भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में “प्राकृतिक खेती” परियोजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिला से आए 50 किसानों को गेहूँ की बुआई से पूर्व बीजामृत द्वारा बीजशोधन की विस्तृत प्रक्रिया को प्रायोगिक रूप से सिखाया गया | इस दौरान किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती से संबंधित पूछे गए प्रश्नों का विधिवार उत्तर संस्थान के संबंधित वैज्ञानिकों द्वारा दिया गया | किसानों को प्राकृतिक खेती की अवधारणा एवं आवश्यकता से संबंधित विस्तृत जानकारी दी गई । प्राकृतिक खेती परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. अनिल कुमार सिंह ने बताया कि प्राकृतिक रासायनमुक्त खेती है, जिसमें केवल प्राकृतिक आदानों का उपयोग किया जाता है। साथ ही, कृषि-पारिस्थितिकी पर आधारित यह एक विविध कृषि प्रणाली है, जो फसलों, पेड़ों और पशुधन को एकीकृत करती है, एवं जिससे कार्यात्मक जैव विविधता के इष्टतम उपयोग की सुविधा मिलती है । वर्तमान में भारत सरकार ने प्राकृतिक खेती पर विशेष जोर दिया है एवं किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जा रहा है। भारत सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों का सुखद परिणाम आना शुरू हो गए है एवं पूर्व की अपेक्षा किसानों का प्राकृतिक खेती के प्रति रुझान लगातार बढ़ता जा रहा है । प्रशिक्षण कार्यक्रम में संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. भगवती प्रसाद भट्ट, संस्थान के डॉ. बिकास सरकार, प्रधान वैज्ञानिक; डॉ. पवन जीत, वैज्ञानिक एवं श्री प्रेम पाल कुमार, तकनीकी अधिकारी (प्रक्षेत्र) उपस्थित थे |
सोमवार, 28 नवंबर 2022
बिहार : अयोध्या के किसानों ने बीजामृत से बीजशोधन की प्रक्रिया सीखी
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