बेतिया : खरीफ महाअभियान-सह-जिला स्तरीय कार्यशाला का उद्घाटन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 27 मई 2022

बेतिया : खरीफ महाअभियान-सह-जिला स्तरीय कार्यशाला का उद्घाटन

  • उर्वरक का वैज्ञानिक तरीके से इस्तेमाल से बढ़ेगी खेतों की उर्वरा शक्ति, बेहतर होगा पैदावारः जिलाधिकारी.कृषि एलायड क्षेत्रों में किसान लें रुचि, ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर का करें उपयोग.जागरूकता रथों को हरी झंडी दिखाकर किया गया रवाना..

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बेतिया. गाँव-गाँव जाकर खरीफ फसलों के उत्पादन की उन्नत तकनीक सहित विभिन्न योजनाओं की जानकारी किसानों को देगा जागरूकता रथ. खरीफ महाअभियान-सह-जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन जिला निबंधन एवं परामर्श केन्द्र के सभागार में किया गया. उक्त महाअभियान एवं  कार्यशाला  का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्जवलित कर जिलाधिकारी, श्री कुंदन कुमार द्वारा किया गया. खरीफ महाअभियान-सह-जिलास्तरीय कर्मशाला में जिलाधिकारी, श्री कुंदन कुमार ने कहा कि हर साल हम सभी खरीफ महोत्सव का आयोजन किया जाता है.गर्व की बात है कि वैज्ञानिकों एवं किसानों के प्रयास के कारण आज इतनी बड़ी आबादी के लिए खाद्यान्न की उपलब्धता है. उन्होंने कहा कि पैदावार को और ज्यादा कैसे बढ़ाया जाय, किसानों की समस्याओं का निराकरण कैसे किया जाय, इसके लिए सभी को समन्वित प्रयास करना होगा. उन्होंने कहा कि परंपरागत खेती के अलावा चंवर, तालाब का उपयोग कृषि क्षेत्र में किया जा रहा है. मखाना की खेती की जा रही है.जिले में एक्सपेरिमेंट के तौर पर मखाना का बंपर उत्पादन हुआ है. लगभग 100 एकड़ क्षेत्र में मखाना की खेती हो रही है.मखाना के लिए मार्केट लिंकेज की व्यवस्था है. जिले के किसान परंपरागत खेती के अलावे इस दिशा में आगे बढ़े और मखाना आदि की खेती भी करें. जिलाधिकारी ने कहा कि उर्वरकों का इस्तेमाल सही तरीके से करें. कृषि वैज्ञानिक एवं कृषि विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देश के तहत खेतों में उर्वरक, कीटनाशक का प्रयोग करें.इससे खेतों और फसलों को नुकसान होने से बचाया जा सकता है.उन्होंने कहा कि धरती हमारी माता है और हम सभी इसके बच्चे. अगर धरती माता की तबीयत ज्यादा एवं अनुचित तरीके से उर्वरक का प्रयोग करने से होगा तो उसके बच्चे भी यानी हम सभी भी बीमार होंगे. धरती माता की तबीयत ज्यादा उर्वरक, कीटनाशक आदि के प्रयोगों से हो रही है, इसे हम सभी को रोकना है. सभी को समन्वित प्रयास कर धरती माता को बीमार होने से बचाना है. उन्होंने कहा कि चम्पारण क्रांति की धरती है. इस क्षेत्र में भी क्रांति की आवश्यकता है. स्वायल हेल्थ कार्ड के आधार पर कौन सा उर्वरक कितनी मात्रा में खेतों में डालना है की जानकारी लेकर ही उर्वरक का प्रयोग करें.उर्वरकों के बेतहाशा प्रयोग से खेतों और फसलों को काफी नुकसान पहुंचता है.उन्होंने कहा कि स्वायल हेल्थ कार्ड के आधार पर उर्वरक आदि का प्रयोग करने पर उर्वरक की कमी नहीं होगी. फसलों की पैदावार अच्छी होगी.खेतों की उर्वरा शक्ति बेहतर बेहतर होगी.फसल अच्छे होंगे.उन्होंने कहा कि सभी को केमिकल उर्वरक से ऑर्गेनिक उर्वरक की ओर बढ़ना होगा. ऑर्गेनिक उर्वरक के प्रयोग से फायदे ही फायदे हैं. जिलाधिकारी ने कहा कि कृषि एलायड क्षेत्रों मधुमक्खी पालन, फिशरिज, मशरूम, स्ट्रॉबेरी आदि में किसानों को दिलचस्पी लेनी होगी.उन्होंने कहा कि फर्टिलाइजर को लेकर सरकार द्वारा जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाती है. फर्टिलाइजर एवं बीज वितरण आदि कार्यों में गड़बड़ी पर कार्रवाई भी की जायेगी. जिलाधिकारी ने कृषकों से कहा कि खरीफ महाअभियान-सह-जिला स्तरीय कार्यशाला का लाभ उठायें और अच्छे तरीके से खेती करें. तदुपरांत जिलाधिकारी द्वारा जागरूकता रथों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया.यह जागरूकता रथ जिले के गांव-गांव जाकर प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना, बीज ग्राम योजना, कृषि यांत्रिकरण योजना, कृषि फसल बीमा, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन आदि की विस्तृत जानकारी कृषकों को मुहैया कराएगा. खरीफ महाअभियान-सह-जिलास्तरीय कर्मशाला में किसानों को खरीफ फसलों के उत्पादन की उन्नत तकनीक, मौसम के बदलते परिवेश में धान की सीधी बुआई, संकर धान की वैज्ञानिक खेती, जिरो टिलेज से धान की खेती, संकर मक्का की वैज्ञानिक खेती, पैडी ट्रांसप्लांटर से धान की यांत्रिक रोपाई, अरहर की वैज्ञानिक खेती, उड़द की वैज्ञानिक खेती, तिल  की वैज्ञानिक खेती, सब्जी की वैज्ञानिक खेती, समेकित कृषि प्रणाली, फसल अवशेष प्रबंधन, सोयाबिन की वैज्ञानिक खेती, सूक्ष्म सिंचाई पद्धति आदि की विस्तृत जानकारी दी गयी. इस अवसर पर उप निदेशक (रसायन), श्री विनय कुमार पाण्डेय, जिला कृषि पदाधिकारी, श्री विजय प्रकाश, सहायक निदेशक, उद्यान, श्री विवेक भारती सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे.

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