बिहार : कार्यशाला का उद्घाटन जिलाधिकारी द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 22 मार्च 2022

बिहार : कार्यशाला का उद्घाटन जिलाधिकारी द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया

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मुजफ्फरपुर. मुजफ्फरपुर जिले के आपदा प्रबंधन प्रशाखा के तत्वावधान में सभागार, समाहरणालय, मुजफ्फरपुर में  अगलगी की रोकथाम, जोखिम न्यूनीकरण एवं पूर्व तैयारी के लिए एक दिवसीय कार्यशाला सह समीक्षात्मक बैठक का आयोजन श्री प्रणव कुमार, जिलाधिकारी, मुजफ्फरपुर की अध्यक्षता में की गयी. कार्यशाला का उद्घाटन जिलाधिकारी द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया. कार्यशाला में श्री आशुतोष द्विवेदी, उप विकास आयुक्त, श्री अनुपम श्रेष्ठ, सहायक समाहर्ता, डॉ अजय कुमार, अपर समाहर्ता, आपदा प्रबंधन, डॉ बिरेन्द्र कुमार, सिविल सर्जन, ज्ञान प्रकाश, अनुमंडल पदाधिकारी, पूर्वी, श्री ब्रिजेश कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी, पश्चिमी, श्री गौतम कुमार, जिला कमांडेंट सह जिला अग्निशमन पदाधिकारी, श्री विकास कुमार, प्रभारी पदाधिकारी, जिला आपदा प्रबंधन प्रशाखा सहित विभिन्न विभागों के वरीय पदाधिकारी व अंचल अधिकारी उपस्थित रहे.कार्यशाला का संचालन श्री मो० साकिब खान, कंसल्टेंट्स / डी०एम० प्रोफेशनल, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के द्वारा किया गया.


कार्यशाला में जिला स्तरीय सभी वरीय पदाधिकारी एवं संबंधित विभागों के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग कर गर्मी के दिनों में होने वाली अगलगी की घटनाओ के रोकथाम तथा न्यूनीकरण पर विचार विमर्श किया, साथ ही पूर्व तैयारी के स्तर को बेहतर बनाने व अग्नि सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विभागवार रणनीति बनाई गई. सर्वप्रथम श्री मो० साकिब खान, कंसल्टेंट ध् डी०एम० प्रोफेशनल द्वारा पीपीटी प्रस्तुतिकरण के माध्यम से जिले में अगलगी की वर्तमान स्थिति, अग्निशमन के न्यूनीकरण के लिए किये जा रहे प्रयास, विभागीय मानक संचालन प्रक्रिया, उपलब्ध संसाधन, चिन्हित हॉटस्पॉट आदि के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी साझा की गयी. उन्होंने 3 वर्षों के अगलगी के आंकड़ों के माध्यम से बताया कि वर्तमान में अगलगी की घटनाओं में कमी आयी है परन्तु अभी भी मुजफ्फरपुर जिला बिहार में अगलगी के दृष्टिकोण से अति संवेदनशील जिलों की श्रेणी में आता है, अगलगी न्यूनीकरण के लिए निरंतर प्रयास किये जाने की आवश्यकता है.उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि सौर उर्जा के प्रयोग से ग्रामीण क्षेत्रों में झोंपड़ी तथा पशुबाड़े में अगलगी की रोकथाम हो सकती है. डॉ अजय कुमार, अपर समाहर्ता, आपदा प्रबंधन ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अगलगी की रोकथाम और रिस्पांस में सभी सम्बंधित विभागों को समन्वित रूप से कार्य करना होता है, यह अत्यंत आवश्यक कि सभी विभाग पूर्व से ही योजनाबद्ध ढंग से कार्य करें तथा अगलगी की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण हितभागियों को चिन्हित करते हुए समाज में जनजागृति लाने का कार्य करें.


अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री प्रणव कुमार, जिलाधिकारी, मुजफ्फरपुर ने कहा कि गर्मी के दिनों में अगलगी की घटनाओं को रोकने के दृष्टिगत सभी विभाग सभी स्तर पर तैयारी सुनिश्चित कर लें. उन्होंने कहा कि अगलगी मानव जनित आपदा है तथा इसको जागरूकता, सतर्कता व संवेदनशीलता से न्यूनीकृत किया जा सकता है. अंचलाधिकारी ग्रामीण क्षेत्रों में भी अग्नि दुर्घटनाओं के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों का सर्वेक्षण कर हॉट स्पॉट चिन्हित कर  सूचीबद्ध करें, उक्त क्षेत्रों में अग्नि निरोधात्मक उपाय करने के साथ-साथ जन प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित करने, स्थानीय युवाओं को जागरूक करने, जीविका,आंगनबाड़ी सहायिका, आशा के सहयोग से प्रचार प्रसार, प्रशिक्षण तथा मॉक ड्रिल के माध्यम से आमजन को जागरूक करें. उन्होंने अग्निकांड की स्थिति में प्रभावी त्वरित कार्यवाही करते हुए प्रभावितों को नियमानुसार आहेतुक सहायता व बड़ी आपदा की स्थिति में विभागीय मानक के अनुसार उपलब्ध कराने के लिए पदाधिकारियों को निर्देश दिया. अपर समाहर्ता, आपदा प्रबंधन को प्रखंडवार महत्वपूर्ण हितभागियों व नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों हेतु बहु आपदा न्यूनीकरण आधारित विशेष प्रशिक्षण आयोजित करने का निर्देश दिया गया. अग्निशमन पदाधिकारी को निर्देश दिया गया कि अस्पतालों, स्कूलों, सरकारी भवनों, सिनेमाघरों, शापिंग माल, शोरुम, सघन बाजार जैसे भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक स्थलों का फायर ऑडिट निरीक्षण करते शीध्र कर लें तथा सम्बंधित कर्मियों को प्रशिक्षित करें. स्वास्थ्य विभाग को अस्पतालों में बर्न वार्ड व आइसोलेशन वार्ड में समस्त व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया. श्री अनुपम श्रेष्ठ, सहायक समाहर्ता ने कहा कि पूर्व तैयारी से अगलगी जैसी आपदा में कमी लायी जा सकती है, इसमे जागरूकता अत्यंत महत्वपूर्ण है व इस कार्य में मीडिया व जनप्रतिनिधियों का सहयोग लिया जाना चाहिए.


डॉ बिरेन्द्र कुमार, सिविल सर्जन ने अगलगी से प्रभावित व्यक्ति के प्राथमिक उपचार के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा की अगलगी से प्रभावित व्यक्ति पर धुल या मिट्टी नहीं डाले तथा प्रभावित अंग पर पानी का अधिक से अधिक प्रयोग करते हुए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाएं. श्री गौतम कुमार, समादेष्टा सह जिला अग्निशमन पदाधिकारी ने कहा कि अगलगी का प्रमुख कारण बिजली शॉर्ट सर्किट तथा गैस सिलेंडर में लीकेज है. उन्होंने बताया की नुक्कड़ नाटक, एल०ई०डी० शो, माकड्रिल तथा हैण्डबिल वितरण आदि के माध्यम से अग्निशामक यंत्र के संचालन तथा गैस सिलिंडर की आग को बुझाने का अभ्यास ग्रामीण क्षेत्रों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, औद्योगिक संस्थानों व विद्यालयों में किया जा रहा है ताकि अग्नि सुरक्षा के बारे में आमजन को जागरूक व संवेदनशील बनाया जा सके. उन्होंने फायर हाईड्रेन्ट महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा की सभी सरकारी भवनों व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को फायर हाईड्रेन्ट सिस्टम लगाना चाहिए. उनके द्वारा जानकारी दी गयी कि सभी सरकारी ट्यूबवेल व पानी टंकी में कनेक्टर लगा कर नोजल फिक्स किया जा रहा है ताकि आपात स्थिति में फायर टेंडर में पानी भरा जा सके, इससे फायर रिस्पांस और बेहतर होगा. कार्यशाला के खुले सत्र का संचालन कर रहे डॉ अजय कुमार, अपर समाहर्ता आपदा (मुजफ्फरपुर) ने अगलगी की रोकथाम के लिए विभिन्न विभागों व सभी इमरजेंसी सपोर्ट फंक्शन विभागों द्वारा अगलगी की रोकथाम के लिए की जा रही तैयारियों की समीक्षा की. कार्यशाला में सभी विभागों, प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों तथा हितभागी एजेंसियों ने अगलगी के मद्देनजर की जा रही पूर्व तैयारियों के बारे में वरीय पदाधिकारियों को अवगत कराया तथा प्रखंड से लेकर पंचायतों में जागरूकता प्रशिक्षण आयोजित करने पर विशेष बल दिया.फायर ब्रिगेड टीम ने समाहरणालय परिसर में अग्निशमन में प्रयोग किये जाने वाले उपकरणों को प्रदर्शित किया. श्री विकास कुमार, वरीय उप समाहर्ता सह प्रभारी अधिकारी, जिला आपदा प्रबंधन प्रशाखा, मुजफ्फरपुर ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सभी विभागों तथा  रिस्पांस एजेंसियों को गंभीरता से अग्निकांड जैसी आपदाओं से निपटने के लिए तैयार रहने के लिए कहा.अंत में, फायर ब्रिगेड टीम ने मॉक ड्रिल के माध्यम से आग बुझाने व अग्निशमन यंत्रों के संचालन की विधियों की जानकारी दी.

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