भारत ने फिर की चीन की आलोचना - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 12 अगस्त 2022

भारत ने फिर की चीन की आलोचना

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नयी दिल्ली 12 अगस्त, भारत ने जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के छोटे भाई अब्दुल रऊफ असग़र पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन के वीटो की आलोचना करते हुए आज कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आतंकवाद के विरुद्ध सामूहिक संघर्ष में अंतरराष्ट्रीय समुदाय एक स्वर में बाेलने में असमर्थ है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यहां नियमित ब्रीफिंग में चीन से जुड़े विषयों पर ये कहा। सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध समिति में बुधवार को असग़र के मसले पर हुए मतदान में चीन के रवैये के बारे में एक प्रश्न के उत्तर में प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने एक बयान दिया है और उसमें अपनी चिंता को उठाया है। हमें खेद है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित संगठन के दूसरे नंबर के आतंकवादी को प्रतिबंधित करने के प्रस्ताव पर तकनीकी बाधा खड़ी की गयी। दोहरा चरित्र और लगातार राजनीतिकरण से प्रतिबंध लगाने वाली प्रणाली की विश्वसनीयता अब तक के सबसे निचले स्तर पर है। श्री बागची ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि आतंकवाद के खिलाफ हमारे सामूहिक संघर्ष में अंतरराष्ट्रीय समुदाय एक स्वर में बात करने में असमर्थ है। आतंकवादियों के मामले में दोहरा चरित्र नहीं होना चाहिए तथा बिना किसी न्यायोचित कारण के प्रस्तावों को बाधित करने की आदत बंद होनी चाहिए। ताइवान की घटनाओं के बारे में सवालों पर प्रवक्ता ने कहा कि अन्य देशों की भांति भारत भी ताइवान की घटनाओं से चिंतित है। हम संयम बरतने और एकतरफा कार्रवाई से यथास्थिति में बदलाव से बचने, तनाव घटाने और शांति एवं स्थिरता कायम रखने की अपील करते हैं। इस संबंध में भारत की प्रासंगिक नीतियां सर्वविदित एवं सतत हैं। उन्हें दोहराने की जरूरत नहीं है। प्रवक्ता से एक प्रश्न यह भी पूछा गया था कि भारत अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पैलोसी की ताइवान यात्रा को कैसे देखता है और क्या वह एक चीन नीति में विश्वास करता है । श्रीलंका में चीनी पोत को लेकर भारत पर हस्तक्षेप के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा कि हम बयान में भारत के बारे में व्यक्त की गयी भावना को खारिज करते हैं। श्रीलंका एक संप्रभु राष्ट्र है और वह स्वतंत्र निर्णय लेता है। जहां तक भारत एवं श्रीलंका के संबंधों का प्रश्न है, श्रीलंका भारत की पड़ोसी प्रथम की नीति के केन्द्र में है। भारत ने श्रीलंका में आर्थिक संकट के दौरान 3.8 अरब डॉलर की अभूतपूर्व सहायता की है। भारत वहां लाेकतंत्र, स्थिरता एवं आर्थिक रिकवरी के पूर्णत: पक्ष में है। श्री बागची ने कहा कि जहां तक भारत चीन संबंधों की बात है तो हम निरंतर इस बात पर जोर देते रहे हैं कि परस्पर सम्मान, परस्पर संवेदनशीलता और पारस्परिक हित हमारे संबंधों के विकास के लिए जरूरी है। जहां तक हमारी सुरक्षा की चिंताएं हैं, तो यह हर देश का संप्रभु अधिकार है, हम अपने हितों के लिए सबसे अच्छा फैसला करेंगे। स्वाभाविक रूप से इसमें हमारे क्षेत्र में व्याप्त हालात खासकर सीमा क्षेत्रों में परिस्थितियों को ध्यान में रखा जाएगा।

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