अनुच्छेद 370 हट गया,प्रदेश दो भागों में विभाजित हुआ:लद्दाख और जम्मू व कश्मीर।इस बीच 'कश्मीर फाइल्स' फ़िल्म रिलीज़ हुई और देश के दर्शक पण्डितों पर हुई ज़्यादतियों और नृशंस अत्याचार से रू-ब-रू हुये। प्रधानमंत्री हाल ही में जम्मू गए और वहां विकास की कई सारी करोड़ों की योजनाओं का सूत्रपात किया।आशा की जा रही थी कि अब घाटी में शांति स्थापित होगी और आतंकी वारदातों में कमी आएगी।मग़र ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा।आये दिन कश्मीर घाटी में आतंकी घटनाओं की सूचनाएं प्रेस में आ रही हैं।जिस का मतलब यह है कि आतंक की जड़ें अभी भी घाटी में गहरे तक समायी हुई हैं। समय आ गया है जब हमारे खुफिया तंत्र को और मज़बूत बनाया जाय और जिहादियों से निपटने के लिए कोई और कारगर योजना बनाई जाए।जिहादियों को प्रश्रय देने या फिर उनसे सहानुभूति रखने वालों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाय। कश्मीरी पण्डितों पर हुए अनाचार के लिए ज़िम्मेदार दोषियों को चिन्हित करने के लिए एक जांच आयोग तुरन्त गठित किया जाय ताकि पापी दंड के भागीदार बनें और पुण्य की विजय हो।आज के समय में शठ के साथ शठता का आचरण करना बहुत ज़रूरी है।
(डॉ० शिबन कृष्ण रैणा)
पूर्व सदस्य,हिंदी सलाहकार समिति,विधि एवं न्याय मंत्रालय,भारत सरकार।
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