नमिता गोखले के उपन्यासों के अनुवाद और मातृभाषा की ओर वापसी पर बातचीत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 8 मार्च 2022

नमिता गोखले के उपन्यासों के अनुवाद और मातृभाषा की ओर वापसी पर बातचीत

  • · राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हो रहे इस उपन्यास का 10 मार्च को होटल क्लार्क्स आमेर  में ‘जयपुरनामा: द ब्लाइंड मैट्रीआर्क  एंड द  रिटर्न टू द मदर टंग’ सत्र में  होगा लोकार्पण
  • · इस अवसर पर नमिता गोखले से उनके उपन्यासों के अनुवाद पर चर्चा करेंगे वरिष्ठ लेखक पुष्पेश पन्त, अनुवादक प्रभात रंजन और लेखिका,अनुवादक रक्षंदा जलील
  • · 'आंधारी' नमिता गोखले के अंग्रेजी उपन्यास ‘द ब्लाइंड मैट्रीआर्क’ का हिंदी अनुवाद है, जो 2021 में प्रकाशित हुआ था
  • · 'आंधारी नमिता गोखले की बीसवीं किताब है जो प्रेम और वंचना, मानवता के संकटों और उससे जीत कर निकलने की कहानी को बयान करती है।
  • · नमिता गोखले को उनकी  चर्चित किताब थिंग्स टू लिव बिहाइंड के लिए 2021 में अंग्रेजी भाषा के लिए साहित्य अकादमी के प्रतिष्ठित पुरस्कार सम्मानित किया था

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जयपुर । भारतीय अंग्रेजी की प्रसिद्ध लेखक नमिता गोखले के नवीनतम उपन्यास 'आंधारी' का जयपुर साहित्योत्सव में लोकार्पण होगा। इस अवसर पर लेखक के साथ इस उपन्यास और उनके लेखन पर विशेष बातचीत भी होगी। नमिता गोखले को उनकी  चर्चित किताब थिंग्स टू लिव बिहाइंड के लिए 2021 में अंग्रेजी भाषा के लिए साहित्य अकादमी के प्रतिष्ठित पुरस्कार सम्मानित किया था,यह पुस्तक  राग़ पहाड़ी शीर्षक से हिंदी में राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गयी थी। इस संबंध में लेखक नमिता गोखले ने कहा ‘मेरे उपन्यास ‘द ब्लाइंड मैट्रीआर्क’ के संवेदनशील अनुवाद में प्रभात रंजन ने महामारी काल के इस शांत उपन्यास की हर बारीकी को बहुत बेहतर तरीक़े से दर्ज किया है। उपन्यास का हिन्दी शीर्षक ‘आंधारी’ उपन्यास की मूल कथा तथा अन्य कथाओं के सार को बखूबी बयान करता है।’ 

'आंधारी' के प्रकाशन को लेकर खुशी जताते हुए राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा, वरिष्ठ कथाकार नमिता गोखले के नवीनतम उपन्यास को प्रकाशित करना हमारे लिए गर्व और संतोष की बात है। हिन्दी पाठकों के लिए अन्य भाषाओं की उल्लेखनीय कृतियों के स्तरीय अनुवाद प्रकाशित करना हमेशा से हमारी प्राथमिकता में रहा है। नमिता जी की कृतियों को व्यापक रूप से सराहा गया है। उनका यह चर्चित उपन्यास हिंदी पाठकों को उपलब्ध करना हमने जरूरी समझा। उन्होंने कहा, 'आंधारी' नमिता जी की दूसरी पुस्तक है जिसे हमने हिन्दी अनुवाद में प्रकाशित किया है। इससे पहले हम उनकी एक और चर्चित पुस्तक 'राग पहाड़ी' प्रकाशित कर चुके हैं। हमें पूरा विश्वास है कि  'राग पहाड़ी' की तरह 'आंधारी' भी हिंदी पाठकों को पसंद आएगी। 'आंधारी' भारत की कोरोनो वायरस के साथ जंग, कंटेनमेंट ज़ोन और अंतरराज्यीय सीमाओं के पूर्ण लॉकडाउन और घरों मे कैद एक वास्तविक समय की कहानी है। उपन्यास की धुरी एक ऐसी ख़ुदमुख़्तार, प्रकृति-सजग वृद्धा है, जो इतने कठिन और अभूतपूर्व समय में एक इमारत की चौथी  मंजिल में अपने संयुक्त परिवार के  साथ रहती है। यह पुस्तक महामारी काल में  केवल एक संयुक्त परिवार की बहुस्तरीय कथा नहीं है बल्कि भारत की जिस विविधता पर हम गर्व करते आये हैं उस पर एक साहसी और सामयिक टिप्पणी है।


लेखक के बारे में : नमिता गोखले

साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित नमिता गोखले अंग्रेज़ी की चर्चित लेखक हैं। ग्यारह कथाकृतियों समेत उनकी अब तक बीस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। हिमालय क्षेत्र से जुड़े विषयों और मिथकों पर वे लगातार लिखती रही हैं। ‘पारो : हर ड्रीम्स एंड पैशंस’ उनका पहला उपन्यास है जो 1984 में प्रकाशित हुआ था। 2021 में प्रकाशित ‘द ब्लाइंड मैट्रियार्क’ उनका नवीनतम उपन्यास है। इससे पहले, 2020 में उनका उपन्यास ‘जयपुर जर्नल्स’ छपा जिसकी पृष्ठभूमि जयपुर लिटरेचर फ़ेस्टिवल है। उसी साल उनका उपन्यास ‘बिट्रेड होप’ भी प्रकाशित हुआ जो बांग्ला के प्रसिद्ध कवि माइकेल मधुसूदन दत्त के जीवन पर आधारित है।   वह जयपुर लिटरेचर फ़ेस्टिवल की सह-संस्थापक और निदेशक हैं। इस रूप में वह अनुवादों तथा विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के बीच संवाद को लेकर निरन्तर सक्रिय हैं। उन्हें ‘थिंग्स टु लीव बिहाइंड’ उपन्यास के लिए 2021 में ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ प्रदान किया गया। इसी उपन्यास के लिए उन्हें ‘सुशीला देवी साहित्य सम्मान’ और वैली ऑफ़ वर्ड्स लिटरेचर फ़ेस्टिवल में ‘बेस्ट फ़िक्शन जूरी अवार्ड’ भी मिल चुका है। इस कृति को ‘अंतरराष्ट्रीय डब्लिन लिटरेरी अवार्ड’ की लॉन्ग लिस्ट में भी रखा गया था। उन्हें असम साहित्य सभा का प्रतिष्ठित ‘सेंटेनेरी नेशनल अवार्ड फ़ॉर लिटरेचर’ भी प्रदान किया जा चुका है।


अनुवादक के बारे में

प्रभात रंजन ने अंग्रेज़ी से हिन्दी में 25 से अधिक पुस्तकों का अनुवाद किया है। ‘बहुवचन’, ‘आलोचना’ और ‘जनसत्ता’ के साथ सम्पादकीय कार्य। फ़िलहाल दिल्ली विश्वविद्यालय के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज, दिल्ली (सांध्य) में अध्यापन करते हैं। साथ ही Jankipul.com नामक प्रसिद्ध वेबसाइट के मॉडरेटर हैं। आजकल इनकी किताब ‘पालतू बोहेमियन : मनोहर श्याम जोशी एक याद’ चर्चा में है।

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