मुआवजा बढ़ाने की याचिका पर स्थिति स्पष्ट करे केंद्र : सुप्रीम कोर्ट - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 20 सितंबर 2022

मुआवजा बढ़ाने की याचिका पर स्थिति स्पष्ट करे केंद्र : सुप्रीम कोर्ट

center-should-clarify-the-position-supreme-court
नयी दिल्ली, 20 सितंबर, उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार को यह स्पष्ट करने के लिए समय दिया कि क्या वह 1984 के भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के मुआवजे में वृद्धि के लिए पहले दायर की गई अपनी सुधारात्मक याचिका को आगे बढ़ाना चाहता है। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को 11 अक्टूबर तक इस मामले में सरकार से निर्देश लेने की अनुमति दी। केंद्र सरकार ने 2010 में दायर अपनी उपचारात्मक याचिका में तर्क दिया था कि 1989 में निर्धारित मुआवजे का निर्धारण वास्तविकता तथ्य से अलग की धारणाओं पर किया गया था। शीर्ष अदालत ने इस मामले में 2011 में नोटिस जारी किया था। यूनियन कार्बाइड कंपनी ने पीड़ितों को 470 मिलियन अमेरिकी डॉलर वितरित की थी। सरकार ने 2010 में उस कीटनाशक कंपनी से (7,400 करोड़ रुपये) वितरित की गई राशि से अधिक की अतिरिक्त धनराशि मांगी है। पीड़ितों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने दावा किया कि त्रासदी की तीव्रता पीड़ितों की संख्या और वर्षों में चोटों और मौतों की संख्या पांच गुना बढ़ी है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि वह इस मामले में केंद्र सरकार के रुख का इंतजार करेगी। इसके अलावा वह इस पहलू पर भी विचार करेगी कि क्या मुआवजे की मात्रा में बदलाव होता रहेगा। कंपनी की ओर से पेश वकील ने दलील पेश करते हुए कहा कि मुकदमे को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए क्योंकि समीक्षा याचिका पर फैसला होने के 19 साल बाद सुधारात्मक याचिका दायर की गई थी।

कोई टिप्पणी नहीं: