जमशेदपुर : टाटा स्टील के पूर्व एमडी डॉ.ईरानी का निधन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 2 नवंबर 2022

जमशेदपुर : टाटा स्टील के पूर्व एमडी डॉ.ईरानी का निधन

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विजय सिंह ,लाइव आर्यावर्त ,जमशेदपुर। टाटा स्टील के पूर्व प्रबंध निदेशक डॉ.जमशेद जीजी ईरानी ( डॉ.जे जे ईरानी ) का सोमवार ( 31 अक्टूबर ) रात लगभग 10 बजे टाटा मुख्य अस्पताल ,जमशेदपुर में निधन हो गया। 86 वर्षीय डॉ. ईरानी पिछले  कुछ समय से टाटा मेन हॉस्पिटल में इलाजरत थे। 2  जून 1936 को नागपुर , महाराष्ट्र में जन्में डॉ ईरानी ने नागपुर के साइंस कॉलेज से 1956 में विज्ञान में स्नातक की डिग्री और 1958 में नागपुर विश्वविद्यालय से ही  भू-विज्ञान ( जियोलॉजी ) में स्नातकोत्तर की शिक्षा पूरी की ,तत्पश्चात उन्होंने 1960 में यूनाइटेड यूरोप के शेफील्ड विश्वविद्यालय से धातु विज्ञान (मेटलर्जी ) में स्नातकोत्तर और 1963 में पीएचडी की उपाधि ग्रहण की। 1968 में भारत लौटने के बाद उन्होंने डायरेक्टर इंचार्ज ( रिसर्च एंड डेवलपमेंट ) के सहायक के रूप में टिस्को ( तब टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी , अब टाटा स्टील ) से अपने नए कैरियर की शुरुआत की ,जहां वे विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं देते हुए 1988 में संयुक्त प्रबंध निदेशक के पद पर पहुंचे। बाद में टिस्को के तत्कालीन प्रबंध निदेशक रूसी मोदी के साथ चर्चित विवादों के बीच डॉ.ईरानी को मई 1992 में टाटा बोर्ड ने टिस्को का नया प्रबंध निदेशक नियुक्त कर दिया I  नौ साल तक अपनी सेवाएं देने के बाद 2001 में डॉ.ईरानी ने टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक पद से अवकाश ग्रहण किया। वारिस के रूप में अपने पीछे पत्नी डेजी ईरानी ,पुत्र ज़ुबिन तथा दो बेटियां नीलोफ व तनाज़ छोड़ गए डॉ. ईरानी को 43 साल तक भारतीय स्टील उद्योग में बेहतरीन योगदान के लिए वर्ष 2007 में भारत सरकार ने पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया। 1981 में ही टाटा बोर्ड में शामिल किये गए डॉ.ईरानी को टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक पद से 2001 में अवकाश ग्रहण करने के बाद टाटा संस बोर्ड में गैर कार्यपालक निदेशक के रूप में शामिल किया गया जहाँ उन्होंने 2011 तक अपने अनुभवों से कंपनी और उधोग को आगे बढ़ाने में योगदान दिया। देश के पहले घरेलु इस्पात उद्योग टाटा स्टील में 43 वर्षों के उल्लेखनीय सेवा के दौरान टिस्को के प्रबंध निदेशक के पद पर ताजपोशी के लगभग एक वर्ष बाद ही अक्टूबर 1993 में टाटा वर्कर्स यूनियन के तत्कालीन अध्यक्ष वी.जी.गोपाल की जमशेदपुर में हुई हत्या के पश्चात डॉ.ईरानी को कुछ समय के लिए विवादों का सामना भी करना पड़ा था।

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