बिहार के लड़कों को भेड़-बकरी की तरह पीठ पर झोला लटका कर मजदूरी के लिए बाहर जाना पड़ता है
जन सुराज पदयात्रा के दौरान भोपतापुर पंचायत में आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में 40 प्रतिशत लोग जो खेती-किसानी कर रहे हैं, वो सिर्फ अपने परिवार का पेट भर सकते हैं। वो इतने गरीब हैं कि बस किसी तरीके से अपना पेट पाल रहे हैं। आज हमारे बिहार में सिमेंट, टीवी, छड़ की फैक्ट्री नहीं लग रही है। हां, आज हम एक काम में सबसे आगे हैं। आज हम पूरे देश को मजदूर दे रहे हैं। आज गांव का जवान लड़का भेड़-बकरी की तरह पीठ पर झोला लटकाए देश के अन्य राज्यों में नौकरी खोजने जा रहा है। वो किन मुसीबत में और कितने छोटे कमरों में गुजारा कर रहा है यह दर्द सिर्फ उनको पता है।
हमको गांधी मैदान में भीड़ जुटाने आता है, पर बिहार में लगी काई को हटाने के लिए गांव तक पहुंचना पड़ेगा
जन सुराज पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि आप बिहारियों को अपने बच्चों की चिंता नहीं है। आप हमारी चिंता क्या कीजिएगा? आज आपके अंदर जात-धर्म का इतना नशा घुसा दिया गया है कि आपको इसके अन्दर-बाहर कुछ नजर नहीं आता। आज आपको अपने बच्चों की तकलीफ तक नहीं दिख रही है। यही बताने गांव-गांव पैदल चल रहे हैं। मुझे कोई सैलाब नहीं खड़ा करना है। मुझे तो आपकी समस्याओं और आपके दर्द को समझना है कि आप कैसे इतनी मुसीबतों के बाद भी गुजारा कर रहे हैं। आज मैं 5 से 10 लोगों के बीच मीटिंग कर रहा हूं, ताकि हर एक समस्याओं को समझ सकूं। वरना मुझे गांधी मैदान में भीड़ जुटाना आता है। आज जो भीड़ जुटाता है उसे हम सिखाते है कि भीड़ कैसे आएगा। जन सुराज भीड़ जुटाने का कार्यक्रम नहीं यह कार्यक्रम है लोगों के मन से उस काई को हटाने का जिसे नेताओं और दलों ने आपके दिमाग में जमा दिया है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें