‘मोनोकल्चर’ खेती की समस्याओं का समाधान नहीं : मोदी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 12 सितंबर 2022

‘मोनोकल्चर’ खेती की समस्याओं का समाधान नहीं : मोदी

monoculture-is-not-the-solution-of-agriculture-modi
गौतमबुद्धनगर, 12 सितंबर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व समुदाय से खेती की वैज्ञानिक एवं पारंपरिक विधियां अपनाकर कृषि क्षेत्र को विविधतापूर्ण तरीके से आगे बढ़ाने का आह्वान करते हुए कहा है कि एक ही तरह की पद्धति पर आधारित ‘मोनोकल्चर’ खेती की समस्याओं का समाधान नहीं है। मोदी ने सोमवार काे उत्तर प्रदेश में गौतमबुद्धनगर के ग्रेटर नोएडा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय डेयरी सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि खेती की समस्याओं के लिये ‘मोनोकल्चर’ ही एकमात्र समाधान नहीं है, बल्कि इसमें विविधता बहुत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह बात पशुपालन पर भी लागू होती है। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केन्द्रीय मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला और अंतरराष्ट्रीय डेयरी संघ के प्रतिनिधि तथा विभिन्न देशों से आये विशेषज्ञ भी मौजूद थे। चार दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन का भारत में 48 साल बाद आयोजन हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने 50 देशों से आये प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा, “खेती में मोनोकल्चर ही समाधान नहीं है, बल्कि विविधता बहुत आवश्यकता है। ये पशुपालन पर भी लागू होता है। इसलिए आज भारत में देसी नस्लों और हाइब्रिड नस्लों, दोनों पर ध्यान दिया जा रहा है।” इस दौरान उन्होंने भारत में विषमतम जलवायु परिस्थितियाें में सहजता से पालने याेग्य दुधारु पशुओं की देसी नस्लों का जिक्र करते हुए गुजरात के कच्छ इलाके की बन्नी भैंस की खूबियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर डेयरी सेक्टर, न सिर्फ विश्व अर्थतंत्र को मजबूती देता है, बल्कि करोड़ों परिवारों की आजीविका को भी बल देता है। मोदी ने कहा कि भारत के डेयरी क्षेत्र की पहचान अत्यधिक दुग्ध उत्पादन (मास प्रोडक्शन) करने से ज्यादा, बहुतायत में लोगों द्वारा दुग्ध उत्पादन करने (प्रोडक्शन बाइ मासिस) वाले देश की है। इसीलिये भारत का डेयरी क्षेत्र सहकारी मॉडल पर आधारित है, जिसकी मिसाल दुनिया में कहीं और नहीं मिलती है। इस कारण बिचौलियों के अभाव में भारत के दुग्ध उत्पादकों को अधिकतम लाभ मिल पाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के पशुपालन क्षेत्र में नारी शक्ति के अग्रणी योगदान को विश्व फलक पर ले जाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा, “भारत के डेयरी सेक्टर में 70 प्रतिशत नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व है। भारत के डेयरी सेक्टर की असली कर्णधार महिलायें हैं। इतना ही नहीं, भारत के डेयरी कॉपरेटिव्स में भी एक तिहाई से ज्यादा सदस्य महिलाएं ही हैं।” उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में नारी शक्ति के योगदान को दुनिया भर में उचित पहचान दिलाने की जरूरत है।  प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि डेयरी सेक्टर का सामर्थ्य ना सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देता है, बल्कि ये दुनिया भर में करोड़ों लोगों की आजीविका का भी प्रमुख साधन है। भारत में डेयरी क्षेत्र की अलग पहचान का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि विश्व के अन्य विकसित देशों से अलग, भारत में डेयरी सेक्टर की असली ताकत छोटे किसान हैं। भारत के डेयरी सेक्टर की पहचान, अत्यधिक मात्रा में दुग्ध उत्पादन करने वाले देश (मास प्रोडक्शन) से ज्यादा अत्यधिक लोगों द्वारा दुग्ध उत्पादन (प्रोडक्शन बाइ मासिस) करने वाले देश की है।


भारत में डेयरी क्षेत्र के सफल सहकारी माॅडल को मोदी ने दुनिया के लिये अनुकरणीय बताया। उन्होंने कहा, “आज भारत में डेयरी कोऑपरेटिव का एक ऐसा विशाल नेटवर्क है, जिसकी मिसाल पूरी दुनिया में मिलना मुश्किल है। ये डेयरी कॉपरेटिव्स देश के दो लाख से ज्यादा गांवों में, करीब-करीब दो करोड़ किसानों से दिन में दो बार दूध जमा करती हैं और उसे ग्राहकों तक पहुंचाती हैं।” उन्होंने कहा कि इस पूरी प्रकिया में बिचौलिये नहीं होते हैं। ग्राहकों से जो पैसा मिलता है, उसका 70 प्रतिशत से ज्यादा किसानों की जेब में ही जाता है। किसानों को इस सीधे ग्राहक से इतने अधिक अनुपात में पैसा मिलने का तरीका किसी और देश में देखने को नहीं मिलता है। बीते आठ सालों में भारत के डेयरी सेक्टर में आये बदलावों का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “2014 के बाद से हमारी सरकार ने भारत के डेयरी सेक्टर के सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए निरंतर काम किया है। आज इसका परिणाम दुग्ध उत्पादन से लेकर किसानों की बढ़ी आय में भी नजर आ रहा है।” उन्होंने कहा कि 2014 में भारत में 146 मिलियन टन दूध का उत्पादन होता था। अब ये बढ़कर 210 मिलियन टन तक पहुंच गया है। यानि करीब-करीब 44 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है। इस दौरान मोदी ने भारत के डेयरी क्षेत्र में हो रहे तकनीकी इस्तेमाल को इस बदलाव का श्रेय दिया। उन्हाेंने कहा, “भारत, दुधारू पशुओं का सबसे बड़ा डेटाबेस तैयार कर रहा है। डेयरी सेक्टर से जुड़े हर पशु की टैगिंग हो रही है। आधुनिक टेक्नोल़ॉजी की मदद से हम पशुओं की बायोमीट्रिक पहचान कर रहे हैं। हमने इसे नाम दिया है, पशु आधार।” इसके अलावा उन्होंने भारत में पशुओं को रोगमुक्त बनाने के लिये किये जा रहे ‘यूनिवर्सल वैक्सीनेशन’ टीकाकरण अभियान काे भी आगे बढ़ाने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत ने संकल्प लिया है कि 2025 तक सभी पशुओं को ‘फुट एंड माउथ’ और ब्रुसलॉसिस बीमारी से मुक्त करने के लिये टीका लगाया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस दशक के अंत तक इन बीमारियों से पूरी तरह से मुक्ति का लक्ष्य लेकर भारत आगे बढ़ रहा है। इस अवसर पर मोदी ने गोवंश में फैल रहे लम्पी वायरस के प्रकोप के संकट का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय में भारत के अनेक राज्यों में लम्पी वायरस के संक्रमण से पशुधन की क्षति हुई है। विभिन्न राज्य सरकारों के साथ मिलकर केंद्र सरकार इसे काबू में करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि भाररत के वैज्ञानिकों ने लम्पी वायरस के संक्रमण को रोकने के लिये स्वदेशी टीका भी तैयार कर लिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन में हिस्सा ले रहे भारत के किसानों, पशुपालकों एवं विशेषज्ञों से आह्वान किया कि वे चार दिन तक चलने वाले ‘महामंथन’ में एकत्र हुए डेयरी क्षेत्र के दुनिया भर से विशेषज्ञों के अनुभवों से भरपूर सीखने का प्रयास करें।

कोई टिप्पणी नहीं: