विशेष : महीला सक्षम समूह द्वारा महीलाऐ खुद आत्मनिर्भर बनीं - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 9 नवंबर 2022

विशेष : महीला सक्षम समूह द्वारा महीलाऐ खुद आत्मनिर्भर बनीं

  • अब दूसरों को भी स्वावलंबी बना रही हैं।

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आनंदपुरी में महिलाओं ने सब्जियों और फूल की खेती से आधी आबादी को तरक्की की राह दिखाई हैं। जैविक खाद के सहारे उगाई जा रही सब्जियां घर-घर पहुंच रही है। परिवार को हरी-ताजी सब्जियां मिल रही हैं बल्कि बाजार में बिक्री करके उनसे अच्छी खासी आमदनी भी हो रही है। आनंद पुरी ब्लाँक के  गांव की गरीब महिलाएं जो साल भर पहले मेहनत मजदूरी करके परिवार का खर्च चलाती थीं। यह सभी महिलाएं जब वागधारा गठित सक्षम महीला समूह से जुड़ीं तो गजब का बदलाव हुआ। खुद आत्मनिर्भर बनीं, अब दूसरों को भी स्वावलंबी बना रही हैं। आनंदपुरी तहसील में कुछ इस तरह की महिलाएं सब्जियां और फूल की खेती से आधी आबादी को तरक्की की राह दिखाई हैं। जैविक खाद के सहारे उगाई जा रही सब्जियां घर-घर पहुंच रही है। पूरे परिवार को हरी-ताजी सब्जियां मिल रही हैं, बल्कि बाजार में बिक्री करके उनसे अच्छी खासी आमदनी भी हो रही है। बासवाडा के आनंदपुरी ब्लाक के सेरानगला गाव  की हैं मनीषादेवी  डामोर । मनीषादेवी गरीब परिवार से थीं। दिसंबर 2019 को महीला सक्षम  समूह से जुड़ीं। कम पैसे में जैविक सब्जियाें की खेती करने लगीं। यह तीन बीघे में गोभी, टमाटर, बैगन, मिर्च आदि की खेती कर रही हैं। गांव की कांता , निशा भी सब्जी उगाकर अच्छी आय कर रही हैं। सेरानगला सेरावाला , गाव की महीलाऐ की सबसे खास बात यह है कि इनको अपनी पोषण वाटिका से निकली सब्जी को स्वयं सब्जी लेकर बाजार नहीं जाना होता है। सब्जी कारोबारी स्वयं खेत से सब्जी ले जाते हैं। हर माह हजारों की आमदनी हो रही है। अब तो सब्जी वाली दीदी के नाम से इनकी पहचान बन चुकी है।


फूलों की खेती से महक रहा जीवन

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वरेठ डिफोर गाव की महीला सक्षम समूह की अध्यक्ष सविता चिमन पारगी पुष्पजीवी फूलों की खेती हो रही है। गेंदा, गुलाब आदि फूल की खेती के अलावा उसका माला भी तैयार किया जा रहा है।पुष्पा , रंजना समेत महिलाओं की आर्थिक प्रगति का सहारा बनी हुई है। गांव की दर्जन महिलाओं को रोजगार भी मिला है। इनका हर कदम आगे बढ़ा रहा है। यूं तो गुलाब, गेंदा ,चमेली,  सहित फूल की खेती सविता कर रही हैं, लेकिन गेंदा का फूल तैयार न होने से माला बनाने के बाजार में 20 से लेकर 50 रुपये तक माला का दाम से बेच रही है। हर रोज महिलाओं की 400 से 600 रुपये की आमदनी हो रही है। वागधारा के  क्षेत्रीय सहजकर्ता विकास परसराम मेश्राम  ने बताया कि इन महिलाओं ने अपनी मेहनत के दम पर गरीबी को मात दी। आनंदपुरी क्षेत्र के कुछ गांवों में महीला सक्षम समूह की महिलाएंमुर्गी पालन का भी कारोबार कर रही हैं। इससे महिलाओं का जीवन बदल गया। आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने के लिए महिलाओं को मार्गदर्शन भी दिया जाता है।

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