बिहार : विश्व स्तनपान सप्ताह 1 अगस्त से - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 31 जुलाई 2022

बिहार : विश्व स्तनपान सप्ताह 1 अगस्त से

पटना : गत वर्ष 2021 में वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक 2021 की थीम ‘स्तनपान की रक्षा करेंः एक साझा जिम्मेदारी‘ रखी गई थी.इस साल 2022 में वर्ल्ड ब्रेस्ट फीडिंग डे की थीम (‘ स्तनपान के लिए कदम बढ़ाएं‘ शिक्षित और समर्थन) रखी गई है.


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वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक 2022:  स्तनपान शिशुओं को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने का सबसे अच्छा तरीका है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है कि जन्म के एक घंटे से छह महीने तक शिशु को केवल स्तनपान कराना चाहिए. इसके बाद भी दो साल की उम्र तक स्तनपान जारी रखते हुए बच्चे को पोषक पूरक खाद्य पदार्थ देना चाहिए. वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक की शुरुआत 1992 में हुई थी. इसका उद्देश्य स्तनपान के लिए समर्थन देने और सार्वजनिक जागरूकता पैदा करना था. स्तनपान को प्रोत्साहित करने और दुनिया भर में शिशुओं के स्वास्थ्य में सुधार के लिए तब से हर साल 01 अगस्त से 07 अगस्त तक वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक मनाया जाता है. यह विश्व स्तनपान सप्ताह 1990 में सरकारी नीति निर्माताओं, विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ और अन्य संगठन द्वारा स्तनपान की रक्षा, प्रचार और समर्थन करने के लिए हस्ताक्षरित घोषणा की याद दिलाता है.     वर्ल्ड अलायन्स फॉर ब्रेस्टफीडिंग एक्शन (WABA) , विश्व-भर के व्यक्तियों और संगठनों का एक वैश्विक नेटवर्क है, जो दुनिया भर में स्तनपान के संरक्षण, प्रचार और समर्थन के लिए कार्य करता है. इसी के साथ WABA ही वार्षिक विश्व स्तनपान सप्ताह अभियान का समन्वय करता है . WABAद्वारा हर साल वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग सप्ताह के लिए एक विषय घोषित किया जाता है. यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के कुल शिशुओं में से लगभग 60 प्रतिशत को 6 महीने तक जरूरी ब्रेस्टफीडिंग नहीं मिलती है.1992 में पहला वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक आधिकारिक तौर पर आयोजित किया गया. उस वर्ष 70 देशों ने नई पहल का जश्न मनाया. अब इसमें 170 देशों की भागीदारी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, बाल अधिकारों पर कन्वेंशन के अनुसार प्रत्येक नवजात शिशु को अच्छे पोषण का अधिकार है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व स्तर पर 2016 में एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, दुनिया में 41 मिलियन बच्चे मोटापे से ग्रस्त हैं, जबकि 5 वर्ष से कम उम्र के 155 मिलियन बच्चों के अविकसित (उम्र के हिसाब से बहुत कम) होने का अनुमान है. माना जाता है कि स्तनपान कराने से मां में स्तन कैंसर, डिम्बग्रंथि के कैंसर, टाइप 2 डायबिटीज और हृदय रोग होने का खतरा कम हो सकता है. यह दस्त और तीव्र श्वसन संक्रमण जैसे संक्रमणों को रोकता है. साथ ही, यह शिशु मृत्यु दर को कम करता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार यह अनुमान लगाया गया है कि स्तनपान में वृद्धि से स्तन कैंसर के कारण हर साल 20,000 मातृ मृत्यु को रोका जा सकता है.


शिशुओं के लिए ब्रेस्टफीडिंग के फायदे. मजबूत इम्यून सिस्टम., दस्त, कब्ज, गैस्ट्रोएंटेराइटिस, गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स से बचाव, सर्दी और सांस की बीमारियां जैसे निमोनिया, रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस और काली खांसी से बचाव., स्तनपान करने वाले बच्चे समग्र रूप से कम रोते हैं, और उनमें बचपन की बीमारी की घटनाएं कम होती हैं., बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस से बचाव., बेहतर आंखों की रोशनी., शिशु मृत्यु दर में कमी., एलर्जी, एक्जिमा और अस्थमा से बचाव., बचपन में बाद में मोटे होने की संभावना कम., बेहतर मस्तिष्क परिपक्वता, अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) की कम दर, कुल मिलाकर कम बीमारी और कम अस्पताल में भर्ती.

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