प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के स्थापना दिवस पर बेहद पतेकी बात कही है कि आज दुनिया के सामने एक ऐसा भारत है जो बिना किसी भय या दबाव के, अपने हितों के प्रति अडिग है और जब पूरी दुनिया दो विरोधी ध्रुवों में बंटी हो तब भारत को ऐसे देश के रूप में देखा जा रहा है जो दृढ़ता के साथ मानवता की बात कर सकता है। उन्होंने न केवल राष्ट्रीय हितों को सर्वाेपरि रखते हुए काम करने का विश्वास जताया है, बल्कि यह भी बताया है कि आज भारत के पास नीति भी है , नीयत भी है। निर्णय और निश्चय की शक्ति भी है। यही वजह है कि वह न केवल अपने लक्ष्य तय कर रहा है बल्कि उसे पूरे भी कर रहा है। सबका साथ,सबका विकास का मंत्र भी है और वह सबका विश्वास प्राप्त करने में भी जुटी है। कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से कोहिमा तक भाजपा एक भारत, श्रेष्ठ भारत के संकल्प को निरंतर सशक्त कर रही है। गौरतलब है कि भाजपा अपना स्थापना दिवस ऐसे समय पर मना रही है जब चार राज्यों में उसकी सत्ता बरकरार रखने में दोबारा कामयाब हुई है। तीन दशकों में राज्यसभा में 100 सांसदों वाली पहली पार्टी बनी है। 6 अप्रैल, 1980 से आज तक उसने राजनीतिक उत्थान-पतन के अनेक पड़ाव देखे हैं लेकिन जिस तेजी के साथ वह उत्तरोत्तर विकसित हो रही है, उसने विरोधी दलों की पेशानियों पर बल ला दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बात में दम है कि भारतीय जनता पार्टी जहां राष्ट्र भक्ति को समर्पित है वहीं विरोधी दलों का समर्पण परिवार भक्ति के प्रति है। परिवारवादी पार्टियों को उन्होंने लोकतंत्र का दुश्मन, संविधान और संवैधानिक संस्थाओं की उपेक्षा करने वाला करार दिया है। उन पर यह भी आरोप लगया है कि परिवारवादी दलों ने देश की प्रतिभा तथा युवा शक्ति को कभी उभरने नहीं दिया। हमेशा उनके पैर खींचे। ऐसे दल राष्ट्र नीति से राजनीति को अलग करके चलते रहे।
मौजूदा समय राजनीति और राष्ट्र नीति को साथ लेकर चलने का है। यह और बात है कि परिवारवादी दलों को प्रधानमंत्री की यह बात पहले भी बुरी लगती थी। आज भी बुरी लगी है और आगे भी लगती रहेगी। उन्हें लगता है कि उनका दल ही लोकतंत्र को मजबूती दे सकता है। सोनिया गांधी ने जिस तरह लोकतंत्र की मजबूती के लिए कांग्रेस को मजबूत बनाने की बात कही है। कमोवेश इसी बात का पृष्ठपोषण कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला ने यह कहकर किया है कि संसद और हर प्रांत में भाजपा वंशवाद की पार्टी है। प्रधानमंत्री और उनकी सरकार महंगाई, भुखमरी, किसानों की स्थिति और अर्थव्यवस्था की हालत पर नहीं बोल पा रही है। भाजपा के स्थापना दिवस समारोह में सभी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को टोपी लगाए देख सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तंज किया है कि जो हमारे दल की टोपी पर आक्षेप करते थे, वे आज खुद टोपी लगाए बैठे हैं। उन्होंने तो भाजपा को लोकतंत्र का सीरियल किलर तक कह दिया है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिवों ने सैद्धांतिक आधार पर कम्युनिस्ट आंदोलन फिर से शुरू करने की जरूरत पर बल दिया है। सभी विरोधी दल एकजुट होकर जहां भाजपा को पटखनी देना चाहते हैं, वहीं भाजपा सभी प्रदेश को विकास के शिखर पर ले जाना चाहती है। वह तरक्की के नए आयाम स्थापित करना चाहती है। हर क्षेत्र में बिना किसी भेदभाव के लोगोंको आगे बढ़ाना चाहती है। यह अपने आप में बड़ी बात है। वर्षों से बिगड़ी व्यवस्था एक दिन में नहीं सुधरती लेकिन अगर प्रयास किया जाए तो सुधार—परिष्कार तो होकर ही रहता है। भाजपा अपने स्थापना दिवस पर एक पखवाड़े तक विभिन्न आयोजन कर रही है। इसके पीछे उसे अपने लोगों को सक्रिय रखना तो है ही,विपक्ष की रणनीति को आईना दिखाना भी है। काश, विरोधी दल भी विकास को ही आधार बनाते और सरकार पर अपने-अपने क्षेत्र के विकास के लिए सार्थक दबाव बनाते। यह देश आंदोलन नहीं, सकारात्मक सहयोग चाहता है। जनता के दिल पर तो वही दल राज करेगा, जो उसके हित के काज करेगा। जब हम अपने लिए सोचते हैं तो अकेले हो जाते हैं और जब सबके लिए सोचते हैं मतलब देश के लिए सोचते हैं तो सबके स्नेहभाजन हो जाते हैं। इस बात को समझने और इस पर अमल करने की जरूरत है।
--सियाराम पांडेय ‘शांत’--
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