मधुबनी , जिला पदाधिकारी, मधुबनी के कर कमलों से जवाहर नवोदय विद्यालय, रामपट्टी, मधुबनी स्थित सभाकक्ष में तीन दिवसीय शिल्प जागरूकता कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। बताते चलें कि कार्यालय, सहायक निदेशक, हस्तशिल्प, भारत सरकार के तत्वावधान में जवाहर नवोदय विद्यालय, रामपट्टी, मधुबनी के परिसर में तीन दिवसीय शिल्प जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने का मकसद लोगों में विशेषकर चौदह वर्ष के ऊपर की आयु के बच्चों में कौशल विकास के लिए शिल्प के महत्व को रेखांकित करना है। कार्यक्रम में शामिल होने आए लोगों को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि मधुबनी जिले में हस्तशिल्प की अपार संभावनाएं हैं। विशेषकर चित्रकला के क्षेत्र में अनंत संभावनाएं हैं। उन्होंने शिल्प जागरूकता कार्यक्रम के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बच्चों के बाल मन पर इसके सकारात्मक प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हम सभी में कोई न कोई कौशल अवश्य होता है, आवश्यकता केवल उसे उभरने देने के मौके प्रदान करने की होती है। किसी भी कार्य को बेहतर तरीके से करने के लिए क्षमता संवर्धन की आवश्यकता तो होती ही है। उन्होंने कहा कि हम सभी प्रायः विकास की बात करते हैं। चाहे आधारभूत संरचना के विकास की बात हो, कला के विकास की बात हो अथवा कौशल विकास की बात हो। परंतु हमें विकास के लिए अग्रेजी के दो भिन्न शब्दों ग्रोथ और डेवलपमेंट के बीच अंतर को समझना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि जहां ग्रोथ का आशय आकार में वृद्धि से होता है, वहीं डेवलपमेंट का तात्पर्य सर्वांगीण विकास से होता है। हमारे भीतर सभी सकारात्मक संभावनाओं का विकास हो यह परम आवश्यक है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि शिल्प अपने आप में परिपूर्ण है। शिल्प के माध्यम से हमारे अंदर किस प्रकार सकारात्मकता, कल्पनाशीलता और रचनात्मकता का विकास किया जा सकता है, इस पर चर्चा करने के उद्देश्य से विभिन्न हस्तशिल्पों जैसे मिथिला चित्रकला, सिकी कला, पेपरमेशी आदि से कई कलाकार इस तीन दिवसीय शिल्प जागरूकता कार्यक्रम में आए हुए हैं। उन्होंने व्यवहारिक ज्ञान के विकास के लिए हार्ड स्किल के साथ साथ सॉफ्ट स्किल के विकास पर भी बल दिया। विस्तृत व्याख्या करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि व्यवसायिक दृष्टिकोण से हार्ड स्किल हमारे लिए उपयोगी है, वहीं जब अपनी क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए संवाद कौशल और आत्मविश्वास की आवश्यकता होगी तो हमारे सॉफ्ट कौशल हमारे काम आते हैं। हमारे विद्यालय हमारे सामाजिक विकास की आधारशिला हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सकारात्मक संभावनाओं की वृद्धि विकास है। उपस्थित शिक्षार्थियों के लिए उन्होंने अनुशासन का मूल मंत्र भी दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी विकासशील जीवन में सहयोग लेना और सहयोग देना, मदद लेना और मदद देना दोनों बड़ी बात है। जीवन में जब भी जरूरत हो, अपनी बात अपने अभिभावकों और शिक्षकों से जरूर साझा करें। किसी भी विपरीत परिस्थिति से घबराना नहीं चाहिए। उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि इंटरमीडिएट के बाद मेरे मन में भी भविष्य को लेकर बड़ी आशंकाएं थीं। परंतु, मैंने आत्मसंयम से काम लिया और सारी दुविधाएं छटती चली गईं। इसलिए कभी भी संयम नहीं खोना चाहिए। आज डॉक्टर और इंजीनियर बनने से आगे भी संभावनाओं के अनेक द्वार खुले हैं। इसलिए जिस क्षेत्र में जाएं, अच्छा करने का प्रयास करें। संबोधन के अंत में उनके द्वारा उपस्थित सभी लोगों के बीच तीन दिवसीय शिल्प जागरूकता कार्यक्रम में शामिल होने पर खुशी जाहिर की गई और शिल्प के माध्यम से कौशल विकास एवं कार्य दक्षता के नए सोपान पर आरूढ़ होने के लिए शुभकामनाएं दी गईं। इस अवसर पर पद्मश्री दुलारी देवी, श्री ए के द्विवेदी, प्रधानाचार्य, नवोदय विद्यालय, मधुबनी, श्री बी के झा, सहायक निदेशक, कार्यालय हस्तशिल्प, भारत सरकार, श्री सुमित कुमार, डीपीएम, नाबार्ड, श्री केदार प्रसाद सिंह, प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर, एमएसएमई, श्री शिवाकर कंठ, प्रतिनिधि, जिला उद्योग केन्द्र, मधुबनी, श्रीमती विभा दास, राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त चित्रकार के साथ साथ अन्य कलाकार और शिक्षार्थी उपस्थित थे।
बुधवार, 2 मार्च 2022
मधुबनी : कला से सकारात्मक संभावनाओं का होता है विकास : जिलाधिकारी
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