छठा चरण: दौड़ेगा बुलडोजर या बहेगी जाति की बयार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 3 मार्च 2022

छठा चरण: दौड़ेगा बुलडोजर या बहेगी जाति की बयार

छठे चरण के मतदान के लिए पूरी विसात बिछ चुकी है। मोहरे सामने है और इंतजार है कि ईवीएम में बटन दबे। होली से पहले जब चुनाव परिणाम सामने होंगे, तब जीते भले ही कोई दल, लेकिन मौजूदा हालात इशारा कर रहे है कि जातीय जंजीरों में जकड़ा पूर्वांचल का मतदाता अब जागरुक हो चला है। अति दलित व अति पिछड़ी जातियों के मतदाताओं में दिखती गजब की जागरुकता एवं आत्मविश्वास यह बताने के लिए काफी है कि वे इस बार परंपरागत लीक से हटकर खूब मतदान करने वाले है। खुद की वोटबैंक की हथकड़ियों-बेड़ियों से जकड़े मतदाता विकास व सुरक्षा की बातें करते दिख रहे है। यह अलग बात है कि दलों के घोषणा पत्र और बड़े नेताओं के ऊंचे मंचों से इशारों ही इशारों में जाति की घुट्टी पिलाई जा रही है। मतलब साफ है दशकों से चली आ रही जातियों की वोटबैंक गोलबंदी पूर्वांचल में टूटती दिख रही है। या यूं कहे मतदान के मुहाने पर खड़े जिलों में जाति आधारित वोटबैंक राजनीति के लिए बदनाम पूर्वांचल इससे मुक्ति पाना चाहता है और इस सोच से वोट पड़े तो परिणाम एकतरफा होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता। फिरहाल, छठे चरण में जिन 57 सीटों में मतदान होना है उनमें सर्वाधिक 28 सीटें गोरखपुर मंडल के चार जिलों में है। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में इस मंडल में भाजपा ने सबसे अधिक 46 सीटे जीतकर अपना डंका बजाया था। इस बार उसका रुतब बरकरार रहेगा या सपा-बसपा को बढ़त मिलेगी, यह 3 मार्च को मतदान तय करेंगे। लेकिन भाजपा के फायरब्रांड हिन्दु नेता एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की साख जरुर दांव पर लगी है। गोरखपुर के कलिदेव यादव की माने तो अगर मतदाता बाबा के बुलडोजर एवं आतंकी संरक्षणदाताओं को ध्यान में रखकर वोटिंग की तो परिणाम पहले से भी बेहतर होंगे और जाति एकजुटता में आएं तो परिणाम चौकाने वालें होंगे 


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फिरहाल, यूपी विधानसभा चुनाव में पांच चरण की वोटिंग के बाद अब सियासी दलों का फोकस पूरी तरह से पूर्वांचल पर है। सियासी समीकरण साधने के लिए हर बड़ा नेता यूपी के अलग-अलग जिलों में अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है। छठे और सातवें चरण में पूर्वांचल की बची हुई सीटों पर सियासी दल पूरी ताकत झोंकने में जुटे हुए हैं। 3 और 7 मार्च को होने वाली वोटिंग से पहले हर पार्टी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचना चाहती है। एक तरफ छोटे दलों और जातीय समीकरण साध कर सपा पूर्वांचल का किला फतह करना चाहती है तो दुसरी तरफ योगी और मोदी के चेहरे के दम पर बीजेपी पूर्वांचल में एक बार फिर से भगवा लहराने की कोशिश में है। खास यह है कि गन्ना बेल्ट के रुप में जाना जाने वाले इस क्षेत्र की छठे चरण में 10 जिलों की 57 विधानसभा सीटों का चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ में होने जा रहा है। इसमें दर्जनों विधानसभा सीटों पर मुख्यमंत्री के प्रिय उम्मीदवार मैदान में हैं। जबकि चुनाव लड़कर विधायक बनने के लिए पहली बार मुख्यमंत्री भी अपनी किस्मत आजमा रहें हैं और उनकी सीट को चुनावी समर में फंसा देने के इरादे से अखिलेश यादव ने पूरा जोर लगा दिया है। 


बता दें, 10 जिलों के 2.14 करोड़ से अधिक मतदाता 676 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। अब तक पांच चरणों में 292 सीटों पर वोटिंग समाप्त हो चुकी है। बचे दो चरणों में 111 सीटों पर वोटिंग होनी है। ऐसे तमाम लोगों की नजर अब छठे और सातवें चरण की वोटिंग पर है। गोरखपुर शहरी सीट से भाजपा नेता स्व. उपेन्द्र दत्त शुक्ला की पत्नी सुभावती शुक्ला मुख्यमंत्री के खिलाफ मैदान में हैं। गोरखपुर के चुनाव प्रचार को टक्कर का बनाने के लिए अखिलेश यादव ने सहयोगियों को भी विशेष तौर से लगाया है। बसपा के ख्वाजा समशुद्दीन, भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद भी ताल ठोंक रहे हैं। कांग्रेस की चेतना पांडे योगी को चुनौती दे रही हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के लिए भी गोरखपुर अहम है। बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, महराजगंज, कुशीनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, अंबेडकरनगर, देवरिया में से तीन दर्जन सीटें ऐसी हैं, जहां परोक्ष रूप से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इसी चरण में भाजपा को छोड़कर समाजवादी पार्टी में आए स्वामी प्रसाद मौर्य का भी इम्तिहान हो जाएगा। माना जा रहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य को काफी कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रचार के लिए बबलू राय, युवा हिन्दू वाहिनी के नेताओं तथा पदाधिकारियों ने पूरी ताकत झोंक दी है। कुल मिलाकर मकसद योगी की जीत के अंतर को एतिहासिक बनाना है। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ-साथ केंद्रीय मंत्रिमंडल के नेताओं ने पूर्वांचल के जिलों में डेरा डाल दिया है। भाजपा के संगठन मंत्री सुनील बंसल हर रोज और लगातार विधानसभा सीट के प्रभारियों, नेताओं, प्रत्याशियों से फीडबैक लेने में जुटे हैं। भाजपा के शीर्ष नेता भी मान रहे हैं कि लड़ाई कांटे की है। उधर, सपाध्यक्ष अखिलेश यादव, कांग्रेस महासचिव प्रियंका बांड्रा गांधी ने भी पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस के रणनीतिकारों को इन दोनों चरणों में दर्जन भर सीटें जीत लेने का भरोसा है। जबकि बसपा प्रमुख मायावती के लिए भी यह चरण काफी अहम है। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश यादव के बाद अब अपने दोस्त व सहयोगी के बेटे के लिए वोट मांगने उतरेंगे। मुलायम सिंह ने अभी तक सिर्फ करहल सीट पर जनसभा की है और अब पारसनाथ यादव के बेटे लकी यादव के लिए जौनपुर की मल्हनी सीट पर करेंगे। पीएम मोदी भी उसी दिन उसी जिले में रैली कर अपना दुर्ग बचाने की कवायद करेंगे। 


क्या बरकार रहेगा मठ की साख 

गोरखपुर की मुख्य पहचान गीता प्रेस और गोरक्षा पीठ (गोरखनाथ मंदिर) है। 60 के दशक से मंदिर चुनाव में कभी नहीं हारा है। इस बार मंदिर के महंत, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहली बार विधायकी का चुनाव लड़ने के लिए मैदान में हैं। गोरखपुर ब्राह्मण बहुल सीट है। शहरी सीट पर 60-65 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं। मुख्यमंत्री को जिस जाति (क्षत्रिय) से राजनीतिक रूप से टैग किया जा रहा है, उसके मतदाताओं की संख्या 28-35 हजार है। वैश्य समाज ठीक-ठाक संख्या में है, लेकिन लगातार कई बार के विधायक राधामोहन दास अग्रवाल का टिकट कटने, उनके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से समीकरण न होने का खतरा भी है। हालांकि योगी के लिए अच्छी बात यह है कि ब्राह्मण वोट कुछ हद तक कांग्रेस प्रत्याशी चेतना पांडे को भी मिलेगा। ऐसे में सपा की प्रत्याशी सुभावती शुक्ला के मजबूत दावे में थोड़ा सेंध लगेगी। बसपा ने ख्वाजा शमशुद्दीन को उतारा है। वह अल्पसंख्यक मतों में सेंध लगाएंगे। चंद्र शेखर आजाद दलित मतों में बंटवारा कर सकते हैं। इन सबके बाद भी गोरखपुर शहरी सीट पर इस बार मंदिर के महंत और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के लिए चुनौती मानी जा रही है। इस सीट को बड़े अंतर से जीत लेने के लिए भाजपा ने खास प्लान तैयार किया है। अमित शाह गोरखपुर को लेकर संवेदनशील हैं और प्रधानमंत्री मोदी प्रचार करके योगी की जीत का अंतर बड़ा करने के उपाय पर गंभीर हैं। माना जा रहा है कि महंत की झंडा बरदारी ही मतदाताओं के बीच में प्रमुख मुद्दा भी रहेगी।


जातिवाद चलेगा या सांप्रदायिक ध्रुवीकरण

छठवें और सातवें चरण का चुनाव जातिवाद या सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की भी प्रयोगशाला होगा। सातवें चरण में 9 जिलों की 54 विधानसभा सीटों पर 2017 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दें, तो जातिगत समीकरण चरण 90 के दशक से हमेशा प्रभावी रहे हैं। आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, मिर्जापुर, वाराणसी, चंदौली, सोनभद्र में इसका खासा प्रभाव दिखाई देता है। छठे चरण में बलिया, देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, बस्ती, संतकबीरनगर, अंबेडकर नगर, सिद्धार्थनगर में इसकी बानगी देखने को मिलती है। चुनावी लड़ाई भाजपा और सपा के बीच में है। 2012 के विधानसभा चुनाव के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है, जहां सांप्रदायिक ध्रुवीकरण केवल 15-20 प्रतिशत चल पा रहा है। जबकि पिछले दो लोकसभा और एक विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा 70-80 प्रतिशत तक प्रभावी था। चुनाव जातिगत मुद्दे पर हो रहा है और छुट्टा गौवंश, बेरोजगारी, मंहगाई भी इसमें तड़का लगा रही है। देखना है कि नतीजे किस तरफ करवट लेते हैं।


योगी, लल्लू और रामगोविंद की प्रतिष्ठा दांव पर

छठे चरण में जिन प्रमुख प्रत्याशियों की किसमत दांव पर है उसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्य सरकार में मंत्री सतीश द्विवेदी, सूर्य प्रताप शाही, उपेंद्र तिवारी, श्रीराम चौहान व राम स्वरूप शुक्ला मुख्य हैं। इनके अलावा नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय, बसपा छोड़ सपा में आए लालजी वर्मा, राम अचल राजभर, पूर्व मंत्री राममूर्ति वर्मा, राज किशोर सिंह, स्वामी प्रसाद मौर्य, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू समेत कई अन्य दिग्गज शामिल हैं। प्रचार समाप्त होने से पहले ही सोमवार को यूपी के मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में रोड शो किया। इस दौरान भगवामय हुई सड़कों पर बीजेपी कार्यकर्ताओं और समर्थकों की भारी भीड़ उमड़ी रही। बीजेपी कार्यकर्ता नाचते-गाते आगे बढ़ते रहे। रोड शो देखने के लिए पब्लिक की भीड़ भी सड़कों व मकानों की छतों पर दिखाई दी. रोड शो पर लोगों ने पुष्प वर्षा भी की। सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने रोड शो से पहले खजनी विधानसभा क्षेत्र में एक जनसभा को संबोधित किया. इसमें उन्‍होंने कहा कि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का ज्यादा लाभ खजनी विधानसभा को हो रहा है. ये सिर्फ एक्सप्रेस-वे नहीं है, बल्कि ये विकास का एक्सप्रेस-वे है. गोरखपुर का जो सबसे पिछड़ा क्षेत्र था आने वाले समय में ये क्षेत्र गोरखपुर के सबसे विकसित क्षेत्र में से एक होगा. 


छठे चरण की 57 सीटें 

छठे चरण में राज्य के 10 जिले सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, कुशीनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, गोरखपुर, देवरिया, बलिया, बलरामपुर और अंबेडकरनगर की 57 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी। 57 में से 11 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। इस चरण में कुल 676 प्रत्याशी चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इस चरण में कुल 2,14,62,816 (दो करोड़ चौदह लाख बासठ हजार आठ सौ सोलह) मतदाता हैं। इसमें 1,14,63,113 पुरुष, 99,98,383 महिला व 1320 थर्ड जेंडर के मतदाता शामिल हैं।


छठे चरण की विधान सभा सीटें

कटेहरी, टांडा, आलापुर (सुरक्षित), जलालपुर, अकबरपुर, तुलसीपुर, गैंसड़ी, उतरौला, बलरामपुर (सुरक्षित), शोहरतगढ़, कपिलवस्तु (सुरक्षित), बांसी, इटवा, डुमरियागंज, हर्रैया, कप्तानगंज, रुधौली, बस्ती सदर, महादेवा (सुरक्षित), मेंहदावल, खलीलाबाद, धनघटा (सुरक्षित), फरेंदा, नौतनवा, सिसवा, महराजगंज (सुरक्षित), पनियरा, कैम्पियरगंज, पिपराइच, गोरखपुर शहर, गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवा, खजनी (सुरक्षित), चौरी-चौरा, बांसगांव (सुरक्षित), चिल्लूपार, खड्डा, पडरौना, तमकुही राज, फाजिलनगर, कुशीनगर, हाटा, रामकोला (सुरक्षित), रुद्रपुर, देवरिया, पथरदेवा, रामपुर कारखाना, भाटपार रानी, सलेमपुर (सुरक्षित), बरहज, बेल्थरा रोड (सुरक्षित), रसड़ा, सिकंदरपुर, फेफना, बलिया नगर, बांसडीह व बैरिया


46 सीटें भाजपा के कब्जे में 

पिछली बार यानी 2017 में इन 57 सीटों में से 46 सीटें बीजेपी और दो सीटें उसके सहयोगी दलों अपना दल और सुभासपा ने जीती थीं. तब सुभासपा और भाजपा का गठबंधन था. इस बार सुभासपा और सपा (सपा) का गठबंधन है। 


क्या मुफ्त सिलेंडर करेगा कमाल 

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि यह चुनाव राष्ट्रवादियों और परिवारवादियों के बीच है। याद रखें कि कैसे आपको अपने वाहनों को चिकित्सा आपात स्थिति में गोरखपुर ले जाना पड़ा क्योंकि तत्कालीन सरकार ने यहां लोगों की चिकित्सा जरूरतों पर कोई ध्यान नहीं दिया। दिमागी बुखार से कई मासूम बच्चों की मौत हो गई। योगी ने कहा कि परिवारवाद की राजनीति, जातिवाद को पीएम मोदी के नेतृत्व में राज्य में गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाओं से बदल दिया गया है। पीएम के नेतृत्व में भारत की वैश्विक पहचान और प्रभाव में सुधार हुआ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर आप भाजपा की सरकार बनाने में मदद करते हैं, तो मैं आपको बताना चाहता हूं कि होली और दिवाली पर आपको एक मुफ्त गैस सिलेंडर उपलब्ध कराया जाएगा।


151 उम्मीदवारों पर हत्या, रेप और हमले जैसे मामले

छठे चरण के लिए मैदान में उतरे 676 में से 670 उम्मीदवारों की एडीआर रिपोर्ट के मुताबिक 27 फीसदी यानी 182 उम्मीदवारों के खिलाफ अपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इसमें सबसे ज्यादा सपा के 48 में से 40 83 फीसद उम्मीदवार आपराधिक पृष्ठभूमि वाले हैं। दूसरे नंबर पर 23 आरोपी उम्मीदवारों के साथ बीजेपी है. कांग्रेस और बीएसपी के 22-22 उम्मीदवार आपराधिक मुकदमे झेल रहे हैं। 151 उम्मीदवार तो पुलिस रिकॉर्ड में हत्या, रेप, जानलेवा हमला करने जैसे गंभीर अपराधों के मुलजिम हैं। 


धनबल का बोलबाला

इस चरण में करोड़पति उम्मीदवारों की बात करें तो सपा के पास एक करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति वाले 45 उम्मीदवार हैं, जबकि भाजपा के पास 42, बसपा, कांग्रेस ने 26 और आप ने 14 करोड़पति उम्मीदवार उतारे हैं। सभी उम्मीदवारों में सबसे अमीर उम्मीदवारों में 67 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ गोरखपुर के चुलुपार से सपा के विनय शंकर तिवारी, अंबेडकरनगर से 63 करोड़ रुपये के साथ बसपा के राकेश पांडे और बलिया से उसी पार्टी के उमाशंकर सिंह ने 54 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की है. इस चरण में अधिकतम 57 प्रतिशत उम्मीदवारों के पास स्नातक और उससे ऊपर की शैक्षणिक योग्यता है। 


प्रोपेगैंडा वॉर भी खूब 

इस बार के चुनाव में सोशल मीडिया भी खूब राजनीतिक रंग में रंगा है। भाजपा, सपा, बसपा, और कांग्रेस के पक्ष में सोशल मीडिया पर जमकर पोस्ट चलाई जा रही हैं। करहल में मतदान के दिन राजनीतिक प्रोपेगैंडा ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के चुनाव हारने की भविष्यवाणी कर दी थी। 27 फरवरी को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, 90 के दशक से निर्दलीय जीत रहे कुंडा के रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के चुनाव हारने की भविष्यवाणी हो चुकी है। अगली भविष्यवाणी छठे चरण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, स्वामी प्रसाद मौर्य, ओमप्रकाश राजभर, दारा सिंह चौहान की सीट फंसने, चुनाव हारने की खबरों ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है। खबरों में जौनपुर की मल्हनी सीट से चुनाव लड़ रहे बाहुबली धनंजय सिंह भी हॉट उम्मीदवार बने हुए हैं। इसी तरह से सातवें चरण के लिए नौ जिलों की 54 विधानसभा सीटों पर भी मुकाबला कड़ा बताया जा रहा है।





--सुरेश गांधी--

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