बागी समर्पण का 50वें साल का जश्न मनाने की पूर्व संध्या - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 14 अप्रैल 2022

बागी समर्पण का 50वें साल का जश्न मनाने की पूर्व संध्या

surender-day-celebraion
जौरा. एकता परिषद के संस्थापक और गांधी आश्रम के अध्यक्ष श्री राजगोपाल पी व्ही ने कहा है कि अगर हम अपने स्तर से द्वंद को सुलझाने का प्रयास करेंगे तो शांति का माहौल कायम हो जाएगा.आज हर स्तर पर द्वंद है.सामाजिक,आर्थिक,राजनीतिक द्वंद्व बरकरार है.इस तरह के द्वंद्व को खत्म करने का आह्वान किया.चम्बल में हुए आत्मसमर्पण से सामाजिक सम्मान की प्राप्ति और शोषण मुक्त समाज की रचना का संदेश पूरी दुनिया में गया है. आज जहां हम लोग बैठे हैं वहां पर बैठ नहीं सकते थे.पर एक साहसिक प्रयास किया गया.इसके बल पर 654 बागियों ने अपनी बंदूकें गांधी की प्रतिमा के समक्ष समर्पित कर दिये थे.आत्मसमर्पण करने वालों में साथ-साथ बैठे हैं. बता दें कि जौरा में बागी आत्मसमर्पण की स्वर्ण जयंती समारोह में मनाया जा रहा है. इसमें सर्वोदय मण्डल उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष और प्रख्यात गांधीवादी रामधीरज भाई  महात्मा गांधी सेवा आश्रम, जौरा में उपस्थित हैं.बिहार से प्रदीप प्रियदर्शी आये हैं.उनका कहना है कि आज बागी समर्पण की 50 वीं वर्षगांठ पर मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित जौरा आश्रम में उस स्थान का दर्शन करने का अवसर मिला. जहां पर 14 अप्रैल नई 1972 को जयप्रकाश जी के सानिध्य में 172 डाकुओं ने महात्मा गांधी के  चित्र के सामने उनके चरणों में अपने हथियार समर्पित किए थे.14 अप्रैल की पूर्व संध्या पर आज उस स्थान को नमन किया और देश में शांति और न्याय पर आधारित समाज निर्माण के लिए 28 राज्यों से आए युवक-युवतियों ने मिलकर प्रार्थना किया प्रसिद्ध गांधीवादी आदरणीय पीवी राजगोपाल जी के नेतृत्व में यह प्रार्थना सभा का आयोजन हुआ कल 14 अप्रैल को बागी समर्पण का 50 वा सालगिरह समारोह का आयोजन किया गया है. जिसमें मैं शामिल रहूंगा. कहा जाता हे कि शांति को बढ़ावा देने वाला तत्व परस्पर सहयोग है. आपस में साथ देने से सभी काम आसानी से हल हो जाते है. सहयोग देने से आपस में शांति बनी रहती है. विश्व शांति बहुत जरूरी है और शांति को बनाए रखने के लिए हम सब को मिलकर सहयोग देना चाहिए. हम सभी लोगों को साथ मिलकर विश्व में शांति लाने का कार्य करना चाहिए.ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगे जिसकी वजह से विश्व में अशांति का वातावरण फैल जायेगा.राष्ट्रों को केंद्रीय स्थान देना है , उनकी संप्रभुता का आदर करना चाहिए.  राष्ट्रों की गहराई तक जमीन आपसी सहयोग हो स्वीकार करना.सकारात्मक सोच रखना. राष्ट्र आधारित व्यवस्था को मानव इतिहास की समाप्तप्राय अवस्था मानती है.

कोई टिप्पणी नहीं: