नयी दिल्ली,08 जून, सरकार ने किसानों को बड़ी राहत देते हुए वर्ष 2022-23 के खरीफ सीज़न की 17 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि करने की बुधवार को घोषणा की और कहा कि वह किसानों को उनकी उपज की लागत का डेढ़ गुनी कीमत दिलाने के लिए कटिबद्ध है। एमएसपी में वृद्धि करने के प्रस्ताव में धान के मूल्य में 100, मूंग में 480 और सूरजमुखी में 385 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गयी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गये निर्णयों की जानकारी देते हुए कहा कि स्वीकृत एमएसपी किसानों को उनकी फसल के लागत मूल्य का कम से कम डेढ़ गुना दाम दिलवाने के सरकार के सैद्धांतिक फैसले के अनुरूप है। उन्होंने कहा, “ हमने एमएसपी को फसल की लागत से 50 से 85 प्रतिशत तक ऊंचा रखा है।” श्री ठाकुर ने कहा कि इस बार एमएसपी में सबसे ज्यादा वृद्धि तिल (523 रुपये प्रति क्विंटल), मूंग (480 रुपये) और सूरजमुखी में (385 रुपये प्रति क्विंटल) की गयी। उन्होंने कहा कि सामान्य ग्रेड के धान का मूल्य 100 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 2040 रुपये तथा ए ग्रेड के धान का मूल्य इतनी ही वृद्धि के साथ 2060 रुपये निर्धारित किया गया है। ज्वार (संकर) 232 रुपये बढ़ाकर 2970 और ज्वार मालदानी इतनी ही वृद्धि के साथ 2990 रुपये प्रति क्विंटल हो गयी है। बाजरा और रागी के एमएसपी को क्रमश: 100 और 201 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 2350 और 3578 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। मक्का के एमएसपी में 92 रुपये की वृद्धि कर इसे 1962, अरहर में 300 रुपये की वृद्धि कर इसे 6600, मूंग में 480 की वृद्धि कर इसे 7755 रुपये प्रति क्विंटल, उड़द में 300 रुपये की वृद्धि कर इसका 6600 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। तिलहनों में मूंगफली का एमएसपी पिछले साल से 300 रुपये बढ़ाकर 5850 रुपये, सूरजमुखी 385 रुपये बढाकर 6400 रुपये, सोयाबीन पीला 350 रुपये की वृद्धि के साथ 4500 रुपये, रामतिल 357 रुपये की वृद्धि के साथ 7287 और तिल का एमएसपी 523 रुपये बढाकर 7830 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है। इसी तरह औसत रेशे कपास के एमएसपी में 354 रुपये और लंबे रेशे के कपास में 355 रुपये बढाकर इसका एमएसपी क्रमश: 6080 और 6380 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है।
श्री ठाकुर ने बताया कि धान, ज्वार, रागी, मूंग और कपास सहित आठ फसलों का एमएसपी उनके लागत मूल्य से 50 प्रतिशत ऊंचा रखा गया है। बाजरे का समर्थन मूल्य उसकी लागत का 85 प्रतिशत, तूअर 60 प्रतिशत, उड़द 59 और सूरजमुखी 56 तथा सोयाबीन का एमएसपी लागत से 53 प्रतिशत ऊपर है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि एमएसपी की घोषणा बुवाई से पहले की जाये ताकि किसानों को प्रोत्साहन मिले और उन्हें यह पता रहे कि उन्हें कटाई के बाद क्या कीमत मिलेगी। यह सरकार की विश्वसनीयता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार किसानों को उनकी फसल का लाभदायक मूल्य दिलाने के साथ-साथ उसकी सरकारी खरीद भी बढ़ा रही है। इसके अलावा भारत से कृषि उपजों का निर्यात भी बढ़ा है जिसका लाभ किसानों को मिल रहा है। सरकार का कहना है कि इन फैसलों से कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा, किसानों को लाभदायक मूल्य मिलेगा, आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी तथा खाद्य क्षेत्र आत्मनिर्भरता आयेगी और आयात पर निर्भरता कम होगी। श्री ठाकुर ने एक सवाल के जवाब में कहा कि खाद्य तेलों पर आयात निर्भरता कम करने के लिए विशेष तौर पर पूर्वोत्तर क्षेत्र में ऑयल पॉम की बागवानी को प्रोत्साहित करने पर खास बल दिया जा रहा है। इस सवाल पर कि एमएसपी बढ़ाने से क्या महंगाई नहीं बढ़ेगी, उन्होंने कहा कि सरकार ने कृषि की लागत कम रखने के लिए किसानों के लिए उर्वरक सब्सिडी एक लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर दो लाख करोड़ रुपये की है। दलहन की खरीद पांच वर्षों में 74 गुना बढ़ायी गयी है। यूक्रेन संकट के बाद जहां दुनिया भर रासायनिक खादों को दाम बढ़ रहे हैं, वहीं भारत में सरकार ने बढ़े हुए दाम का पूरा बोझ अपने बजट पर रखा है।
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