ढाका, 11 जून, भारत में पैंगबर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर विरोध-प्रदर्शनों और सियासी घमासान के बीच बांग्लादेश में सत्तारूढ़ अवामी लीग के एक नेता ने स्वीकार किया कि इस मुद्दे पर देश की सरकार पर भी ‘कार्रवाई’ करने का दबाव है। उन्होंने कहा कि भारत में होने वाली घटनाओं का असर बांग्लादेश में भी होता है, क्योंकि यहां का बहुसंख्यक समाज मुस्लिम है और देश में मौजूद विघटनकारी ताकतें ऐसी स्थिति का लाभ उठाकर समाज में अव्यवस्था फैलाने का प्रयास करती हैं। सत्तारूढ़ बांग्लादेश अवामी लीग की धार्मिक मामलों की उप समिति के अध्यक्ष और परामर्श समिति के सदस्य खांडाकार गौलम मौला नक्शबंदी ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साजिश और स्थानीय स्तर की ओछी राजनीति के कारण कई बार मुद्दे उभरते हैं, लेकिन इन पर तत्काल कदम उठाने की जरूरत है और कार्रवाई में देरी से स्थिति खराब होती है।” ढाका पहुंचे भारतीय पत्रकारों के एक दल से बातचीत में नक्शबंदी ने कहा, “भारत में पैगंबर के खिलाफ टिप्पणी मामले में उलेमा, सूफी और नागरिक संगठनों की ओर से बांग्लादेश सरकार पर कार्रवाई करने को लेकर दबाव है, लेकिन प्रधानमंत्री शेख हसीना बेहद अनुभवी हैं और वह जानती हैं कि इस स्थिति से कैसे निपटना है।” नक्शबंदी ने कहा कि बांग्लादेश के भारत के साथ बेहतर रिश्ते हैं और भारत एक ऐसा मित्र देश है, जो संकट की घड़ी में मददगार रहा है। उन्होंने कहा कि पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी का मामला प्रथम दृष्टया भारत का आंतरिक मामला है, लेकिन अगर मानवीय स्तर पर बात करें तो ‘इस तरह की घटनाएं यहां (बांग्लादेश में) लोगों को प्रभावित करती हैं।’
नक्शबंदी ने कहा कि इस तरह के बयानों से परहेज किया जाना चाहिेए और ऐसे बयानों से किसी की भी भावनाएं आहत हो सकती हैं। पैगंबर पर टिप्पणी मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा दिल्ली इकाई के मीडिया प्रमुख नवीन जिंदल के निष्कासन और पार्टी प्रवक्ता नुपुर शर्मा के निलंबन तथा उन पर प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद नक्शबंदी ने कहा कि ‘यह देर से उठाया गया कदम है।’ उन्होंने दावा किया कि अरब देशों द्वारा विरोध जताए जाने के बाद भाजपा ने यह कदम उठाया। इस मामले में अरब समेत कई मुस्लिम देशों के विरोध के स्वरों के बीच बांग्लादेश सरकार के रुख को लेकर नक्शबंदी ने कहा, “सरकार स्थिति का आकलन कर रही है।” धार्मिक मामलों की समिति क्या इस मामले में हसीना सरकार को कोई सलाह देगी, इस पर नक्शबंदी ने कहा, “हमने धार्मिक मंत्री से चर्चा की है। हम इस बारे में आगे और विचार-विमर्श कर बयान जारी करेंगे।” उन्होंने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच बेहद प्रगाढ़ रिश्ते हैं और यह बात भी सही है कि कई अंतरराष्ट्रीय ताकतें दोनों देशों के रिश्तों को खराब करने का प्रयास कर रही हैं। नक्शबंदी ने कहा कि प्रधानमंत्री शेख हसीना धार्मिक कट्टरपंथियों के खिलाफ कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति रखती हैं और यही कारण है कि उन्होंने सांप्रदायिक सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए ऐसे मामलों में तेजी से काम किया है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले जारी रहने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत कम मामले हैं। नक्शबंदी ने दावा किया कि मौजूदा सरकार धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखती है और देश के अल्पसंख्यकों के लिए उसने 100 फीसदी सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में काम किया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि बांग्लादेश उन मामलों में तुरंत कार्रवाई करता है, जिनमें धार्मिक संवेदनाएं शामिल हैं। अवामी लीग नेता ने कहा, “जब कुमिल्ला और पीरगंज में सांप्रदायिक हिंसा हुई तो सरकार ने तुरंत कार्रवाई की और 12 घंटे के भीतर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।” इसके साथ ही उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भारत और बांग्लादेश में सांप्रदायिक स्थितियां आपस में जुड़ी हुई हैं और वहां त्वरित उपचारात्मक कदम नहीं उठाए जाने की स्थिति में बांग्लादेश के कुछ हिंसक तत्व यहां फायदा उठाने की कोशिश कर सकते हैं। नक्शबंदी ने कहा कि दुर्भाग्य से पैगंबर के खिलाफ टिप्पणी के मामले में भारत में कार्रवाई को लेकर देरी से कदम उठाए गए। वहीं, ढाका विश्वविद्यालय में फारसी भाषा और साहित्य के प्रोफेसर डॉ. केएम सैफुल इस्लाम खान ने कहा कि भारत सरकार द्वारा उचित कदम उठाए जाने के बाद इस मामले को और अधिक तूल दिए जाने की जरूरत नहीं है।
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