पटना : पटना साहिब संसदीय क्षेत्र के सांसद रविशंकर प्रसाद,दीघा विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ संजीव चौरसिया,पटना क्षेत्र के विधान पार्षद रीतलाल यादव, पश्चिमी दीघा ग्राम पंचायत के मुखिया जवाहर प्रसाद, पटना नगर निगम के वार्ड पार्षद दिनेश कुमार के कार्यकाल में गंगा विहार कॉलोनी के रोड नंबर-2 के सम्पर्क पथ और गंदा पानी निकासी की व्यवस्था नहीं कराया.जबकि सभी जनप्रतिनिधियों के पास पर्याप्त धनराशि विकास करवाने के लिए है.पश्चिमी दीघा ग्राम पंचायत के गंगा विहार कॉलोनी के रोड नंबर-2 की समस्याओं को पंचायत को अधिग्रहण करने के बाद भी पटना नगर निगम के द्वारा समस्याओं का समाधान नहीं किया गया. काॅलोनी वासी रोड,गली और नाला के अभाव में 20 वर्षों से नारकीय जीवन जीने को बाध्य हैं. बताते चले कि पटना नगर निगम ने पश्चिमी दीघा ग्राम पंचायत,पूर्वी दीघा ग्राम पंचायत, पश्चिमी मैनपुरा ग्राम पंचायत,पूर्वी मैनपुरा ग्राम पंचायत और उत्तरी मैनपुरा ग्राम पंचायत को अधिग्रहण किया था. इसके बाद पांच पंचायतों को तीन वार्ड में समावेश कर 22 ए, 22 बी और 22 सी वार्ड बनाया गया.इसके बाद पटना नगर निगम का 2017 में हुआ. यहां के लोगों ने 22 ए से दिनेश कुमार को, 22 बी से सुचित्रा सिन्हा और 22 सी से रजनी देवी को जनप्रतिनिधि ( पार्षद ) बनाया. यह सब पाटलिपुत्र अंचल में पड़ता है. राजनीतिक उठापटक के बाद में 22 सी की वार्ड पार्षद रजनी देवी को डिप्टी मेयर बनाया गया. इस समय मेयर सीता देवी हैं. यहां के लोगों का कहना है कि वोट लिया खिसक गया और कुर्सी से जाकर चिपक गए हैं 22 ए के वार्ड पार्षद दिनेश कुमार.इस वार्ड पार्षद का कार्य संतोषजनक नहीं है.यह हम नहीं कह रहे हैं.गंगा विहार कॉलोनी के विक्टर जोन डिक्रूज,मेरी अनूप आदि कह रहे हैं कि यह क्षेत्र पंचायत में था.तब से आजतक 20 सालों में न मुखिया और न ही वार्ड पार्षद का ध्यान गंगा विहार कॉलोनी की ओर गया है.यहां के लोगों का कहना है कि न सम्पर्क पथ बना, न गली और न ही जल निकासी की व्यवस्था की गयी.जिसके कारण हम लोग परेशान हैं. उन लोगों का कहना है कि पांच साल से दिनेश कुमार वार्ड पार्षद हैं.अगर वे चाहते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बहु आंकाक्षी सात निश्चय योजना से नाला बनाकर सम्पर्क पथ और गली बनवा सकते थे.परंतु वार्ड पार्षद ने धृतराष्ट्र बन रहे.आगे लोगों का कहना है कि बरसात में लोगों को पानी में हेलकर आवागमन करना पड़ता है. बच्चे पीठ पर स्कूली बैंग और हाथ में जूता उठाकर चलने को बाध्य हो जाते हैं.जलजमाव होने से दैनिक कार्य निपटारा करने के लिए महिलाओं को ठेंउना तक साड़ी उठाकर चलना पड़ता है. जल निकासी की व्यवस्था नहीं होने के कारण पानी सड़क वातावरण को प्रदुर्षित और लोगों को बीमारी के घर में ढकेल देता है.अगर कोई व्यक्ति बीमार हो अथवा कोई गर्भवती हो तो उसको हाॅस्पिटल पहुंचाना मानो चांद पर पहुंचने की तरह कठिन कार्य हो जाता है.
शनिवार, 26 मार्च 2022

बिहार : 20 वर्षों से नारकीय जीवन जीने को बाध्य
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