'भारत के अनूठे मंदिर' सुने सिद्दार्थ काक से - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 21 मार्च 2022

'भारत के अनूठे मंदिर' सुने सिद्दार्थ काक से

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नई दिल्ली :भारत मे ऐसे अनेकों मंदिर हैं जो अपनी मान्यताओं व् वेशेषताओं को लेकर अद्भुत माने जाते हैं, लेकिन यह मंदिर देशभर में अनोखे होने के साथ साथ बेहद प्रसिद्ध भी हैं। ऐसे ही अनोखेपन और  बहुरंगी परम्परों को लेकर देशभर में मौजूद मंदिरों के बारे अगर आप जानने चाहते हैं तो स्टोरीटेल  ऑडियोबुक प्लेटफोर्म पर भारतीय वृत्तचित्र,  डाक्यूमेंट्री फ़िल्म निर्माता एवं प्रस्तोता सिद्धार्थ काक की आवाज में सुने ‘ भारत के अनूठे मंदिर’. सिद्धार्थ काक दूरदर्शन के जमाने के अपने बेहद लोकप्रिय शो 'सुरभि' के लिए आज भी याद किए जाते हैं। सिद्धार्थ काक ने इस सीरीज के रिलीज़ होने पर अपने विचार रखते हुए कहा ‘भारत के अनूठे मंदिर’एक अनोखी सीरीज  है जो आपको प्राचीन मंदिरों की अनजानी दुनिया में ले जायेगी। मेने अपने डाक्यूमेंट्री  फिल्म बनाने के शौक के  चलते  भारत की  संस्कृति और इतिहास  के अनजाने पह्लुजों की खोज में  पुरे भारत की यात्रा की है। यह  एक शानदार और अतुल्य  धरती है, इस यात्रा में जो मेरे दिल को छु गयी थी वे थे इस भारत वर्ष के भव्य मंदिर, इन एपिसोड में इन मंदिरों के बारे में विस्तार से सुने।   इस सीरीज में देश के अनूठे मंदिरों में मशहूर कोणाक का सूर्य मंदिर जो अपनी स्थापत्य कला की दृष्टि से बेहद अनूठा है। ऐसा माना जाता है यह मंदिर एक ऐसा कोना है, जहाँ सूर्य भगवान स्वयं बसते हैं. सुबह और शाम, एक निश्चित समय पर ऐसा लगता है, जैसे सूर्य भगवान, इस रथ पर सवार होकर समुद्र से बाहर निकल रहे हैं। अमृतसर का स्वर्ण मंदिर एक ऐसा मंदिर जहाँ घंटियों की आवाज़ नहीं बल्कि हारमोनियम और तबले की थाप सुनाई देती है. जहाँ कानों में आरती की जगह गुरु की बानी गूँजती है। जहाँ किसी मूर्ति की बजाय पूजा जाता है एक ग्रन्थ. वह पावन किताब जिसमें सिख समुदाय का है अटल विश्वास... यही इनके गुरु और यही इनके भगवान हैं। विजय विट्ठल मंदिर कर्नाटक में  युनेस्को  की एक  हेरिटेज साईट  हम्पी में स्थित है. इसे पंद्रहवीं शताब्दी में बनाया गया था। ये एक ऐसा मंदिर है जहाँ पत्थर के खंभों से संगीत निकलता है। तुंगभद्रा नदी के किनारे बने इस मंदिर के आज बस कुछ खंडहर   ही देखने को मिलते हैं लेकिन ये खंडहर  ही इतने शानदार हैं की पूरे विश्व  से लोग इसे देखने यहाँ खींचे चले आते हैं। क्या आप जानते है पत्थरों के बने उस प्राकृतिक दिये के बारे में जो बिना तेल और घी के सदियों से लगातार जल रहा है? वो दिया जिसकी लौ न तो कभी बुझती है न कभी धीमी पड़ती है। जिसे न तो किसी ने जलाया और न तो कोई बुझा पाया. एक ज्योत, एक ज्वाला जो सदियों से बिना किसी आधार के प्रज्वलित है और भक्तों के असीम विश्वास का प्रतीक है. एक ऐसा अनोखा और एकलौता मंदिर जहाँ माता के अग्नि रूप की पूजा की जाती है, ज्वाला मंदिर के बारे में जाने सिद्धार्थ काक से। कामाख्या देवी एक ऐसा शक्ति पीठ है जो समर्पित है महादेव की नई नवेली दुल्हन को। यहाँ माता किसी शीर्ष स्थान पर नहीं बल्कि विराजमान हैं ज़मीन पर वो भी प्राकृतिक पत्थरों के एक कुंड के रूप में. एक ऐसा मंदिर जहाँ माता की मूर्ति की नहीं बल्कि योनि की पूजा होती है।

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