हमारा बेतिया पल्ली एवं महागिरजाघर हमारे पूर्वजों की विरासत है. ये समूचे बिहार की सबसे बड़ी एवं पुरानी पल्ली के तौर पर पहचानी जाती है.लेकिन सच पूछें, तो हमारे अति मान्यवर धर्माध्यक्ष हमारे महागिरजाघर परिसर को एक विद्यालय बाज़ार बनाकर रख दिए हैं. हमारे महागिरजाघर परिसर में पहले से दो विद्यालय चल ही रहे थे, फ़िर भी इन पैसे के पुजारियों ने एक और विद्यालय खोलने की स्वीकृति दे दी, जो सन्त थोमस के नाम से प्रचलित है. क्या ये तीसरा विद्यालय महागिरजाघर परिसर में ही खुलना वाज़िब था? महागिरजाघर अहाते में प्रवेश करने पर केवल छात्र एवं साईकिल ही नज़र आते हैं. यहाँ किसी तरह की आध्यात्मिक भावना का आभास नहीं होता है.क्या महागिरजाघर परिसर केवल इन धर्मगुरुओं के कारण सिर्फ़ पैसा उगाही का साधन बनकर रह गया है? क्या हम पल्लीवासी इसका विरोध नहीं कर सकते? बिलकुल कर सकते हैं.हम एकजुट होकर इसका विरोध करें तथा इन पुरोहितों की मनमानी पर विराम दें.आप देख सकते हैं कि अन्य धार्मिक स्थलों में इस तरह का कोई पैसा कमाने का स्रोत नहीं मिलता.यहाँ तो नवनियुक्त धर्माध्यक्ष और पुरोहितों ने इसे व्यवसाय का अड्डा बनाकर रख दिया है. पल्ली हमारी है और महागिरजाघर हमारा है. पर क्या इनकी मनमानी चलेगी, जो आज हमारे बीच हैं व कल नहीं रहेंगे. हमें ऐसे पुरोहित और धर्माध्यक्ष नहीं चाहिए, जो हमारे हित में न सोचें तथा सिर्फ़ अपनी झोली भरें. आज इन्हीं के कारण उन पल्लीवासियों की रोज़ी रोटी पर वार किया गया है, जो अपने छोटे विद्यालय खोलकर जीवनयापन कर रहे हैं. इनको सिर्फ़ पैसे चाहिए, पल्लीवासियों का विकास नहीं. पूज्य धर्माध्यक्ष से अनुरोध है कि फा. आनन्द का तबादला बेतिया पल्ली से किया जाए, अन्यथा हम सभी पल्लीवासी इसका समाधान निकालेंगे. हमारे धर्माध्यक्ष में उतनी काबिलियत नहीं है, जो इनपर कार्रवाई कर सकें. मैं पूरे पल्लीवासियों की ओर से आप सभी को ये सूचित कर रहा हूँ कि २५ वर्ष पूर्व भी ऐसे ही पुरोहितों से नाखुश पल्लीवासियों ने विकास संघ का गठन किया था, और इन पुरोहितों को सबक सिखाया था. अब आप भी संभल जाइए. कहीं हमारा विरोध उससे भी ज़्यादा विकराल रूप धारण न कर ले. इसलिए अपनी आदतों पर लगाम लगाइए, वरना भुगतेंगे. इससे पहले के पुरोहित गण तथा धर्माध्यक्ष ऐसे नहीं थे. उन्होंने महागिरजाघर परिसर की गरिमा को बनाए रखा था. अब बैंक वाले भवन को धराशायी किया गया है. सुनने में आया है कि वहाँ संत थॉमस विद्यालय के लिए वर्ग बनाए जाएँगे. मेरी बात को ध्यान दें, माननीय धर्माध्यक्ष जी. वहाँ जो भवन निर्माण होगा, उसमें हमें सबसे नीचे तल में बैंक चाहिए. फ़िर बगल में, एक आराधना स्थल चाहिए। फ़िर, स्त्री-पुरूषों के लिए शौचालय चाहिए. उसके बाद पहले तल में हमें एक सभागार चाहिए, जिसमें समय-समय पर सभा आयोजित हो तथा शादी-विवाह के समय केक काटने के लिए यही जगह सुनिश्चित रहे.
महागिरजाघर अहाता और विद्यालय परिसर के बीच में चारदीवारी निर्माण की बात सुनने में आई है, हम सभी इसके सख़्त ख़िलाफ़ हैं.यही हमारे महागिरजाघर परिसर की खूबसूरती है, और हम सब इसके साथ कोई समझौता नहीं होने देंगे. अगर विद्यालय के लिए वर्गों की ज़रूरत है, तो सन्त रीता बुनाई घर के तरफ़ ही वर्गों का निर्माण करें.आपने धाराशायी की गई भवन के सामने से फादर आन्जिलो की प्रतिमा एवं उसके नीचे अंकित उनके जन्म व मृत्यु के विवरण को हटाया है. आपको फ़िर किसी उपयुक्त स्थान पर फादर की प्रतिमा व उनके विवरण को पुनर्स्थापित करनी होगी. क्योंकि फादर आन्जिलो ने हमारी पल्ली के उद्धार के लिए पर्याप्त कार्य किए हैं, जो हम युग-युगांतर तक भुला नहीं सकते. आपको ज्ञात ही होगा कि इन गैर-ज़िम्मेदार पुरोहितों तथा धर्माध्यक्ष की स्वीकृति से माता मरियम के ग्रोटो के पीछे शौचालय बनवा दिया गया है, जो कि अशोभनीय है तथा माँ मरियम का अनादर है.हमारी माँग है कि इस शौचालय को बन्द किया जाए. मुझे इन पाखंडी धर्मगुरुओं से अपील है कि महागिरजाघर की गरिमा को बनाए रखें, वरना ईश्वर भी इन्हें माफ़ नहीं करेंगे. आप सभी को ये मालूम ही होगा कि पल्ली परिषद का गठन करते हुए इसमें 30-32 लोगों को सम्मिलित किया गया था, लेकिन 3-4 चाटूरे ही पल्ली परिषद के निर्णायक हैं. बाकी सदस्यों को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, जिसके कारण इनमें काफ़ी रोष है. बेतिया राज के तत्कालीन राजा ध्रुव नारायण सिंह ने सन् 1745 में तत्कालीन सन्त पिता बेनेदिक्त चौदहवें की अनुमति से बेतिया पधारे तत्कालीन कापूचियन पुरोहितों को महागिरजाघर निर्माण के लिए भूमि आवंटित किया था, ताकि वे निरूस्वार्थ भावना से काथलिक कलीसिया की सेवा में संलग्न रहें, पर आज उनकी पुण्यात्माओं को अत्यधिक कष्ट हो रहा होगा कि वर्तमान के पुरोहितों ने इसे व्यवसाय का ज़रिया बना दिया है. अंत में, मैं यही चाहूंगा कि हमारे धर्माध्यक्ष महोदय हम पल्लीवासियों के साथ एक आम सभा करें और इन सभी बातों का निष्पादन करें, अन्यथा इसका परिणाम अच्छा नहीं होगा. अगर हमारी बातों को नज़रअंदाज़ किया गया, तो हम सभी पल्लीवासी एक नई समिति गठित करके महागिरजाघर के मुख्य मार्ग पर धरना प्रदर्शन करेंगे व बिशप हाउस तक पैदल मार्च करेंगे.
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