प्रधानमंत्री की आलोचना करते समय लक्ष्मण रेखा होनी चाहिए : हाईकोर्ट - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 28 अप्रैल 2022

प्रधानमंत्री की आलोचना करते समय लक्ष्मण रेखा होनी चाहिए : हाईकोर्ट

laxman-rekha-for-pm-criticism-high-court-delhi
नयी दिल्ली 27 अप्रैल, दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2020 के दिल्ली दंगों के मामले में गिरफ्तार छात्र नेता उमर खालिद की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की आलोचना करते हुए एक लक्ष्मण रेखा होनी चाहिए। दिल्ली उच्च न्यायालय में खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उसके अधिवक्ता ने कहा कि सरकार की आलोचना करना गैर कानूनी नहीं हैं। निचली अदालत खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी जिसके बाद खालिद ने जमानत के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। अधिवक्ता ने पीठ को बताया कि उनके मुवक्किल खालिद के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ असहिष्णुता का परिणाम है और उसे झूठे आरोप लगाकर मामले में झूठा फंसाया गया है। अगर न्यायालय जमानत देता है तो कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार इसके लिए जमानतदार तैयार हैं। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की खंडपीठ ने जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि अमरावती में खालिद का भाषण आपत्तिजनक, अप्रिय और घृणास्पद था। न्यायालय ने अमरावती में फरवरी 2020 का खालिद का भाषण सुनने के बाद उनके वकील से सवाल किया कि प्रधानमंत्री के लिए जुमला शब्द का इस्तेमाल करना उचित है और कहा कि सरकार या सरकारी नीतियों की आलोचना करना गैर कानूनी नहीं है। इसके लिए लक्ष्मण रेखा होनी चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं: