गुजरात में पिछले चार विधानसभा चुनावों से भाजपा को लगातार बहुमत मिलता आ रहा है, जिसमें कांग्रेस द्वारा पूरा जोर लगाने के बाद भी सत्ता पाने लायक सफलता नहीं मिल सकी। अब कांग्रेस को यह उम्मीद लगने लगी है कि उसे सत्ता विरोधी मत भी प्राप्त हो सकते हैं। इसका कारण यह भी है कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया और चुनाव परिणाम के दौरान कई बार ऐसा भी लगने लगा था कि कांग्रेस सत्ता प्राप्त कर सकती है। दूसरी बात यह भी है कि अबकी बार कांग्रेस ने ऐसी सीटों पर ज्यादा फोकस करने की योजना बनाई है, जहां बहुत कम अंतर से कांग्रेस के प्रत्याशी पराजित हुए थे। ऐसे में यही कहा जा सकता है कि कांग्रेस इस चुनाव के प्रति बहुत ही गंभीर दिखाई दे रही है। लेकिन कांग्रेस के लिए इस चुनाव में बड़ी समस्या यह भी है कि उसके पास प्रचार करने वालों में राष्ट्रीय नेता का अभाव है। क्योंकि सोनिया गांधी वर्तमान में राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं है और उनके पुत्र राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं। इस यात्रा से राहुल को समय मिलेगा, इसकी संभावना कम ही दिखाई देती है। पिछले चुनाव में कांग्रेस को हार्दिक पटेल के आंदोलन का भी लाभ मिला, लेकिन अब हार्दिक पटेल भाजपा को मजबूत करने के लिए राजनीति कर रहे हैं। जहां तक आम आदमी पार्टी की बात है तो यह कहा जा सकता है कि वह गुजरात में भी बिल्ली के भाग्य से छींका टूटने की प्रतीक्षा करते दिखाई दे रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी लुभावनी नीतियों का सब्जबाग दिखाकर मतदाताओं को सम्मोहित कर देते हैं और फिर उसी धारा में आम मतदाता भी बहने लगता है, लेकिन दिल्ली और पंजाब की भांति गुजरात में स्थापित होने का सपना देख रहे अरविंद केजरीवाल के लिए गुजरात इतना सरल नहीं है, जितना वे समझ रहे हैं। लेकिन इतना अवश्य ही कहा जा सकता है कि आम आदमी पार्टी कांग्रेस की संभावनाओं पर पानी फेर सकती है।
गुजरात में क्या होगा, यह कहना अभी जल्दबाजी ही होगी, लेकिन यह भी सही है कि अगर सत्ता के विरोध में हवा का रुख रहा तो भाजपा को फिर से सत्ता प्राप्त करने के लिए अधिक परिश्रम करने की आवश्यकता होगी। वर्तमान में कांग्रेस की राजनीति सत्ता प्राप्त करने की नहीं रही, वह केवल इतनी ही राजनीति करती है कि भाजपा सत्ता से दूर हो जाए, इसके लिए फिर कोई भी सत्ता प्राप्त कर ले, इस प्रकार की राजनीति को सिद्धान्तहीन राजनीति ही कहा जाता है। इसी प्रकार की राजनीति के कारण ही आज कांग्रेस अपनी दुर्गति करा रही है। राजनीति अपनी नीतियों पर ही की जाती है, वर्तमान में कांग्रेस के पास अपनी स्वयं की कोई नीति ही नहीं है। कांग्रेस द्वारा जो भारत जोड़ो यात्रा निकाली जा रही है, उसका भी आम जन द्वारा यह कहकर विरोध किया जा रहा है कि देश को कांग्रेस ने ही तोड़ा, फिर वह किस मुंह से भारत को जोड़ने की बात कर रही है। कमोबेश यही स्थिति आम आदमी पार्टी की भी है, उसके अपने कोई सिद्धांत नहीं है। वह भी भाजपा विरोधी राजनीति करने को ही राजनीति मानते हैं। निहितार्थ यही है कि भाजपा कम से कम सिद्धांत और विचार की राजनीति ही करती है।
सुरेश हिन्दुस्थानी,
वरिष्ठ पत्रकार
मोबाइल : 9425101815
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