विशेष : पूर्वांचल के मरीजों के लिए वरदान है महामना कैंसर हास्पिटल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 20 फ़रवरी 2022

विशेष : पूर्वांचल के मरीजों के लिए वरदान है महामना कैंसर हास्पिटल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर हॉस्पिटल और होमी बाबा कैंसर अस्पताल पूर्वांचल ही नहीं यूपी-बिहार के कैंसर मरीजों के लिए वरदान है। बीते तीन सालों में इसमें हर रोज न सिर्फ नई तकनीक से ईजाद की गयी सुविधाओं की बढ़ोत्तरी की जा रही है, बल्कि बेबस व लाचार मरीजों की सहायता कर इलाज भी किया जा रहा है। खास यह है कि 1000 करोड़ की लागत से बना इस अस्पताल के बनारस में होने से कैंसर के इलाज के लिए पीड़ितों को अब मुंबई, दिल्ली नहीं जाना पड़ता। इसकी महत्ता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कोरोनाकाल में भी कैंसर मरीजों का इलाज अनवरत चलता रहा। तीन सालों की उपलब्धियों का जिक्र करते ुिए अस्पताल के निदेशक डा सत्यजीत प्रधान ने बताया कि 2020 की तुलना में 2021 में 24 प्रतिशत अधिक मरीजों का एमपीएमएमसीसी एवं एचबीसीएच अस्पताल में इलाज किया गया। या यूं कहे स्थापनाकाल स ेअब तक 50 हजार से भी अधिक मरीजों का इलाज हो चुका है और अस्पताल का उद्देश्य आने वाले प्रत्येक कैंसर मरीज को सभी सुविधाएं एक छत के नीचे उपलब्ध कराना है 

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महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर संस्थान में वे सभी सुविधाएं उपलब्ध है, जिसके लिए मरीजों को टाटा कैंसर संस्थान मुंबई सहित अन्य जगहों पर जाना पड़ता था। अनुमान के मुताबिक यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश समेत उत्तर भारत से 20 से 25 हजार से अधिक मरीज हर साल कैंसर का इलाज कराने मुंबई जाते हैं। 19 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उदघाटन के बाद मरीजों की सुविधाओं के लिए हर रोज नई-नई तकनीक से ईजाद की गयी सुविधाएं बढ़ाई जा रही है। 350 बेड वाले इस संस्थान में सभी प्रकार के कैंसर की जांच और इलाज की सुविधा मौजूद है।  खास यह है कि कोरोना वायरस के दूसरी लहर की चुनौतियों के बावजूद भी महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र एवं होमी भाभा कैंसर अस्पताल कैंसर मरीजों को इलाज देने में अग्रणी रहा। इसके चलते न केवल पिछले साल की तुलना में अधिक मरीजों को इलाज दिया गया, बल्कि मरीजों के लिए नई सुविधाएं भी शुरू हुईं। यह बातें महामना पंडित मदन मोहन मालावीय कैंसर केंद्र एवं होमी भाभा कैंसर अस्पताल के तीसरे स्थापना दिवस के मौके पर अस्पताल के निदेशक डा. सत्यजीत प्रधान ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहीं। 


उन्होंने मरीजों के आंकड़ें एवं अस्पताल की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए बताया कि 2020 की तुलना में 2021 में अस्पताल में नए मरीजों की संख्या 24 प्रतिशत बढ़कर 17894 हो गई। उन्होंने बताया कि पिछले 3 साल में 50 हजार से अधिक मरीजों का इलाज किया जा चुका है। इसी तरह अस्पताल में होने वाली सर्जरी (बड़ी सर्जरी) में भी 81 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई। इसके अलावा अस्पताल में रेडियो-थेरेपी एवं कीमो-थेरेपी पाने वाले मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी दर्ज हुई है।  डा. प्रधान ने बताया कि साल 2021 में इलाज के अलावा अस्पताल में शैक्षणिक क्रिया-कलापों को बढ़ावा देने और कम्युनिटी में कैंसर जांच का दायरा बढ़ाने के लिए भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए है। खासकर पूर्वांचल समेत पूरे यूपी व पड़ोसी राज्यों के कैंसर मरीजों को आधुनिक एवं गुणवत्तापरक इलाज देने के लिए अस्पताल में कई नई सुविधाओं की शुरुआत भी की गई। इनमें मुख्य रूप से फुल फ्लेज्ड बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन की सुविधा, थर्मल एब्लेशन, सीएसआर के तहत मॉलिक्यूलर पैथोलॉजी लैब एवं थेरिप्युटिक ड्रग मॉनेटरिंग की सुविधा को शुरू करने संबंधित करार शामिल हैं।  निदेशक डॉ. सत्यजीत प्रधान ने कहा कि “हमारा उद्देश्य अस्पताल आने वाले प्रत्येक कैंसर मरीज को कैंसर से जुड़ी सभी सुविधाएं एक छत के नीचे उपलब्ध कराना है। ताकि मरीजों को इलाज के लिए दूसरे शहर या राज्य न जाना पड़े। हमारे यहां 60 प्रतिशत से अधिक कैंसर मरीजों को इलाज में सब्सिडी दी जाती है, वहीं कई बार बहुत से ऐसे भी मरीज अस्पताल आते हैं, जिनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं होते। ऐसे मरीजों को हम हमारे मेडिकल सोशल वर्क टीम की मदद से निःशुल्क इलाज उपलब्ध कराते हैं। इस मौके पर अस्पताल के सहायक निदेशक डा. बीके मिश्रा सहित अस्पताल के अन्य सीनियर एवं जांच संबंधिक डाक्टर मौजूद थे।   


लक्षण दिखे तो जांच तत्काल कराएं 

श्री प्रधान ने कहा कि समय रहते किसी भी बीमारी का पता चलने से इलाज में काफी मदद मिलती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए अस्पताल द्वारा मरीजों को इलाज देने के साथ ही कैंसर की शुरुआती स्तर पर जांच और इस बीमारी को लेकर जागरुकता बढ़ाने के लिए सामुदायिक स्तर पर कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसके तहत सेवापुरी और चोलापुर में व्यापक स्तर पर कैंसर जांच अभियान चलाया जा रहा है। 


शैक्षणिक कार्यक्रमों की अनुमति 

महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र एवं होमी भाभा कैंसर अस्पताल में शैक्षणिक कार्यक्रमों को शुरू करने के लिए अनुमति मिल गई है। इसके प्रथम चरण में नैशनल मेडिकल कमिशन द्वारा एम.डी. रेडिएशन ओंकोलॉजी में 4 सीट एवं एम.सी.एच. सर्जिकल ओंकोलॉजी में 2 सीट की अनुमति दे दी गई है। इससे अस्पताल में इलाज के साथ ही साथ शैक्षणिक क्रियाकलापों को भी गति मिलेगी। वहीं इंडियन नर्सिंग काउंसिल द्वारा भी अस्पताल में नर्सिंग ओंकोलॉजी में बेसिक डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू करने की अनुमति मिल गई है। निकट भविष्य में और भी पाठ्यक्रमों की शुरुआत अस्पताल में होने की संभावना है।


कैंसर के साथ कोरोना का भी इलाज 

कोरोना वायरस के दूसरी लहर के दौरान इलाज के लिए बेड्स एवं ऑक्सीजन की कमी की समस्या को देखते हुए अस्पताल प्रशासन द्वारा होमी भाभा कैंसर अस्पताल को कोविड सेंटर बना दिया गया। जिससे यहां कोरोना मरीजों का इलाज किया गया। साथ ही उन कैंसर मरीजों को भी इलाज दिया गया जिन्हें कैंसर के साथ कोविड की भी बीमारी थी। इलाज के साथ ही मरीजों एवं उनके परिजनों को कोविड से सुरक्षा देने के लिए होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र द्वारा उन्हें कोरोना-रोधी वैक्सीन भी लगाई गई।


सेवाएं साल 2019 साल 2020 साल 2021

मरीज पंजीकरण 12291 14438 17894 

सर्जरी (बड़ी) 1270 2159 3906 

कीमोथेरेपी 32716 42628 61438 

रेडियोथेरेपी 1153 2079 2354 


पिछले साल की उपलब्धियां:

-चोलापुर और सेवापुरी ब्लॉक में मेगा कैंसर जांच अभियान ।

-कैंसर मरीजों, परिजनों एवं नाविकों का वैक्सीनेशन।

-कैंसर मरीजों सहित गैर कैंसर मरीजों के लिए होमी भाभा कैंसर अस्पताल में कोविड इलाज की सुविधा।

-मरीजों एवं परिजोनों के लिए एमपीएमएमसीसी में मरीज प्रतिक्षालय।

-थेरिप्युटिक ड्रग मॉनेटरिंग सुविधा के लिए एचडीएफसी बैंक संग करार।

-मॉलिक्यूलर पैथोलॉजी लैब के लिए इंडियन ऑयल के साथ करार।

-नैशनल मेडिकल कमिशन द्वारा एम.डी. रेडिएशन एवं एम.सी.एच सर्जरी पाठ्यक्रम शुरू करने की अनुमति 


अब तक 41 करोड़ की सहायता 

डा सत्यजीत प्रधान ने बताया कि अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों की आर्थिक स्थिति ठीक न होने की दशा में अब तक 41 करोड़ की मदद विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से दी जा चुकी है। इसके अलावा 16 करोड़ की दवाएं कम दर पर प्रदान की गयी है।  


300 मरीजों को रहने की भी व्यवस्था 

डा. सत्यजीत प्रधान ने बताया कि अस्पताल में इलाज कराने आएं दूरदराज के मरीजों को जिन्हें जरुरी है को ठहरने की भी व्यवस्था की जा रही है। शीघ्र ही ये सुविधाएं मरीजों एवं उनके अटेंड को कम लागत में कमरे उपलब्ध होंगे। कुछ कमरे की व्यवस्था कर भी दी गयी है, जहां वे ठहर सकते है। 


मोदी ने की उद्घाटन 

अस्पताल का अधिकारिक रूप से उद्धाटन 19 फरवरी 2019 को पीएम मोदी द्वारा किया गया था। होमी भाभा में 180 बेड्स की सुविधा है, जबकि महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र में 350 बेड्स की सुविधा है।  


कम खर्च में होता है कैंसर का इलाज

सरकार के सहयोग के साथ वाराणसी के इस अस्पताल में बहुत ही कम खर्च में कैंसर का इलाज किया जाता है. अस्पताल में ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज में अधिकतम 40 हजार रुपये तक का खर्च आता है. देश का ये अकेला ऐसा हॉस्पिटल है जिसका भवन प्री-फेब्रिकेशन तकनीक से बना है. कैंसर मरीजों के इलाज के लिए चार वर्ग बनाए गए हैं। बीपीएल श्रेणी से शुल्क नहीं लिया जाएगा, जबकि दूसरे वर्ग के इलाज कराने वालों को केवल पांच प्रतिशत भुगतान करना होगा। तीसरे वर्ग के मरीजों को पूरा भुगतान करना होगा। चौथे वर्ग में शामिल मरीजों को इलाज पर आने वाले खर्च से 40 प्रतिशत अधिक भुगतान करना होता है।  


ओपन सर्जरी से मिलती है मुक्ति

टाटा द्वारा चलाए जा रहे वाराणसी के इन दोनों हॉस्पिटलों में मुंह, पोलिप और ल्यूकोप्लाकिया कैंसर का माइक्रोलेरेंजियल लेजर सर्जरी से ऑपरेशन शुरू हो गया है। यानी अब बिना किसी चीड़-फाड़ के ही सर्जरी की सुविधा इन दोनों अस्पतालों हो गई है। ये दोनों हॉस्पिटल उत्तर प्रदेश के पहले ऐसे अस्पताल हैं जहां कैंसर का माइक्रोलेरेंजियल लेजर सर्जरी से ऑपरेशन हो रहा है। इन दोनों कैंसर हॉस्पिटलों में इस नए तकनीक से अब तक 20 से ज्यादा मरीजों को फायदा मिल चुका है। पहले इसके लिए दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में यूपी के मरीजों को जाना पड़ता था। माइक्रोलेरेंजियल लेजर सर्जरी तकनीक के जरिए मरीजों को ओपन सर्जरी से मुक्ति मिल जाती हैं। यानी चेहरे पर बिना किसी कट के ध्वनि यंत्र और मुंह के शुरुआती कैंसर का सफल ऑपरेशन किया जा सकता है। माइक्रोलेरेंजियल लेजर सर्जरी से मरीजों को सर्जरी के कुछ घंटों बाद ही अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है। साथ ही ओपन सर्जरी की तुलना में इस तकनीक में समय भी कम लगता है। 




--सुरेश गांधी--

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