं व अल्पसंख्यकों के प्रति भाजपा ने जो माहौल बनाया है, उसी का नतीजा है कि आज हालत इस स्तर तक पहुंच गई है.

कोई टिप्पणी नहीं: