बिहार : शराब पीने वाले को पकड़े जाने पर जेल नहीं भेजा जाएगा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 3 मार्च 2022

बिहार : शराब पीने वाले को पकड़े जाने पर जेल नहीं भेजा जाएगा

no-jail-for-alcohal-in-bhar
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दृढ़ निश्चय कर लिये हैं कि बिहार में शराबबंदी हो। मुख्यमंत्री द्वारा कई तरह का प्रयाय किया जा रहा है। परंतु शराब माफियाओं पर असर नहीं पड़ रहा है। उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए राज्य सरकार ड्रोन, हेलीकॉप्टर, सैटेलाइट फोन, मोटर बोट, घोड़े, डॉग स्क्वायड का इस्तेमाल कर रही है। इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं करने पर बिहार पुलिस की आलोचना हो रही है।  शराब माफियाओं के साथ कथित संबंधों को लेकर कई पुलिस कर्मियों और अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया और उनको नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। अब सरकार ने तरकीब निकाली है कि शराब पीने वाले को पकड़े जाने पर जेल नहीं भेजा जाएगा। इसके बदले में उसे पुलिस को सिर्फ शराब माफियाओं की जानकारी देनी होगी।  बिहार में लगातार शराब तस्करी के मामले सामने आने के बाद और विपक्ष द्वारा लगाता सवाल खड़ा करने पर बिहार सरकार ने शराबबंदी को लेकर बड़ा फैसला किया है। उत्पाद आयुक्त कार्तिकेय धनजी ने बताया कि इस नए फैसले के तहत अब शराब पीने वाले को पकड़े जाने पर जेल नहीं भेजा जाएगा। इसके बदले में उसे पुलिस को सिर्फ शराब माफियाओं की जानकारी देनी होगी। अगर दी गई जानकारी पर शराब माफिया पकड़ा जाता है तो शराब पीने वाले को जेल नहीं जाना होगा। बिहार में शराबबंदी कानून का सख्ती से पालन करवाने के लिए बिहार सरकार और मद्य निषेध विभाग कार्य कर रहा है। इसी कड़ी में मद्य निषेध विभाग ने एक बड़ा फैसला लिया है। उत्पाद विभाग के आयुक्त कृष्ण कुमार ने बताया कि शराब तस्करों को बख्शा नहीं जाएगा। शराब पीने वाला व्यक्ति यदि शराब तस्कर की सही जानकारी देता है तो उसे छूट दी जाएगी और उसे जेल नहीं भेजा जाएगा।कृष्ण कुमार ने बताया कि यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि अब तक करीब साढ़े तीन से 4 लाख व्यक्तियों को शराब पीने के आरोप में जेल भेजा गया है। यदि शराब पीने वाला व्यक्ति हमारी मदद करता है तो विभाग भी उसकी मदद करेगा। उसकी  सुरक्षा की जिम्मेदारी भी विभाग की होगी। ये फैसला क्यों लिया गया इसकी जानकारी भी उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने ही दे दी। विभाग के आयुक्त कृष्ण कुमार ने बताया कि सरकार ने करीब चार लाख लोगों को शराब पीने के आरोप में जेल भेज दिया है। अब सरकार चाहती है कि उन्हें सजा नहीं सुधार का मौका दिया जाये।  जो शराब बेच रहा है उसे सरकार गिरफ्तार करना चाहती है, शराब पीने वालों को नहीं। समाज सुधार के लिए सरकार ने ये नया फैसला लिया है जो अभी से ही अमल में आ जायेगा।


गौरतलब है कि बिहार सरकार ने 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया था।  कानून के तहत शराब की बिक्री, पीने और इसे बनाने पर प्रतिबंध है।  शुरुआत में इस कानून के तहत संपत्ति कुर्क करने और उम्र कैद की सजा तक का प्रावधान था, लेकिन 2018 में संशोधन के बाद सजा में थोड़ी छूट दी गई थी।  बता दें कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक अब तक मद्य निषेध कानून उल्लंघन से जुड़े करीब 3 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं।  बिहार में जारी शराबबंदी को लेकर उत्पाद विभाग और मद्यनिषेध विभाग ने हाल के दिनों में समीक्षा की थी और इसके बाद विभाग ने यह बड़ा फैसला लिया है। शराब माफियाओं की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए राज्य सरकार ड्रोन, हेलीकॉप्टर, सैटेलाइट फोन, मोटर बोट, घोड़े, डॉग स्क्वायड का इस्तेमाल कर रही है। इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं करने पर बिहार पुलिस की आलोचना हो रही है। शराब माफियाओं के साथ कथित संबंधों को लेकर कई पुलिस कर्मियों और अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया और उनको नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। बताया गया था कि जनवरी 2021 से अक्टूबर 2021 तक विशेष छापेमारी कर प्रदेश के जिलों में 49 हजार 900 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। जिसमें शराबी और शराब तस्कर शामिल थे। साथ ही इस दौरान कुल 38 लाख 72 हजार 645 लीटर अवैध शराब जब्त की गई थी। जेलों के साथ-साथ बिहार की अदालतों पर भी शराबबंदी के मामलों का बोझ बढ़ गया था। बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। कोर्ट में जमानत याचिका के लगे अंबार पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की थी। मामले की अगली सुनवाई 8 मार्च को होनी है, इससे पहले बिहार सरकार ने अब गिरफ्तारी ना करने का बड़ा फैसला ले लिया है। शराबबंदी के बाद बिहार में शराब तस्कर एक्टिव हो गए थे, जिसको लेकर विपक्ष लगातार सवाल खड़े कर रहा था।  बताया जाता है कि दीघा मुसहरी में राजू साह नामक शराब माफिया है। वह महादलितों से शराब बिक्री करवाता है। बिहार में 2016 से शराबबंदी है। दीघा थाना की पुलिस ने केवल एक बार ही राजू साह को गिरफ्तार कर पायी है। बदले में राजू साह के इशारे पर दीघा पुलिस महादलित मुसहरों को ही पकड़कर जेल भेजवाकर पीठ थपथपवाने में पुलिस सफल हो रही है।

कोई टिप्पणी नहीं: