बिहार : डेंगू से पांच बच्चों की मौत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 18 अक्तूबर 2022

बिहार : डेंगू से पांच बच्चों की मौत

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पटना. पूरे बिहार में डेंगू का कहर जारी है. डेंगू अपना पांव तेजी से पसारता जा रहा है. इस वक्त की बड़ी खबर राजधानी पटना से आ रही है जहां डेंगू के डंक का शिकार आज फिर एक मासूम हो गया. सोमवार को गांधी मैदान स्थित रूबन मेमोरियल के गायनी एवं चाइल्ड हास्पिटल में एक 9 वर्षीय आरव राज की मौत हो गई. दलदली रोड निवासी लोजपा (रामविलास) के पूर्व प्रवक्ता कृष्ण कुमार कल्लू के आरव राज बड़े बेटे थे.आरव राज को गत कई दिन से बुखार था और गंभीर अवस्था में दो दिन पूर्व उसे रूबन में भर्ती कराया गया था.  इसके पूर्व पूर्व रविवार को नालंदा मेडिकल कालेज सह अस्पताल में डेंगू पीड़ित चार माह की बच्ची की मौत हो गई.इससे पहले 10 अक्टूबर को मसौढ़ी के 10 वर्षीय बच्चे तथा शनिवार को नालंदा के पांच वर्षीय बच्चे की मौत हुई थी. डेंगू से चार बच्चों की मौत के बाद डॉक्टर बच्चों को मच्छरों से बचाने की सलाह दे रहे हैं. वहीं स्वास्थ्य विभाग को इन मौतों की जानकारी नहीं है.इस तरह की घटनाओं सेपरिजनों के बीच कोहराम मचा हुआ है. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है.इससे पहले भी तीन दिनों के भीतर तीन बच्चों की मौत डेंगू से हो चुकी है. अब तक डेंगू से 5 लोगों की जान जा चुकी है. डेंगू से स्थिति और भयावह होती जा रही है.पटना में 213 नए मामले सामने आए हैं. डेंगू मरीजों की संख्या बढ़कर 3155 हो गयी है. डेंगू के बढ़ते केसेज को देखते हुए जिला प्रशासन ने सिविल सर्जन कार्यालय में एक कंट्रोल रूम बनाया है. जहां स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होने पर चिकित्सीय परामर्श ले सकते हैं.कंट्रोल रूम नंबर 0612-2951964 पर फोन कर सकते हैं.  बता दें कि पटना नगर निगम में छह अंचल है. नूतन राजधानी अंचल, पाटलिपुत्र अंचल ,कंकड़बाग अंचल,बांकीपुर अंचल, अजीमाबाद अंचल, पटना सिटी अंचल है.उन अंचलों में कार्यरत कार्यालयों के बाबुओं की खिदमत करने वाले अर्दलियों को क्षेत्र में स्प्रे करने के लिए भेज दिया है.  इस समय पाटलिपुत्र अंचल के वार्ड नम्बर-22 A  में फेकू राम स्प्रे कर रहे हैं.उनके बगल में वार्ड इंस्पेक्टर है.जो राजधानी में कहर बरपाने वाले डेंगू के शिकार हो गये थे.प्लेटलेट्स कम होने के बाद चिकित्सक के क्लिनिक में सलाइन चढ़ाये.पांच दिन के बाद कर्तव्य निभाने आए हैं.इस समय प्रेशर में है पल पल की जानकारी मोबाइल से ऊपर के अधिकारियों को दी जा रही है. हालात यह है नारियल का कच्चा फल डाभ जिसका पानी पीया जाता है,उसका दाम तेज है.डाभ बेचने वाले शख्स के परिजन डेंगू के शिकार कर सलाइन चढ़वा रहा है.डेंगू के बुखार में नारियल का पानी रामबाण का काम करता है.नारियल के पानी में कई मिनरल्स और पोषक तत्व होते है जो शरीर को फिट रखते हैं.  मखदुमपुर बगीचा में रहने  वाले लोगों ने जलजमाव वाले एरिया में ब्लींचिग पावडर छिड़काव करने की मांग की है.यदुवंशी नगर में रहने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि उनके घर में चार लोग डेंगू से बेहाल हैं.पॉश एरिया फेयर फील्ड कॉलोनी में बहुत लोग डेंगू से परेशान हैं.  बताया गया कि खानपान और दिनचर्या में बदलाव सेहतमंद व्यक्ति को भी बीमार कर सकता है. इसे देखते हुए ज्यादातर लोग आजकल बीमारियों के प्रति जागरूक रहने लगे हैं. पहले खतरनाक मानी जाने वाली बीमारी डेंगू के आम होने के बाद लोगों में प्लेटलेट्स को लेकर जागरूकता आई है और इसी का फायदा निजी अस्पताल उठा रहे हैं. सामान्य बीमारियों में भी डॉक्टर सीबीसी टेस्ट करवाते हैं और उसमें प्लेटलेट्स कम होना बताकर इन्हें चढ़ाने के नाम पर कमाई करते हैं. जबकि विशेषज्ञों के मुताबिक सीधे प्लेटलेट चढ़ाने के बजाय यह जांचना जरूरी है कि किस वजह से ये कम हुए हैं. हर मरीज को इन्हें चढ़ाने की जरूरत नहीं होती. उसकी मॉनीटरिंग अच्छे से की जाए तो दवाइयों के जरिए ये बढ़ाए जा सकते हैं. यहां तक कि मरीज को बार-बार प्लेटलेट चढ़ाने पर नुकसान भी हो सकता है. इसका असर प्लेटलेट्स चढ़ाने के बावजूद इसमें वृद्धि नहीं होने के रूप में सामने आता है. पिछले दिनों जिस डेंगू और चिकनगुनिया की दहशत फैली थी, उन बीमारियों में भी अधिकतम 5 फीसदी मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत होती है. मलेरिया हो या डेंगू किसी भी वायरल इन्फेक्शन से शरीर में प्लेटलेट्स कम हो ही जाते हैं. सामान्य तौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति में 1.5 लाख से 4 लाख प्लेटलेट होना चाहिए, लेकिन यदि ये एक लाख, 90 हजार या उससे कम भी हैं, तब भी इंसान को कोई खतरा नहीं होता. उधर, पैथोलॉजी लैब और डॉक्टर लोगों में ऐसा डर पैदा कर देते हैं कि मरीज को प्लेटलेट चढ़वाना जरूरी लगने लगता है. खासकर डेंगू जैसी बीमारी में तो प्लेटलेट कम होने को जान पर खतरा मान लिया जाता है.डॉक्टरों के मुताबिक प्लेटलेट 20 हजार भी पहुंच जाएं तो घबराने की बात नहीं है.बिना चढ़ाए भी इन्हें बढ़ाया जा सकता है, केवल कुछ बीमारियां या स्थितियों में ही प्लेटलेट चढ़ाना जरूरी हो जाता है.

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