गजब का खेला : राशनकार्ड बनवाने की कतार में हैं जिंदा लोग, मुर्दे उठा रहे हैं राशन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 12 अक्तूबर 2022

गजब का खेला : राशनकार्ड बनवाने की कतार में हैं जिंदा लोग, मुर्दे उठा रहे हैं राशन

  • - हथगाम ब्लॉक के गांव की खुली पोल, विभाग सकते में
  • - शिकायतकर्ता ने लगाया आपूर्ति विभाग व पंचायत विभाग पर लापरवाही का आरोप
  • - कोटेदार की मिलीभगत पर भी उठे सवाल, डीएसओ बोले होगी कार्यवाही

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फतेहपुर। जो जिंदा हैं उन्हें कई चक्कर काटने के बाद भी न तो राशन मिल रहा है और न ही राशनकार्ड मिल रहा है। वहीं जो स्वर्ग सिधार चुके हैं उनका राशन बंट रहा है। ये कारनामा खागा तहसील के हथगाम विकास खंड के अंतर्गत रायपुर मुवारी गांव के एक सरकारी गल्ले की दुकान में अंजाम दिया जा रहा है। कोटेदार न जाने कितने वर्षों से कितने मुर्दों को राशन बांट रहा है। राशन कार्ड धारक मृतकों के नाम पर कोटेदार से राशन सामग्री उठा रहे हैं। आपूर्ति विभाग की करतूत का अब ये नया खुलासा हुआ है। कई बार अपात्र राशन कार्डों की जांच हुई लेकिन आज भी बड़ी संख्या में अपात्र गरीबों का राशन उठा रहे हैं। प्रदेश सरकार निराश्रित प्रवासी, गरीबों और मजदूरों को राशन देने का संकल्प लेकर दिन-रात दिशा निर्देश पर अमल करने की बात कह रही है। नियमानुसार व्यक्ति की मृत्यु के बाद उनका नाम डिलीट करने का प्रावधान है पर दुकानदार मृतकों को जिंदा बताकर शासन को चूना लगा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि उचित मूल्य के दुकानदार क्षेत्रीय पूर्ति निरीक्षक से मिलीभगत कर इस तरह की गड़बड़ी कर रहे हैं। यदि किसी राशनकार्डधारी मुखिया की मृत्यु हो गई है तो उसका बाकायदा नाम परिवर्तित कर दूसरे सदस्यों के नाम से कार्ड बनाने का नियम है साथ ही किसी सदस्य की मृत्यु के बाद यूनिट को डिलीट किया जाना भी नियम है। लेकिन यहां सालों से राशन कार्ड को न ही बदला गया और न ही मुखिया या मृत सदस्यों के नाम काटे गए हैं। वहीं कुछ ग्रामीणों का कहना रहा है कि राशन कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के बाद पूर्ति विभाग का चक्कर काट रहे हैं, पूर्ति विभाग सो रहा है एवं विभाग डाटा फीडिंग नहीं कर रहा है। वहीं मामला समझने से ज्ञात हुआ है कि विभाग मृतक लोगों के नाम नहीं काट रहा है जबकि लोगों की मृत्यु हो जाने के बाद भी खाद्य एवं रसद विभाग की वेबसाइट पर दर्ज नाम के अनुसार हर माह कोटेदार द्वारा राशन का उठान कर बांटा जा रहा है। वैसे कई ऐसे और भी राशनकार्ड हैं जो मुखिया के मरने के बाद भी राशनकार्ड जारी है और राशन भी उठ रहा है। ये स्थिति पात्र गृहस्थी में ही नहीं बल्कि अंत्योदय कार्ड में भी है।


क्या है पूरा मामला

कुमारी अलशिफा बानो ने आईजीआरएस के जरिए शिकायत करके अवगत कराया है कि हथगाम ब्लॉक के अंतर्गत रायपुर मुवारी गांव की सरवरी बानो पत्नी नौशाद अहमद जिनका पात्र गृहस्थी का राशन कार्ड (217240512207) बना है जोकि दुकानदार मोहम्मद जमील के कोटे में दर्ज है, जो 8 यूनिट का है जिसमें 2 यूनिट मृतकों का है और 2 यूनिट हम भाई बहन का है और एक यूनिट हमारी दादी का है जिसका गलत इस्तेमाल करके राशन कार्ड धारक सरकारी राशन उठा रही हैं। शिकायत करते हुए बताया कि पहले तो मेरा और मेरे भाई मोहम्मद सोएफ का नाम यूनिट में दर्ज है जिसमें मुझे बेटी व मेरे भाई को अपना बेटा का संबंध दिया है जो सरासर ग़लत है क्यूंकि कार्ड धारक से मेरा कोई रक्त का संबंध नहीं है और हमारे जानकारी में भी नहीं है साथ ही गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मेरे पिता मोसिम अहमद की मौत सन 2017 में हो चुकी है लेकिन आज भी उनका नाम राशन कार्ड के यूनिट में दर्ज है और उनका राशन उठाया जा रहा है एवं उनको भी कार्ड धारक ने अपना बेटा बना रखा है। आगे बताया कि इतना ही नहीं उक्त राशन कार्ड में मेरे पिता की दादी एकरामुन निशा जो कि मेरे पिता से पहले ही यानी वर्षों पूर्व मर चुकी हैं पर राशनकार्ड में उनका भी नाम अंकित है और राशन उठाया जा रहा है साथ ही कहा कि मेरी सगी दादी शफीकुन निशा जो हमारी संरक्षिका हैं और इसका नाजायज फायदा उठाकर हमारी संपत्ति को बेचने का प्रयास किया था, को भी कार्ड धारक ने अपनी बेटी दर्ज कराकर हर माह का राशन उठा रही है। 


पोल खुलने के बाद विभाग आया हरकत में

राशनकार्ड में मृतकों के नाम पर राशन का उठान होना साथ ही बिना सहमति के किसी का नाम यूनिट में चढ़वाए जाने का प्रकरण सामने आते ही आपूर्ति विभाग हरकत में आ गया। वैसे पहले तो विभाग ने बहुत हल्के में मामले को लेते हुए कहा कि एक लिखित शिकायत करवा दीजिए जिससे राशन कार्ड से नाम हटा दिया जाए। साथ ही कहा कि यूनिट में नाम चढ़ जाना या मृत व्यक्ति का नाम होना कोई बड़ी चूक नहीं है इसमें कोई बड़ा अपराध नहीं है। वहीं मामले को तूल पकड़ता देख विभाग भी हरकत में आ गया है और मामले को निपटाने की जुगत में लग गया। जबकि शिकायतकर्ती का कहना रहा है कि राशन कार्ड धारक के साथ ही कोटेदार भी इस भ्रष्टाचार का दोषी है एवं इसमें आपूर्ति विभाग के साथ ही पंचायत विभाग को दोषी ठहराया है। आखिरकार दोषी तो ये सभी भी हैं क्योंकि ऑनलाइन होने के बाद कोई भी अधिकारी या कर्मचारी को इतना फुरसत नहीं की वास्तविक सत्यापन कर पात्र या अपात्र तय कर लिए जाएं। चूंकि सारा मामला अवैध कमाई व भ्रष्टाचार का जिसमें किसी को इतना समय कहां कि वो सही व निस्वार्थ भाव से काम कर सके क्योंकि किसी को प्रति दुकान मासिक अवैध वसूली लेनी है तो किसी को और कुछ। आखिरकार सरकार द्वारा दिए हुए वेतनमान से शायद इन जिम्मेदारों का घर भी नहीं चल पाता होगा तो चार पहिया वाहनों से चलने के लिए प्रतिदिन का ईंधन व जेब खर्चे का इंतजाम कहां से आएगा और दूसरी अहम बात ये है कि हर भ्रष्टाचारी को लगता है कि सरकारी काम या सरकारी योजना सिर्फ लूट व भ्रष्टाचार का जरिया है।


क्या बोले जिम्मेदार

- मृत व्यक्ति के नाम से राशन नहीं मिल सकता है। अब मामला संज्ञान में आया है जिसकी जांच करके कार्रवाई की जाएगी। : जिला पूर्ति अधिकारी, फतेहपुर

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