जन सुराज पदयात्रा: 113वां दिन, गोपालगंज में प्रशांत किशोर का तेजस्वी पर हमला, कहा 15 साल के शासनकाल में नौकरी नहीं दे पाने के लिए माफी मांगे तेजस्वीमांझा, गोपालगंज, जन सुराज पदयात्रा के 113वें दिन की शुरुआत गोपालगंज के मांझा प्रखंड के धरम परसा हाईस्कूल स्थित जन सुराज पदयात्रा शिविर में सर्वधर्म प्रार्थना सभा से हुई। इसके बाद प्रशांत किशोर ने स्थानीय मीडिया से संवाद किया। गोपालगंज प्रशांत किशोर की पदयात्रा का चौथा जिला है। 2 अक्तूबर 2022 को पश्चिम चंपारण के भितिहरवा गांधी आश्रम से शुरू हुई पदयात्रा पश्चिम चंपारण, शिवहर और पूर्वी चंपारण होते हुए गोपालगंज पहुंची है। आज गोपालगंज में पदयात्रा का 8वां दिन है। आज प्रशांत किशोर सैकड़ों पदयात्रियों के साथ मांझा प्रखंड से चलकर बथुआ, साफापुर, अहिरौलिया, सिपाहखास, बैकुण्ठपुर,प्रतापुर, देवरिया, बंगरा, होते हुए थावे प्रखंड के रामचंद्रपुर पंचायत के पंडित के हरपुर, जगदीशपुर, दतिवाना पंचायत में स्थित बिशम्बरपुर हाई स्कूल में रात्रि विश्राम के लिए पहुंचे।
प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों का बैंक अकाउंट लॉक करवा देते हैं अधिकारी, ताकि वे भ्रष्टाचार कर सके
जन सुराज पदयात्रा का अनुभव साझा करते हुए प्रशांत किशोर ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना में जमीन पर बड़े स्तर पर धांधली देखने को मिल रही है। प्रशांत किशोर ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना संबंधित पोर्टल कभी खुलता ही नहीं है। जैसे-तैसे किसी गरीब को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास की राशि मिल भी जाती है, तो उसमें नाम लिखने से लेकर अंतिम भुगतान राशि तक घूस देने की प्रक्रिया श्रृंखला की गई है। पदयात्रा के दौरान कई बैंक अधिकारियों ने बताया कि की दूसरी किस्त आने पर यदि अधिकारियों को घूस नहीं दी गई तो उस लाभार्थी का अकाउंट लॉक कर दिया जाता है। सरकार चाहे तो लाभार्थियों का अकाउंट डिटेल्स निकाल कर या पता कर सकती है कि उनका अकाउंट कितनी बार लॉक और अनलॉक किया गया है। इसका मतलब है की अधिकारियों ने लाभर्थियों का भुगतान घूस लेने के लिए रोका है।
तेजस्वी यादव को माफी मांगनी चाहिए कि राजद के 15 साल के शासन में नौकरी क्यों नहीं से पाए
प्रशांत किशोर ने तेजस्वी यादव पर हमला करते हुए कहा कि जब जनता किसी के झूठे आश्वासन के नाम पर अपना मत दे तो इसमें दोष जनता का का ही है। तेजस्वी यादव जैसे नेता के कहने पर यदि लोगो को रोज़गार मिल जाएगा तो गलती तेजस्वी यादव की नहीं बल्कि उसको माने वालों की है। प्रशांत ने कहा कि ये वो लोग हैं कि जिन्होंने बिहार को 15 साल में रसताल में पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव को माफी मांगनी चाहिए कि राजद के 15 साल के शासन में इन्होंने नौकरियां नहीं दी। पिछले साल नीतीश कुमार ने 15 अगस्त को गांधी मैदान से खड़े होकर कह दिया कि सभी नौकरियां हम 1 साल में दे देंगे। करीब 5 महीने बाद आज कितनी नौकरी बंटी है, सबके सामने है। नौकरियों के नाम पर बस लाठियां बरसाई जा रही है।
सिर्फ जातीय गणना हो जाने से स्थिति नहीं सुधरेगी, दलितों की गणना आजादी के बाद से हो रही ही, क्या उनकी स्थिति में कोई सुधार हुआ आजतक
जातीय जनगणना के सवाल प्रशांत किशोर ने मीडिया को बताया कि ऐसी कोई भी जानकारी जिससे सरकार के पास समाज के बारे में बेहतर जानकारियां आएं उसका स्वागत होना चाहिए। लेकिन सभी पक्षधरों का सवाल है कि जातीय जनगणना का वैधानिक आधार क्या है। राज्य सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए इसका कोई वैधानिक आधार नहीं है ,बल्कि ये सर्वे है। जहां तक समाज के विभिन्न वर्गों की समाज की संख्या की बात है तो उनकी जनगणना स्वतंत्रता के बाद से हो रही है फिर भी बिहार में दलित आज सबसे बदहाल स्थिति में हैं। उसके बावजूद सरकार ने उनकी स्थिति को बेहतर बनाने के लिए क्या कदम उठाये हैं। केवल जनगणना या सर्वे करा लेने से लोगों की स्थिति नहीं सुधरेगी बल्कि इन लोगों की स्थिति तब सुधरेगी जब उन जानकारियों पर आप इमानदारी से कुछ बेहतर प्रयास करेंगे। आगे प्रशांत ने कहा कि जातिय जनगणना की समाज में जातीय विद्वेष फैलाना, लोगों को लड़ाना और एक दूसरे को बांटने का प्रयास है, ताकि अगला चुनाव किसी तरह से निकल जाए।
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