केवल एक पृथ्वी : स्थायी रूप से प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 5 जून 2022

केवल एक पृथ्वी : स्थायी रूप से प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना

  • अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह, शिक्षा विभाग, बिहार सरकार ने कार्यक्रम का उदघटना किया
  • जब हम पर्यावरण को बचाने की चर्चा करते हैं तब हमें तीन आर के तरफ ध्यान देना होगा: दीपक सिंह

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पटना, 5 जून, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार के अधीन कार्यरत संस्थान भारतीय प्राणी सर्वेक्षण, गंगा समभूमि प्रादेशिक केंद्र, पटना के कार्यालय में आज विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन किया गया, जिसमें अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह, शिक्षा विभाग, बिहार सरकार, आई.ए.एस. ने कार्यक्रम का उदघटना किया। अपने संबोधन में अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने  कहा कि जब हम पर्यावरण को बचाने की चर्चा करते हैं तब हमें तीन आर के तरफ ध्यान देना होगा।पहला आर यानी  रिड्यूस  का मतलाब कम करने का अर्थ है जो हमारे द्वारा पैदा किए जाने वाले कचरे की मात्रा को कम करना है।  दूसरा आर यानी रीयूज़  का मतलब है एक वस्तु को एक से अधिक बार उपयोग करने से है। और रिसाइकिल का अर्थ है किसी उत्पाद को फेंकने के बजाय उसे पुन: नए उपयोग में लाना। आगे उन्होंने कहा कि पुनर्विचार इस बात पर विचार करने के बारे में है कि हमारे कार्य पर्यावरण को कैसे प्रभावित करते हैं। उन्होंने वर्तमान में अपने जीवन शैली में सुधार लाने की चर्चा की। उन्होंने कहा कि आज हम अर्बन हीट आइलैंड के चक्र से गुजर रहे हैं जिसमें शहरों में मकान आज कंक्रीट के बनते जा रहे और उनसे हीट जो उत्सर्जित हो रहे हैं उससे शहर वासी परेशान हो रहे हैं। कार्यक्रम में विषय प्रवेश करते हुए डॉ. गोपाल शर्मा ने कहा कि हम जिस डाल पर हम बैठे हैं उसी को काट रहे हैं, हमारे पास सिर्फ एक ही पृथ्वी है जिसे बचाने की आवश्यकता है। इस पृथ्वी का कोई दूसरा विकल्प नहीं है कि अगर यह पृथ्वी रहने लायक नहीं होगा तो किसी दूसरे पृथ्वी जैसा ग्रह पर जाकर बस जायेंगे। हमें इसी पृथ्वी को रहने लायक बना कर रहना होगा जिस प्रकार शादियों पहले यह था। हमें सभी परिश्थितिकी तंत्र के साथ सामंजस्य बना कर चलना होगा। प्रकृति के साथ सद्भावना के रहना होगा। यहाँ पर जितने तरह के जीव-जंतु हैं उनका आदर करना होगा तभी हम प्रकृति को  सुरक्षित बचा रख पायेंगे और आने वाली पीढी को सुरक्षित पर्यवरण दे पायेंगे। डॉ. जनार्दन जी, पूर्व वैज्ञानिक एवं निदेशक, आई. सी.ए.आर., भारत सरकार ने स्लाइड शो के माध्यम से अपने आस-पास के पर्यावरण में हमें क्या चाहिए उस पर विस्तृत रूप से चर्चा किया। कृषि कार्यों एवं अन्य  प्रकार के पैदावार में  कीट नाशक दबाओं के उपयोग तथा उससे पृथ्वी को जो हानि हो रही है उसकी चर्चा किया।


प्रो. तपन कुमार शाण्डिल्य, प्राचार्य, कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय ने अपने उदगार में कहा कि आज हम जिस रास्ते पर चल रहे हैं वह सही नहीं है,  प्रकृति एवं पर्यावरण को बचाने के लिए हम सबको आगे आना होगाI आज वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण एवं मृदा प्रदुषण के कारण हम बुरी तरह प्रभावित हैंI  हमें आगे आने बाले समय को सुरक्षित रखने के लिए सभी को जागरूक करना होगा तथा खुद भी जागरूक होना होगाI उन्होंने कम-से कम वाहनों का उपयोग करने की सलाह दी जिससे वायु प्रदुषण को रोका जा सकेI मौके पर  नवीन कुमार, पूर्व महाप्रवंधक, बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम , बिहार सरकार ने अपने स्लाइड शो में भारत देश के विभिन पक्षी विविधता उन्हें पहचाने उनके संरक्षण पर विशेषः रूप से बल दिया. उन्होंने बिहार में पक्षी गणना की चर्चा करते हुए कहा एक वर्ष के भीतर हमलोगों ने कई पक्षियों का लेखा जोखा तैयार किया किया है जो पहली बार हुआ था. उन्होंने कहा कि सभी लोगों को पक्षियों को बचाने केलिए आगे होना क्योंकि अलग-अलग पारिस्थितिकी तन्त्र में अलग-अलग पक्षियों की प्रजातिर्याँ पायी जाती हैं। वहीं, संजय कुमार, सहायक निदेशक, पी.आई.बी. भारत सरकार, पटना  ने कहा कि पर्यावरण वैश्विक चिंता का विषय बना हुआ है। विकास के नाम प्रकृति का अंधाधुंध से पर्यावरण प्रदूषित होता जा रहा है। पर्यावरण के जैविक और अजैविक घटकों में तेजी से हो रहे बदलाव ने ‘पर्यावरण को प्रदूषण कर दिया  है।हमें पहल करनी होगी। पर्यावरण दिवस मनाते हुए लगभग 50 साल होने जा रहे है और अभी भी पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाले घटक को ना नही कर पा रहे है। वही, डॉ. सत्येन्द्र कुमार, विभागाध्यक्ष जंतु विज्ञान विभाग सेस. एन.एस कॉलेज हाजीपुर ने का कि बिहार में जितने आदर भूमि हैं उनके ऊपर खतरे मंडरा रहे हैं लेकिन सरकार एवं हमलोगों के प्रयास से अब कुछ उम्मीद जगी है अब उन आदर भूमियों में जैव विविधता दिखाई पद रही है।  डॉ. एम. ई. हसन, वैज्ञानिक ई ने कीटों एवं इनके संरक्षण पर विस्तृत रूप से चर्चा किया  इस अवसर पर डॉ. बिभाकुमारी, मगध महिला कॉलेज, डॉ. रश्मि कोमल, पटना सायंस कॉलेज, पटना विश्व विद्यालय, पटना, डॉ. खुशबू कुमारी, शिवहर,  डॉ. पाण्डेय, डॉ. सच्चिदानंद, रसायन शास्त्र विभाग, कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय ने अपनी-अपनी बाते रखी। इस कार्यक्रम में जे.डी. विमेंस कॉलेज, जंतु विज्ञान विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना, किलकारी, बिहार बाल भवन, पटना, पटना विमेंस कॉलेज,पतन वि. वि. पटना; भीम राव अम्बेकर विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर एवं पर्यावरण विज्ञान एवं प्रबंधन, पटना विश्वविद्यालय पटना के के अलाग्भाग 100 छात्र छात्रों ने भाग लिया सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पात्र  प्रदान  किया गया मनीष  चन्द्र पटेल, सहायक प्राणी विज्ञानी, भारतीय प्राणी सर्वेक्षण पटना, ने धन्यवाद ज्ञापन किया। 

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