कोच्चि, 17 जनवरी, केरल की साइलेंट वैली में सदाबहार ऊष्णकटिबंधीय वर्षा वनों को विनाश से बचाने के लिए हुए ऐतिहासिक आंदोलन में अग्रणी रहे प्रसिद्ध पर्यावरणविद् प्रोफेसर एम के प्रसाद का सोमवार की सुबह यहां निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे। उनके सहयोगियों ने यह जानकारी दी। उनके सहयोगियों के मुताबिक, कोविड संबंधी जटिलताओं के उपचार के लिये एक निजी अस्पताल में भर्ती प्रसाद ने वहीं अंतिम सांस ली। उनके परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं। उनका अंतिम संस्कार यहां रविपुरम श्मशानगृह में हुआ। पर्यावरण कार्यकर्ताओं के लिए ऊर्जा के एक सर्वकालिक स्रोत, प्रसाद ने “केरल शास्त्र साहित्य परिषद” (केएसएसपी) नामक एक प्रगतिशील जन विज्ञान आंदोलन को प्रभावी नेतृत्व दिया। प्रसाद 1970 के दशक में पलक्कड जिले में ‘साइलेंट वैली’ में एक जल विद्युत परियोजना स्थापित करने के राज्य सरकार के कदम के खिलाफ राष्ट्रीय आंदोलन के पीछे एक मार्गदर्शक शक्ति थे। पारिस्थितिकी विशेषज्ञों के दबाव के आगे झुकते हुए सरकार को इस परियोजना को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा साइलेंट वैली वनों की रक्षा करने का आश्वासन दिए जाने के बाद संघर्ष बंद किया था। केंद्र सरकार ने 15 नवंबर, 1984 को साइलेंट वैली के जंगलों को राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया था। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने पर्यावरण आंदोलनों के नेता के रूप में प्रसाद के योगदान को याद करते हुए उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने भी प्रसाद के निधन पर शोक व्यक्त किया।
सोमवार, 17 जनवरी 2022
प्रसिद्ध पर्यावरणविद् एम के प्रसाद का निधन
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