शुक्रवार को कई कश्मीरी हिंदुओं द्वारा वितस्ता के घाट पर दीपक जलाकर व पूजा-अर्चना कर वितस्ता-जयंती मनाई गयी और सकल कश्मीर वासियों के लिये सुख समृद्धि की कामना की गयी । जम्मू कश्मीर में वितस्ता एकमात्र ऐसी नदी है, जिसका जन्मदिन मनाया जाता है। वितस्ता की जयंती हर साल 'व्यथ त्रुवाह' यानी भाद्रमास शुक्लापक्ष त्रियोदशी को मनाई जाती है। यह त्यौहार/अनुष्ठान वितस्ता(जेहलम) नदी (वितस्ता-माता/कश्मीर की पवित्र नदी) को समर्पित है जिसे झेलम नदी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भक्तजन वितस्ता-नदी में डुबकी लगाते हैं और देवी से इस जन्म में और यहां तक कि पिछले जन्म में किए गए पापों के लिए क्षमा-याचना करते हैं ।पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप किया जाता है: हर-हर वितस्ते। ॐ ह्रीं श्रीं वितस्तये नमः। 32 साल बाद कश्मीर की इस सदियों पुरानी रीति का पुनरुद्धार इस बार सनातनधर्म शीतलनाथ आश्रम सभा के सहयोग सम्पन्न हुआ। इस बार यह समारोह श्रीनगर शहर के हब्बा-कदल में पुरुषयार-घाट पर आयोजित किया गया था। प्रसन्नता का विषय है कि वितस्ता-दिवस कश्मीर के चर्चित घाट पुरुषयार पर मनाया गया।इस घाट के साथ मेरे बालपन की यादें जुड़ी हुयी हैं।
सोमवार, 12 सितंबर 2022
'व्यथ त्रुवाह' कश्मीर की वितस्ता नदी के पूजन का दिवस
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