स्थानीय निवासियों को 100 फ़ीसदी आरक्षण नहीं नहीं दे सकती : सुप्रीम - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 2 अगस्त 2022

स्थानीय निवासियों को 100 फ़ीसदी आरक्षण नहीं नहीं दे सकती : सुप्रीम

cannot-give-100-reservation-to-local-residents-supreme-court
नयी दिल्ली 02 अगस्त, उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि राज्य सरकार अनुसूचित क्षेत्र के लिए स्थानीय निवासियों के वास्ते 100 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था नहीं कर सकती। न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने झारखंड सरकार एवं अन्य द्वारा उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर अपने फैसले में कहा कि 100 फ़ीसदी आरक्षण देना संविधान के विपरीत है। शीर्ष अदालत ने झारखंड के 13 अनुसूचित जिलों में जिला संवर्ग तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर स्थानीय निवासियों के लिए 100 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी 2016 की अधिसूचना को रद्द करते हुए कहा कि ऐसा करना सार्वजनिक रोजगार में गैर-भेदभाव के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा। पीठ ने कहा कि संबंधित अनुसूचित क्षेत्र/जिलों के स्थानीय निवासियों (निवासी के आधार पर आरक्षण) के लिए 100 प्रतिशत आरक्षण देना संविधान के अनुच्छेद 16(3) के साथ पढ़े गए अनुच्छेद 35 के विपरीत है। पीठ की ओर से फैसला लिखने वाले न्यायमूर्ति शाह ने कहा,“केवल संबंधित अनुसूचित जिलों/क्षेत्रों के स्थानीय निवासियों के लिए प्रदान किया गया 100 प्रतिशत आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 16(2) का उल्लंघन होगा और भाग III के तहत गारंटीकृत गैर-अनुसूचित क्षेत्रों/जिले के अन्य उम्मीदवारों/नागरिकों के अधिकारों को प्रभावित करेगा।”

कोई टिप्पणी नहीं: