नयी दिल्ली, चार मई, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आधुनिक प्रौद्योगिकी और ज्ञान के इस्तेमाल पर आधारित, आपदा के अनुकूल अवसंरचना विकसित करने की जरूरत रेखांकित करते हुए बुधवार को कहा कि इससे ना सिर्फ वर्तमान पीढ़ी को आपदा से बचाने में मदद मिलेगी बल्कि भावी पीढ़ी को भी सुरक्षित किया जा सकेगा। आपदा प्रबंधन अवसंरचना पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (सीडीआरआई) के चौथे संस्करण के उद्घाटन सत्र को वीडियो संदेश के जरिए संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यह एक साझा सपना और दृष्टि है, जिसे हम सच्चाई में बदल सकते हैं।’’ मोदी ने कहा कि भविष्य को बेहतर बनाने के लिए ‘‘आपदा के अनुकूल अवसंरचना’’ बनाने की दिशा में काम करना होगा। उन्होंने कहा कि आपदा के अनुकूल अवसंरचना व्यापक अनुकूलन प्रयासों का केंद्र हो सकती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अवसंरचना का अर्थ सिर्फ पूंजीगत आस्तियों का निर्माण और दीर्घ अवधि के लिए निवेश या रिटर्न हासिल करना नहीं है और ना ही यह सिर्फ संख्या या धन के लिए है बल्कि यह जनता के लिए है। उन्होंने कहा कि अवसंरचना का मंतव्य लोगों को समानता के आधार पर उच्च गुणवत्ता वाली, भरोसेमंद और सतत सेवायें प्रदान करना होता है। उन्होंने कहा, “लोगों को किसी भी अवसंरचना विकास गाथा के मर्म में होना चाहिये। भारत बिलकुल यही कर रहा है।”
शिक्षा, स्वास्थ्य, पीने का पानी, सफाई, बिजली और परिवहन जैसी बुनियादी सुविधाओं में वृद्धि के भारत के प्रयासों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम लोग बहुत स्पष्ट तरीके से जलवायु परिवर्तन का मुकाबला कर रहे हैं। यही कारण है कि हम कॉप-26 में अपने विकास प्रयासों के समानान्तर 2070 तक ‘नेट-ज़ीरो’ को हासिल करने के लिये संकल्पित हैं।” प्रधानमंत्री ने मानव क्षमता के भरपूर उपयोग के लिये अवसंरचना के महत्व का उल्लेख किया और कहा कि अवसंरचना की क्षति पीढ़ियों तक चलती रहती है। उन्होंने कहा, “हमारे पास उपलब्ध आधुनिक प्रौद्योगिकी और ज्ञान के आधार पर क्या हम परिस्थितियों का सामना करने वाली अवसंरचना का निर्माण कर सकते हैं, जो सदैव कायम रहे?” उन्होंने कहा कि यही चुनौती सीडीआरआई की रचना की बुनियाद है। मोदी ने कहा कि सीडीआरआई का विस्तार हुआ है और उसने मूल्यवान योगदान किये हैं। उन्होंने कॉप-26 में शुरू की गई ‘इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर रेज़ेलियंट आईलैंड स्टेट्स’ (अवरोधी द्वीपीय राज्यों के लिये अवसंरचना) पहल और पूरी दुनिया में 150 हवाई अड्डों के सम्बंध में ‘रेज़ेलियंट एयरपोर्ट्स’ (अवरोधी विमानपत्तन) पर सीडीआरआई के कामकाज का उल्लेख किया। मोदी ने बताया कि सीडीआरआई के नेतृत्व में चलने वाले ‘ग्लोबल असेसमेंट ऑफ डिजास्टर रेज़ेलियंस ऑफ इंफ्रास्ट्रक्चर सिस्टम्स’ (अवसंरचना सम्बंधी प्रणालियों की आपदा अवरोधी स्थिति का वैश्विक मूल्यांकन) से वैश्विक ज्ञान के सृजन में मदद मिलेगी, जो बहुत मूल्यवान होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि अपने भविष्य को हर परिस्थिति के अनुकूल बनाना है तो हर परिस्थिति के योग्य अवसंरचना परिवर्तन के लिये काम करना होगा और हर परिस्थिति में काम करने के लायक अवसंरचना को विस्तृत समायोजक प्रयासों के केंद्र में भी रखा जा सकता है। उन्होंने कहा, “अगर हम अवसंरचना को हालात का सामना करने लायक बनायेंगे तो न केवल अपने लिये, बल्कि आने वाली कई पीढ़ियों के लिये भी आपदाओं को रोक पायेंगे।” आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा और मेडागास्कर के राष्ट्रपति एंड्री निरिना राजेओलिना, घाना के राष्ट्रपति नाना एडो डंकवा अकूफ़ो-एडो ने भी इस सत्र को संबोधित किया।
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