बिहार में सिर्फ जाति के आधार पर लोग वोट करते हैं, इससे जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए प्रशांत किशोर ने बताया लोगों से ऐसी सोच बना ली है कि, बिहार का सारा समाज सिर्फ जातियों पर ही वोट करता है। उन्होंने कहा कि 2010 में नीतीश कुमार और भाजपा का गठबंधन था सामने से लालू जी, पासवान जी और कांग्रेस गठबंधन में थे। 2010 में नीतीश कुमार और भाजपा के गठबंधन को 205 सीट आई। तेजस्वी के मुकाबले लालू जी, पासवान जी बड़े लीडर थे, उसके बावजूद उस गठबंधन को लगभग 25 सीटें ही मिली थी। क्योंकि 2005-2010 के बीच सरकार के प्रति समाज के बड़े वर्ग का यह नजरिया था कि बिहार को सुधारने की प्रक्रिया शुरू की है। अगर सिर्फ जातियों की ही बात होती तो वही गठबंधन 2020 में लड़ा। नीतीश जी के साथ मोदीजी की ताकत भी साथ थी। सामने लालू जी के बजाय तेजस्वी यादव थे, चिराग तो साथ थे भी नहीं। इसके बावजूद भाजपा के गठबंधन को 120 सीट लाने में पसीने निकल गए। जब भी चुनाव होता है तो उसमें समाज के हर पहलुओं का योगदान होता है, जिसमें जाति भी एक पहलू है, लेकिन सिर्फ जाति के आधार पर पर ही वोट पड़ता है ये कहना गलत है।
मंगलवार, 24 जनवरी 2023
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बिहार : सिर्फ जातिगत आधार पर वोट नहीं पड़ता : प्रशांत किशोर
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